हिंदी कक्षा 8वीं पाठ 14 आतिथ्य

पाठ 14 आतिथ्य 

श्री भदंत आनंद कौशल्यायन

शब्दार्थ - आतिथ्य = आवभगत खातिरदारी, ऐतिहासिक = इतिहास संबंधी, व्यग्र = व्याकुल, उल्लंघन = नियम या विधि विरुद्ध, किंचित = अल्प, थोड़ा, तनिक, मर्माहत = मर्म को चोट पहुँचना, हृदय की पीड़ा, पुरातत्व = प्राचीनकाल संबंधी विधा, अखाड़ा = कुश्ती लड़ने की जगह, मल्ल भूमि, चकनाचूर = चूर-चूर, खंड-खंड।

मुख्य गद्यांशों की व्याख्या

1. मैं आज बहुत चला हूँ। एक कदम भी और चलने का सामर्थ्य नहीं है, फिर इस अँधेरे में कैसे, कहाँ धर्मशाला को खोजता फिरूँ ?

संदर्भ - प्रस्तुत गद्यांश हमारी पाठ्य पुस्तक भारती के पाठ 14 आतिथ्य से लिया गया है इसके लेखक भदंत आनन्द कौशल्यायन हैं।

प्रसंग - प्रस्तुत गद्यांश में विश्वास के टूटने का दुःख व्यक्त किया है।

व्याख्या - एक भ्रमणशील व्यक्ति को अपने जीवन में अनेक प्रकार के मधुर, कटु अनुभव होते हैं। प्रस्तुत गद्यांश में व्यक्ति को अपनी मंजिल तक पहुँचते-पहुँचते अनेक दुर्गम रास्तों का सामना- करना पड़ता है, अन्ततः स्थिति यह होती है कि हम अपनी मंजिल के करीब आ जाने पर भी उसको पाने में असमर्थ हो जाते हैं, अतः लेखक का मानना है कि रास्ते कितने भी कठिन हो, परन्तु हमें उस पर चलना नितान्त आवश्यक है।

2. विपत्ति पड़ने पर कहते हैं, अक्ल मारी जाती है। लेकिन जब आदमी का कोई सहारा नहीं रहता, तब बुद्धि ही उसके काम आती है।

संदर्भ - प्रस्तुत गद्यांश हमारी पाठ्य पुस्तक भारती के पाठ 14 आतिथ्य से लिया गया है इसके लेखक भदंत आनन्द कौशल्यायन हैं।

प्रसंग - प्रस्तुत गद्यांश में विपत्ति में अक्ल की विवशता क चित्रण किया गया है।

व्याख्या - लेखक इस गद्यांश के माध्यम से कह रहे हैं कि विपत्ति अर्थात् बुरे समय में हमारे सोचने समझने की शक्ति कमजोर हो जाती है, परन्तु यदि हमारा साथ कोई भी नहीं दे रहा है, उस समय हमारी बुद्धि-स्मरण शक्ति इच्छा शक्ति हमारे सभी कार्यों को सुचारु रूप से पूर्ण करती है।

प्रश्न और अभ्यास

पाठ से

प्रश्न 1. लेखक के द्वारा की गई पदयात्रा का क्या कारण था ?

उत्तर- लेखक ऐतिहासिक महत्व के स्थानों को देखने के विचार से पदयात्रा की।

प्रश्न 2. हेडमास्टर जी ने लेखक को अपने घर पर न ठहरने की क्या वजह बताई ?

उत्तर- हेडमास्टर जी ने लेखक को कहा "यहाँ आस-पास कई चोरियाँ हो गई है हम अपने घर किसी को नहीं ठहरने देते।"

प्रश्न 3. थकावट के दुःख से भी अधिक दर्द था मर्माहत अभिमान का लेखक द्वारा इस तरह कहे जाने का क्या कारण हो सकता है?

