पाठ 13 विजय बेला
श्री जगदीश चंद्र माथुर
शब्दार्थ - बंदोबस्त = प्रबंध, इन्तेजाम, रैयत = प्रजा, जनता शासित, सरताज = नायक, सरदार, करतूत = काम, कला, दिलेर = बहादुर साहसी, जर्राह = चीर फाड़ का काम करने वाला, शल्य चिकित्सक, फिरंगी = अंग्रेज, हुनर = कारीगरी, कला, बेताब = जो बेचैन हो, व्याकुल, मझदार = बीच धार, नदी के मध्य की धारा, खरीता = पत्र, चिट्ठी, लिबास = पोशाक, चोंबदार = ऐसे सेवक जो समाचार लाते ले जाते हैं, प्रतिरोध = बदला।
प्रश्न और अभ्यास
पाठ से
प्रश्न 1. इस एकांकी की घटना किस समय की है ?
उत्तर- इस एकांकी की घटना सन् 1857 का अंग्रेजों के विरुद्ध प्रथम स्वतंत्रता संग्राम की है जो दिल्ली के बादशाह बहादुर शाह जफर कानपुर के नाना साहब, झाँसी की रानी लक्ष्मीबाई आदि के नेतृत्व में लड़ा गया था।
प्रश्न 2. कुँवरसिंह विश्वनाथ सिंह पर क्यों नाराज हुए ?
उत्तर - कुँवरसिंह विश्वनाथ सिंह पर इसलिये नाराज होते हैं, क्योंकि विश्वनाथ सिंह कुँवरसिंह को घायल समझकर चिट्ठी . न पढ़ने को कहता, परन्तु कुँवरसिंह जिस भाई से दस माह से बिछड़े हैं उसकी चिट्ठी पढ़ने के लिये अच्छे होने का इंतजार नहीं करना चाहते हैं।
प्रश्न 3. भीमा अपने सरदार से बाबू वीर कुँवर सिंह के बारे में क्या कहता है ?
उत्तर - भीमा अपने सरदार से वीर सिंह के बारे में कहना चाहते है कि राजा वीर कुँवर सिंह के पीछे भोजपुर के किसानों, मल्लाहों, ग्वालों और रैयत की ताकत है। गरीबों का राजा कुँवर सिंह अमृत का घूँट पिया है।
प्रश्न 4. कुँवरसिंह ने अपनी बाँह काटकर गंगा जी को क्यों अर्पित कर दी ?
उत्तर - कुँवरसिंह को बाँह में गोली लगती है तथा उसका जहर सारे बदन में फैल रहा था, अतः कुँवरसिंह ने फैसला किया कि यह सड़ती, गलती हुई भुजा है इसे अलग करना होगा। इस प्रकार गंगा जी को बाँह अर्पित की।
प्रश्न 5. बच्चे-बच्चे के जबान पर चढ़े कुँवर सिंह के गीत का भाव क्या है ?
उत्तर - राजा कुँवर सिंह के राज्य-काल में सबके काम बन जाया करते थे। राजा कुँवर सिंह दीन-दुखियों के सरदार थे जिनके पास जाने में उन्हें कभी लज्जा नहीं आई। ऐसे राजा पर आज का दिन गर्व करता है। ये था राजा कुँवर सिंह का शासन।
प्रश्न 6. आप यह कैसे सिद्ध करेंगे कि सन् 1857 के स्वतंत्रता संग्राम में सभी वर्ग के लोगों ने संग्राम में भाग लिया था ?
उत्तर- सन् 1857 का संग्राम भारत की आजादी की शुरूआत मानी जाती है, जो कि अंग्रेजों के विरुद्ध करो या मरो की नीति पर आधारित था। इस संग्राम में बहादुरशाह जफर, तात्याटोपे, कुँवरसिंह, नाना साहब, रानी लक्ष्मीबाई, पेशवा, भोसले, सिंधिया आदि वीर पुरुषों ने अपने-अपने इलाकों में अंतिम साँस तक संग्राम किया। उक्त संग्राम भारत के सम्पूर्ण क्षेत्रों में विस्तारित हुआ। इतिहास गवाह है कि इस संग्राम में हर समुदाय हिन्दु, मुस्लिम, सिक्ख, ईसाई, शुद्र, क्षत्रिय, मराठा आदि ने अपने-अपने क्षेत्र में प्रतिनिधित्व किया इससे यह सिद्ध होता है कि सन् 1857 के स्वतंत्रता संग्राम में सभी वर्गों के लोगों ने भाग लिया।
प्रश्न 7. कुँवरसिंह ने वह कौन-सी शक्ति बतायी जिसके बल पर वे भोजपुर के राजा बने थे ?
