पूर्व माध्यमिक परीक्षा, कक्षा-8 वीं
मॉडल प्रश्न-पत्र सेट-III
विषय -विज्ञान एवं प्रौद्योगिकीसमय : 3:00 घण्टे
पूर्णांक : 80
निर्देश-
1. सभी प्रश्न हल करना अनिवार्य हैं।
2. प्रश्न क्रमांक 1 से 6 तक वस्तुनिष्ठ प्रश्न है। प्रत्येक प्रश्न में 2 अंक आबंटित है।
3. प्रश्न क्रमांक 7 से 11 तक अति लघु उत्तरीय प्रश्न है। प्रत्येक प्रश्न में 4 अंक आबंटित है।
4. प्रश्न क्रमांक 12 से 14 तक लघु उत्तरीय प्रश्न है। प्रत्येक प्रश्न में 6 अंक आबंटित है।
5. प्रश्न क्रमांक 15 से 17 तक दीर्घ उत्तरीय प्रश्न है। प्रत्येक प्रश्न में 10 अंक आबंटित है।
6. प्रश्न क्रमांक 12 से 17 तक के प्रश्नों में आंतरिक विकल्प दिए गए है।
वस्तुनिष्ठ प्रश्न
प्रश्न 1. सरल वोल्टीय सेल में विद्युत् अपघट्य होता है-
(a) तनु सल्फ्यूरिक अम्ल
(b) कॉपर सल्फेट विलयन
(c) तनु हाइड्रोक्लोरिक अम्ल
(d) पोटेशियम हाइड्रॉक्साइड।
उत्तर- (a) तनु सल्फ्यूरिक अम्ल ।
प्रश्न 2. भारी वाहनों जैसे बस, ट्रक में प्रयुक्त ईंधन है-
(a) तारपीन (b) बायोगैस
(c) डीजल (d) केरोसिन ।
उत्तर- (c) डीजल ।
प्रश्न 3. ऊष्मायित्र यंत्र का उपयोग किया जाता है -
(a) दुधारु पशुपालन में
(b) मत्स्य पालन में
(c) कुक्कुट पालन में
(d) मधुमक्खी पालन में।
उत्तर- (d) मधुमक्खी पालन में।
प्रश्न 4. प्रोटोजोआ से होने वाला संक्रामक रोग है -
(a) पेचिश (b) मलेरिया
(c) डायरिया (d) उपर्युक्त सभी।
उत्तर- (d) उपर्युक्त सभी ।
प्रश्न 5. निम्न में से कौन-सा आहार किशोर के लिए है-
(a) रोटी, नूडल्स, चॉकलेट
(b) रोटी, दाल, सब्जियाँ
(c) चावल, नूडल्स, चिप्स
(d) सब्जियाँ, चिप्स तथा शीतल पेय।
उत्तर- (b) रोटी, दाल, सब्जियाँ।
प्रश्न 6. कृत्रिम रेशम है-
(a) नायलॉन (b) पॉलिएस्टर
(c) रेयॉन (d) ऐक्रिलिक ।
उत्तर- (c) रेयॉन।
अति लघु उत्तरीय प्रश्न
प्रश्न 7. रिक्त स्थानों की पूर्ति कीजिए-
(i) सबसे ठंडा ग्रह ..................है।
(ii) घड़ियों, कैलकुलेटर, ट्रांजिस्टर एवं कृत्रिम उपग्रहों में ......................सेल का उपयोग किया जाता है।
(iii) शहद प्राप्त करने के लिए................... का पालन किया जाता है।
(iv) .............एवं.............. रोग में केन्द्रीय तंत्रिका तंत्र प्रभावित होता है।
उत्तर- (i) वरुण, (ii) वोल्टीय, (iii) मधुमक्खी, (iv) पोलियो एवं रेबीज।
प्रश्न 8. उचित संबंध जोड़िए-
'क 'ख'
1. बाँध (a) ओरल पोलियो वैक्सीन
2. कर्ण प्रियध्वनि (b) विद्युत् सेल
3. ओ.पी.वी. (c) विद्युत् ऊर्जा
4. विद्युत् अपघटन क्रिया (d) सुस्वर ध्वनि।
उत्तर-1. (c), 2. (d), 3. (a), 4. (b).