उत्तर - दिनभर की पैदल यात्रा के बाद लेखक थके हुए थे।उन्हें उम्मीद थी कि हेडमास्टर साहब अपने बंगले में रात्रि- विश्राम करने देंगे। किन्तु हेडमास्टर ने इसकी अनुमति नहीं दी और उन्हें धर्मशाला भेज दिया। इससे लेखक को बड़ी पीड़ा हुई। उन्हें थकान के कारण जितना दुःख हो रहा था, उससे अधिक पीड़ा भीतर के आहत अभिमान की थी।

प्रश्न 4. थके हुए लेखक के मन में हेडमास्टर जी के घर ठहरने को लेकर कौन-कौन सी भावनाएँ उठ रही थी ?

उत्तर - थके हुए लेखक के मन में अनेक भावनाएँ उठीं जैसे जिस व्यक्ति अर्थात् हेडमास्टर के यहाँ मेरी कुछ आवश्यकताओं की पूर्ति आसानी से होगी, जैसे पैर धोने के लिये गर्म पानी, मलने के लिये गर्म तेल साथ ही यदि गर्म दूध मिल जाता है तो सोने पर सुहागा वाली बात हो जायेगी।

प्रश्न 5. हेडमास्टर से मिलने के पूर्व और उसके बाद में लेखक के मनोभावों में क्या परिवर्तन हुआ?

उत्तर - हेडमास्टर से मिलने के पूर्व लेखक की पूर्व कल्पना थी कि उनकी सभी आवश्यकताओं की पूर्ति हेडमास्टर के यहाँ पूर्ण हो जायेगी, परन्तु उनसे मिलने के बाद इसके विपरीत प्रतिक्रिया हुई, क्योंकि हेडमास्टर ने अपने घर पर कोई भी सुविधा प्रदान करने से मना कर दिया, परंतु धर्मशाला का रास्ता (मार्ग) जरूर दिखला दिया, अतः बाद में लेखक के मन में विचार आया कि अनजान व्यक्ति से इतना रूखा व्यवहार, तिरस्कार क्या उचित है ?

प्रश्न 6. परिचय-पत्र देखकर हेडमास्टर के विचारों में किस प्रकार का परिवर्तन हुआ होगा सोचकर लिखिये।

उत्तर - परिचय-पत्र देखकर हेडमास्टर के मन में यह विचार उत्पन्न हुए कि उनके समक्ष खड़ा हुआ व्यक्ति कोई चोर या लुटेरा नहीं हो सकता, वहाँ उपस्थित लोगों के मन आशंकित थे, अन्ततः उन्होंने उसे धर्मशाला भेजने का निर्णय लिया।

प्रश्न 7. लेखक चोर नहीं था, इस बात का विश्वास दिलाने के लिए उसने क्या किया ?

उत्तर- लेखक चोर नहीं था, इस बात का विश्वास दिलाने परिचय पत्र दिखाया।

प्रश्न 8. लेखक के अनुसार जीवन के पथ पर अकेले चलना क्यों कठिन है ?

उत्तर- जैसे सड़क पर चलने के लिये नियमों का पालन करना पड़ता है वैसे ही हमें जीवन-पथ पर सफलता पूर्वक चलने के लिये महापुरुषों के बताये गये वचनों को अपनाकर उनका अनुशरण करना चाहिये, इससे हमारा जीवन रूपी सफर आनन्दमय प्रतीत होता है।

प्रश्न 9. "गहरी सहानुभूति दिखाने वाले की आज्ञा का उल्लंघन आसान नहीं होता" इस पंक्ति के द्वारा लेखक अपने दुखिया भिक्षुक मित्र के किन भावों को बताना चाहता है।

उत्तर- इस पंक्ति द्वारा लेखक अपने दुखिया भिक्षुक मित्र के आतिथ्य सत्कार और सहानुभूति भाव को बताना चाहता है।

प्रश्न 10. 'उन्हें क्या मालूम कि जो उनके लिये अंधेर है वह मेरे लिये महाअंधेर है' लेखक ने महाअंधेर किसे कहा है?