उत्तर- अमरसिंह के पूछने पर कुँवरसिंह ने कहा कि वह देखो जेठ रैयत, मल्लाह, किसान अमरसिंह यही है वह शक्ति जिसके बल पर कुँवरसिंह भोजपुर का राजा है। यही है वह तुम्हीं जिसकी आवाज मेरे गले से निकलती थी और फिरंगी भाग जाते थे, नेह के बिना ज्योति कैसी प्रजा के बिना राजा कैसा इसलिये उनका साथ न छोड़ना।
प्रश्न 8. किसकी बदौलत कुँवर सिंह किनारे पर आ सके और कैसे ?
उत्तर- हरकिशुन की बदौलत कुँवर सिंह किनारे पर आ सके। हरकिशुन ने गाँव-गाँव में खबर फैला दी कि नावें नहीं मिल रही है। इसलिए कुँवर सिंह अपनी फौज के साथ बलिया घाट पर हाथियों से गंगा पार करेंगें। फिरंगी यह सून कर बलिया घाट की तरफ चले गये इस तरह कुँवर सिंह किनारे पर आ सके। प्रश्न 9. कुँवर सिंह के अनुसार युद्ध की क्या हुनर (कला) है ?
उत्तर- कुँवर सिंह के अनुसार शंतरजी चालों में मात-पर- मात देना ही युद्ध का असली हुनर है।
प्रश्न 10. अंग्रेजों ने मेरे भोजपुर के गरीब रैयतों को सताया, जिनके अरमानों का मैं आईना हूँ" संवाद के द्वारा एकांकीकार कुँवर सिंह के किन भावों को व्यक्त करना चाहता है।
उत्तर - कुँवर सिंह के राजहित भाव को व्यक्त करना चाहते है। वे फिरंगी से बदला लेना चाहते है। जिन्होंने उनके जगदीशपुर को क्षतिग्रस्त किया मंदिर नुमा राज्य पर हमला किया। गरीब' जनता को मुझसे बहुत सी उम्मीदें है।
प्रश्न 11. अनोखी भेंट क्या है? और कुँवर सिंह भेंट किसे देते है ?
उत्तर- अनोखी भेंट कुँवर सिंह कि भुजा है। कुँवर सिंह भेंट गंगा मैय्या को देते है।
प्रश्न 12. कुँवर सिंह अमर सिंह का राजतिलक करते हुए क्या सीख देते है ? और क्यों ?
उत्तर- कुँवर सिंह अमर सिंह का राजतिलक करते हुए सीख देते है कि प्रजा ही राजा की शक्ति है। प्रजा के बिना राजा शक्तिहीन है। जैसे- तेल के बिना ज्योति अधूरी है। प्रजा का साथ कभी ना छोड़ना।
प्रश्न 13. नावों को गंगा जी में डुबा देने के लिये महाराज कुँवरसिंह ने क्यों आदेश दिया था ?
उत्तर- क्योंकि यदि नावों का पता फिरंगियों को होता तो वे इसे नुकसान पहुँचा सकते थे इससे अगली बार इन नावों का उपयोग नहीं हो पाता इसलिये कुँवरसिंह ने नावों को गंगा जी में डूबा देने का आदेश दिया।
प्रश्न 14. महाराज कुँवरसिंह को अंग्रेजों के विरुद्ध युद्ध करने में इतनी सफलता किनके कारण मिली ?
उत्तर - महाराज कुँवरसिंह की शक्ति उनकी जनता थी जैसे-जेठ रैयत, मल्लाह, किसान ये वो व्यक्ति थे जिनके कारण कुँवरसिंह के गले से आवाज निकलती थी। जिसके कारण फिरंगी भाग निकलते थे इसका गुणगान वे स्वयं करते और कहते थे नेह के बिना ज्योति कैसी। इन्हीं सब कारणों से महाराज कुँवरसिंह को अंग्रेजों के विरुद्ध सफलता मिलती थी।
प्रश्न 15. महाराज कुँवरसिंह बहुत अधिक बीमार होने पर भी जगदीशपुर जाने के लिये क्यों बेताब थे ?