प्रश्न 9. कॉपर सल्फेट के विलयन में जिंक के टुकड़े डालने पर क्या होता है ?
उत्तर-कॉपर सल्फेट के विलयन में जिंक के टुकड़े डालने पर जिंक कॉपर को विस्थापित कर देता है और जिंक सल्फेट का निर्माण करता है।
CuSO4 + Zn → ZnSO4 + Cu
कॉपर सल्फेट। जिंक जिंक सल्फेट कॉपर
प्रश्न 10. कुछ रेशे संश्लेषित रेशे क्यों कहलाते हैं ?
उत्तर-वे रेशे जिन्हें मनुष्य द्वारा विभिन्न रासायनिक पदार्थों से बनाया जाता है, कृत्रिम रेशे या संश्लेषित रेशे कहलाते हैं। जैसे- रेयॉन, नायलॉन, डरवन आदि।
प्रश्न 11. निम्नलिखित कथनों में सही/गलत की पहचान कीजिए-
(i) कार्बन डाइऑक्साइड की प्रकृति क्षारीय होती है।
(ii) सामान्य ताप पर सभी धातुएँ ठोस होती है।
(iii) हीरे तथा ग्रेफाइट में एक ही तत्व कार्बन है।
(iv) गेहूँ हमारे प्रदेश की प्रमुख खरीफ फसल है।
उत्तर- (i) गलत, (ii) गलत, (iii) सही, (iv) गलत।
लघु उत्तरीय प्रश्न
प्रश्न 12. उत्कृष्ट धातु किसे कहते हैं ?
उत्तर-वे धातुएँ जो सबसे कम क्रियाशील हैं जो वायु, जल तथा अम्लीय व क्षारीय पदार्थों से प्रभावित नहीं होती इन धातुओं को उत्कृष्ट धातु कहते हैं। इनकी निष्क्रिय प्रकृति इनका धात्विक चमक लंबे समय तक बनाये रखती है।
अथवा, संक्षारण से आप क्या समझते हैं ? विद्युत् लेपन कर धातुओं को किस प्रकार संक्षारण से बचाया जा सकता है।
उत्तर-धातु की ऊपरी सतह पर उसके यौगिक का बनना संक्षारण कहलाता है। विद्युत् लेपन कर धातुओं के ऊपर कम सक्रिय या निष्क्रिय धातुओं की परत चढ़ा दी जाती है जैसे लोहे पर क्रोमियम की इससे धातु संक्षारण नहीं हो पाता वह सुरक्षित हो जाता है।
प्रश्न 13. परा श्रव्य ध्वनि का उपयोग कहाँ-कहाँ होता है ?
उत्तर-पराश्रव्य ध्वनि का उपयोग -
(1) धातुओं के भीतर की बारीक दरारों का पता लगाने के लिए।
(2) बैक्टीरिया को नष्ट करने के लिए।
(3) घड़ी के पुर्जों को साफ करने के लिए।
(4) मस्तिष्क के ट्यूमर के स्थान का पता लगाने के लिए।
(5) गठिया के दर्द को दूर करने के लिए।
(6) मोतियाबिंद के इलाज में।
(7) गुर्दे की पथरी को समाप्त करने में।
अथवा, श्रव्य एवं पराश्रव्य ध्वनि में अंतर लिखिए।
उत्तर- श्रव्य एवं पराश्रव्य ध्वनि में अंतर -
श्रव्य ध्वनि
1. जिस आवृत्ति सीमा तक की ध्वनि हमें सुनाई देती है। उसे श्रव्य ध्वनि कहते हैं।
2. श्रव्य ध्वनि आवृत्ति की सीमा 20 हर्ट्ज से 20,000 हर्ज तक है।
पराश्रव्य ध्वनि
1. श्रव्य ध्वनि आवृत्ति सीमा से अधिक आवृत्ति की ध्वनि जो हमें सुनाई नहीं देती पराश्रव्य ध्वनि कहलाती है।