उत्तर - लेखक के अनुसार अनेक विपत्तियों से घिरे होने के बावजूद भी यदि कोई अन्य विपत्ति आ जाती है, जिसका निराकरण कठिन होता है, इसे ही लेखक ने महाअंधेर कहा है। पाठ से आगे

2. जब सभी लेखक की अवहेलना कर रहे थे तब धर्मशाला के गलियारे में भिक्षुक ने उसकी सहायता और सेवा की। भिक्षुक के इस व्यवहार को पढ़ते-समझते हुए आपके मन में कौन से भाव उत्पन्न हुए ?

उत्तर - भिक्षुक के इस व्यवहार से हमारे मन में भी सहानुभूति और आतिथ्य सत्कार की भावना उत्पन्न होती है।

भाषा से

प्रश्न 1. 'अनधिकार' शब्द 'अन्' उपसर्ग के साथ 'अधिकार' शब्द के मेल से बना है जिसका अर्थ होता है बिना अधिकार के। आप भी 'अन्' उपसर्ग से बने दस शब्दों का निर्माण कीजिये।

उत्तर- अनाचरण, अपमान, अनापत्ति, अनावरण, अनादर, अनाधिकार, अनजान, अनपढ़, अनभिज्ञ।

प्रश्न 2. राम कहानी सुनाना, कोई चारा न होना, अपना रास्ता लेना, अथ से इति तक, अपना सा मुँह लेकर रह जाना, अकल गुम हो जाना, कोल्हू का बैल आदि मुहावरे हैं, जो इस पाठ में आए हैं। इन मुहावरों के अर्थ लिखिए और वाक्यों में प्रयोग भी कीजिये ।

उत्तर - 1. राम कहानी सुनाना = आप बीती सुनाना ।

वाक्य - सीता ने गीता को अपनी राम कहानी सुनाई।

2. कोई चारा न होना = कोई रास्ता नहीं रहना। 

वाक्य - जेल जाने के अलावा श्याम के पास कोई चारा न था।

3. अपना रास्ता लेना = अपना काम करना।

वाक्य - कल दिन निकलते ही श्याम ने अपना रास्ता ले लिया।

4. अपना सा मुँह लेकर आना = लज्जित होना।

वाक्य - छोटे भाई की बात सुनकर मैं अपना सा मुँह लेकर रह गया।

5. अकल गुम हो जाना = दिमाग काम न करना।

वाक्य - माँ के ऊपर अचानक संकट आने से उनकी अकल ही गुम हो गई।

प्रश्न 3. (क) एक 'स्टूल' बैठने के लिए दिया गया और पानी का एक गिलास ।

(ख) जब आदमी को और कोई सहारा नहीं रहता तब बुद्धि ही उसके काम आती है।

उपर्युक्त दोनों वाक्यों में 'और' शब्द के अलग-अलग अर्थ हैं। प्रथम वाक्य में' का अर्थ जुड़ाव जबकि दूसरे में 'अन्य' है। आप भी इसी तरह 'और' शब्द के भिन्न-भिन्न प्रयोग करते हुए पाँच-पाँच अन्य वाक्यों की रचना कीजिए।

उत्तर- 1. किसान के पास दो बैल हैं और एक गाय।

2. तुम यह काम नहीं कर सकते, कोई और काम ढूँढ लो।

3. वह कक्षा में बैठा और पढ़ने लगा।

4. भूखे आदमी को खाने के सिवाय और कोई रास्ता नहीं रहता।

5. यहाँ से चले जाने के अलावा कोई और रास्ता नहीं है।

प्रश्न 5. प्रातःकाल अपने साथी को न पाकर लेखक के मन में क्या विचार उठे होंगे? कल्पना करके लिखिये।

उत्तर - प्रातःकाल अपने साथी को न पाकर लेखक के मन में यह विचार उत्पन्न हुए कि निश्चित रूप से उसके कठिन समय को सहजता से व्यतीत करने के लिये ईश्वर ने उस अंधे भिखारी को भेजा होगा, अतः अपने साथी को प्रातःकाल न पाकर लेखक विचलित हुए।

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