2. पराश्रव्य ध्वनि आवृत्ति का मान 20,000 हर्ट्ज से अधिक होता है।
प्रश्न 14. दूर दृष्टि दोष क्या है ? इसका निवारण कैसे किया जाता है ? सचित्र वर्णन कीजिये।
उत्तर-इस दोष में दूरी पर रखी वस्तुएँ ठीक से दिखाई देती हैं, परन्तु पास की वस्तुओं का प्रतिबिम्ब रेटिना के पीछे के भाग में बनता है अतः वस्तुएँ स्पष्ट दिखाई नहीं देती। इस दोष को दूर करने के लिए उत्तल लेंस का उपयोग किया जाता है जिससे प्रतिबिम्ब रेटिना पर बन सके।
अथवा, परिभाषित कीजिए-
(i) मुख्य अक्ष,
(ii) प्रकाश केंद्र,
(iii) फोकस ।
उत्तर-(i) मुख्य अक्ष-लेंस के दोनों गोलीय पृष्ठों के वक्रता केंद्रों को मिलाने वाली रेखा को मुख्य अक्ष कहते हैं।
(ii) प्रकाश केंद्र- यह लेंस का केंद्र है। जिसमें से प्रकाश बिना मुड़े गुजर जाता है।
(iii) फोकस -मुख्य अक्ष के समानांतर आने वाली किरणें
लेंस से निकलने के बाद मुख्य अक्ष के जिस बिंदु पर मिलती है या मिलती हुई प्रतीत होती हैं फोकस कहलाता है।
दीर्घ उत्तरीय प्रश्न
प्रश्न 15. (अ) घर्षण उपयोगी भी है और हानिकारक भी है। उदाहरण सहित समझाइए ।
उत्तर-घर्षण उपयोगी है-
(1) यदि पेंसिल और कागज के बीच घर्षण न हो तो लिखना संभव नहीं होता है।
(2) घर्षण के कारण ही हम पृथ्वी पर चल पाने में समर्थ होते
हैं।
(3) घर्षण के बिना माचिस का जलना असंभव होता है।
(4) यदि वाहनों के ब्रेक और पहिए के बीच घर्षण न होता तो ब्रेक काम नहीं करते।
घर्षण हानिकारक भी है-
घर्षण के कारण वस्तुएँ घिस जाती हैं, जैसे-पेंच, बॉल बेयरिंग तथा जूतों के सोल।
(ब) आप घर से बाहर हैं तथा भूकम्प के झटके लगते हैं। आप अपने बचाव के लिए क्या सावधानियाँ बरतेंगे ?
उत्तर- हम घर से बाहर हैं तथा भूकम्प के झटके लगते हैं तो हम अपने बचाव के लिए भवनों, वृक्षों, विद्युत् के तारों आदि से दूर किसी खुली जगह पर जमीन पर लेट जाएँगे।
अथवा, (अ) विद्युत् लेपन करने के क्या कारण हैं ?
उत्तर-विद्युत् लेपन के कारण -
(1) पुलों तथा स्वचालित वाहनों को जंग से बचाने के लिए लोहे पर जिंक की परत चढ़ाई जाती है।
(2) खाद्य पदार्थों के भंडारण के लिए उपयोग में लाए जाने वाले लोहे के डिब्बों पर टिन का विद्युत् लेपन किया जाता है ताकि खाद्य पदार्थ लोहे के संपर्क में न आए।
(3) विद्युत् लेपन से धातु अयस्क से शुद्ध धातु प्राप्त कर सकते हैं।
(4) विद्युत् लेपन की प्रक्रिया द्वारा सस्ती धातु की वस्तुओं पर सोने या चाँदी धातु की परत चढ़ाकर आभूषण बनाए जाते हैं।
(ब) विद्युत् धारा के रासायनिक प्रभाव से क्या तात्पर्य है?
उत्तर-किसी चालक द्रव में विद्युत् धारा प्रवाहित की जाती है तो द्रव में रासायनिक अभिक्रियाएँ होती हैं इसे विद्युत् धारा का रासायनिक प्रभाव कहते हैं।
प्रश्न 16. टिप्पणी लिखिए -
(i) मशरूम कल्चर, (ii) मत्स्य पालन ।
उत्तर- (i) मशरूम कल्चर - गेहूँ के भूसे अथवा पैरा कुट्टी जिसे माध्यम कहते है, को पानी में 14-20 घंटे भिगोने के पश्चात दो घंटे तक उबालते हैं, अथवा कवकनाशी एवं जीवाणुनाशी द्वारा उपचारित करते हैं। पानी को निथारकर माध्यम में मशरूम के स्पॉन मिलाकर पॉलीथीन की थैलियों जिनमें छोटे-छोटे छेद कर दिये गए हों, में भर देते हैं। इसे एक कमरे में जिसका तापमान 20° से 25° सेन्टीग्रेड हो रख देते हैं। दो-तीन सप्ताह में पूरा माध्यम सफेद दूधिया रंग के पिन्ड में बदल जाता है। इस अवस्था में पॉलीथीन को अलग कर लेते हैं और पिन्ड को सुतली की सहायता से लटका देते हैं। 2-3 दिनों में इससे छोटी-छोटी गोल दाने के समान रचनाएँ निकल आती हैं। जो 5-7 दिनों में पूर्ण छतरी के रूप में विकसित हो जाती हैं, जिन्हें तोड़ लिया जाता है। यही मशरूम है।
(ii) मत्स्य पालन- बड़े स्तर पर मछली पालना, मत्स्य पालन कहलाता है। मछली फार्म अथवा मत्स्य स्फुटन तालाब को नर्सरी कहा जाता है। इन तालाबों में स्फुटन के पश्चात छोटी मछलियाँ विकसित की जाती हैं, जिन्हें संवर्धन हेतु बड़े तालाबों में डाल दिया जाता है। जहाँ उनके लिए उचित आहार, पर्याप्त ऑक्सीजन तथा प्रकाश की व्यवस्था होती है। समय-समय पर मछलियाँ इनसे बाहर निकाली जाती हैं। ये जंतु प्रोटीन के प्रमुख स्रोत हैं। विटामिन D. भी प्राप्त किया जाता है।
अथवा, टिप्पणी लिखिए -
(i) मधुमक्खी पालन,
(ii) कुक्कुट पालन।
उत्तर - (i) मधुमक्खी पालन- कृत्रिम रूप से मधुमक्खियों के पालने की विधि को मधुमक्खी पालन कहते हैं। मधुमक्खियाँ प्रायः वनों में पाई जाती हैं। ये ऊँचे वृक्षों या इमारतों पर अपना घर बनाती हैं, जिसे छत्ता कहते हैं। मधुमक्खी पालन हेतु बनाए गए विशेष बक्से इनके लिए छत्तों का कार्य का कार्य करते हैं। इन बक्सों में ही इनकी सारी गतिविधियाँ सम्पन्न होती हैं। रानी मक्खी द्वारा अंडे देना, अंडे से लार्वा फिर प्यूपा का बनना तथा श्रमिक मक्खी द्वारा इनकी देखभाल के अलावा फूलों का पराग चूस कर उसे मधु (शहद) में परिवर्तित करना आदि गतिविधियाँ संपन्न होने के बाद मशीनों द्वारा अथवा हाथों से शहद निकालने का कार्य किया जाता है। प्राप्त शहद को साफकर वायुरोधी बोतलों में संगृहित करते हैं। मधुमक्खी पालन से शहद के साथ-साथ मोम भी प्राप्त किया जाता है।
(ii) कुक्कुट पालन-अंडे एवं माँस प्राप्ति के लिए मुर्गी, बतख इत्यादि पक्षियों को पालना, कुक्कुट पालन कहलाता है। मुर्गियों को घरों तथा कुक्कुट फार्म दोनों जगहों में पाला जाता है। मुर्गी, अण्डों को 21 दिनों तक सेती है। इसे ऊष्मायन काल कहते हैं। बड़े कुक्कुट फार्म में अंडे सेने का कार्य विशेष उपकरणों ऊष्मायित (इन्क्यूबेटर) द्वारा किया जाता है। इनके द्वारा अण्डे का उपयुक्त नमी तथा ऊष्णता प्राप्त होती है। जो अण्डे में भ्रूण के विकास एवं अण्डों से चूजों के बाहर आने (स्फुटन) में सहायक होती है।
कुक्कुट को दिए जाने वाले भोजन में कीड़े-मकोड़े, वनस्पति तथा कंकड़ रहते हैं। ये कंकड़ उसके भोजन को पीसने का कार्य करते हैं। इसके आहार में चूना पत्थर भी मिलाया जाता है जो अंडे के कवच निर्माण में सहायक होता है। कुक्कुट फार्म के दड़बों में वायु के आवागमन तथा प्रकाश की उचित व्यवस्था की जाती है।
प्रश्न 17. (अ) सामान्य लाल रक्त कोशिका और हँसियाकार लाल रक्त कोशिका में क्या अंतर हैं ?
उत्तर - सामान्य लाल रक्त कोशिका और हँसियाकार लाल रक्त कोशिका में अंतर -
सामान्य लाल रक्त कोशिका
1. ये गोलाकार होते हैं
2. मुलायम व लचीले होते हैं।
3. रक्त वाहिनियों में आसानी से बह सकते हैं।
4. ये बनने के बाद 120 दिनों तक जीवित रहते हैं।
हँसियाकार लाल रक्त कोशिका
1. ये हँसियाकार होते है।
2. इनमें लचीलापन कम होता है तथा अपेक्षाकृत कड़े होते हैं।
3. रक्त वाहिनियों में गुच्छों के रूप में फँस जाते हैं।
4. इनका जीवनकाल मात्र 20 दिन का होता है।
(ब) किन्हीं दो विषाणुजन्य रोगों के नाम तथा लक्षण लिखिए।
उत्तर- दो विषाणुजन्य रोग हैं, पोलियो व छोटी माता।
(अ) पोलियो के लक्षण-
1. जुकाम के साथ बुखार आता है व उल्टियाँ होती हैं।
2. बुखार के कारण गर्दन अकड़ जाती है।
3. माँसपेशियाँ सिकुड़ जाती हैं एवं कार्य करना बंद कर देती हैं। जिससे दर्द रहता है।
4. कुछ समय बाद रोगी के पैरों की माँसपेशियाँ कमजोर हो जाती हैं और वह सही ढंग से खड़ा नहीं हो सकता है।
(ब) छोटी माता के लक्षण -
1. रोगी को हल्का या मध्यम बुखार रहता है।
2. बेचैनी के साथ पीठ व जोड़ों में दर्द होता है।
3. इस बीमारी के संक्रमण के सबसे अनुकूल समय दाने निकलने से 2 दिन पहले तथा उसके 14 दिनों बाद तक रहता है।
4. इस बीमारी की तीव्रता तथा अवधि, निकलने वाले दाने के ऊपर निर्भर करती है। तीव्र स्थिति में शरीर दानों से भर जाता है दाने पहले गले पर निकलते हैं बाद में ऊपर की तरफ चेहरे पर तथा नीचे की ओर पैरों में फैलते हैं। दाने निकलने के 4 से 7 दिन बाद दानों पर पपड़ी बनना शुरू हो जाती है।
अथवा, (अ) खरपतवार किसे कहते हैं ? खरपतवार नियंत्रण क्यों आवश्यक है ?
उत्तर-खेतों में मुख्य फसल के साथ उगे अनावश्यक पौधों को खरपतवार कहते हैं।
खरपतवार फसल के साथ पोषक तत्वों, जल, स्थान तथा प्रकाश के लिए प्रतिस्पर्धा करते हैं। इससे पौधों की वृद्धि व गुणवत्ता प्रभावित होती है, वे कटाई में व्यवधान पैदा करते हैं तथा कुछ के तो विषैले प्रभाव होते हैं, अत: इनका नियंत्रण आवश्यक है।
(ब) बीजोपचार किसे कहते हैं, यह क्यों आवश्यक है?
उत्तर-बोवाई के पूर्व बीजों को रोगाणुमुक्त करने एवं उनमें शीघ्र अंकुरण के लिए तैयार की जाने वाली गतिविधियों को बीजोपचार कहते हैं।
बीज रोग मुक्त हो, अच्छी अंकुरण कर सके व आसानी से अंकुरित हो सके, स्वस्थ व उपयुक्त बीज हो इसके लिए बीजोपचार आवश्यक है।
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