उत्तर- युद्ध भूमि में महाराज कुँवरसिंह हरकिशुन सिंह को कह रहे थे कि मेरे जमशेदपुर फौरन पहुँचने में ही हित है। जगदीशपुर के उजड़े महल मुझे बुला रहे हैं। मैं बेताब हूँ फिरंगी से बदला लेने के लिये, क्योंकि उन्होंने मेरा मंदिर ढहाया है।
प्रश्न 16. कुँवरसिंह ने भीमा से कहा था "मुझे भी एक साल से नशा है उन्हें कैसा नशा था?"
उत्तर - कुँवरसिंह ने भीमा से कहा था मुझे भी एक साल से
नशा है और वह नशा था केवल फिरंगियों को मात देने का।
प्रश्न 17. इन पंक्तियों का अर्थ प्रसंग देकर लिखिये।
(क) मैं मौत से नहीं डरता पर मौत को न्यौता भी नहीं देता।
प्रसंग - प्रस्तुत पंक्ति युद्ध कौशल को प्रदर्शित करती है।
अर्थ - लेखक कहते हैं कि कुँवरसिंह बहुत बहादुर और युद्ध को एक कला के रूप में मानता है जिसमें की शत्रु से आमने- सामने भिड़ना कला नहीं है शत्रु को उनकी शतरंजी चालों में उलझा कर मात देने में मजा आता है। कुँवरसिंह के रूप में लेखक कहता है मैं बहादुर हूँ मौत से नहीं डरता पर मौत को न्यौता भी नहीं देता, क्योंकि युद्ध करना एक कौशल है। वक्त आने पर वार करना भी जानता हूँ और हालात देखकर पीछे कदम बढ़ाता हूँ। मेरी दिलेरी के पीछे कोरा दिल ही नहीं दिमाग भी है।
(ख) कलावंत अपना हुनर दिखाने में चोट खा गया तो उसकी वह चोट सिंगार हो जाती है।
प्रसंग - प्रस्तुत पंक्तियाँ कलावंत के हुनर को प्रदर्शित करती हैं।
अर्थ - लेखक कहते हैं कि शत्रु को शतरंजी चाल द्वारा छकाने में मजा आता है। इसके आगे सब नशे फीके हैं कलावंत अपना हुनर दिखाते समय चोट खायें तो यह चोट श्रृंगार के समान परिलक्षित होती है।
(ग) नेह के बिना ज्योति कैसी, प्रजा के बिना राजा कैसा।
प्रसंग-प्रस्तुत पंक्ति में कुँवरसिंह अपनी प्रजा की तारीफ करते हैं।
अर्थ- कुँवरसिंह कहते है कि प्रजा ही मेरी शक्ति है तथा इसके दम पर ही फिरंगी भाग निकलते हैं इनका अटूट प्यार एक ज्योति के समान है जो मुझे इस प्रजा का राजा बनाकर रखता है।
पाठ से आगे
1. आप, 1857 की क्रांति अथवा सिपाही विद्रोह के बारे में इतिहास की पुस्तकों में पढ़े होंगे। इस क्रांति में भाग लेने वाले प्रमुख सेनानियों की एक सूची बनाइए।
उत्तर- 1857 की क्रांति में करो या मरो की नीति अपनाई थी। इस संग्राम में बहादुरशाह, जफर, तात्याटोपे, कुँवर सिंह, नाना साहब, रानी लक्ष्मी बाई, पेशवा, भोसले, सिंधिया आदि सेनानियों ने भाग लिया था।
प्रश्न 2. इस एकांकी को पढ़ते समय कौन सा पात्र आपको प्रभावित करता है और क्यों ?
उत्तर- इस एकांकी को पढ़ते समय राजा कुँवर सिंह का पात्र हमें प्रभावित करता है क्योंकि वह एक पराक्रमी, देशभक्त प्रजा के सुख दुःख को समझने वाले, प्रजापालक और अत्यन्त बुद्धिमानी राजा थे।
भाषा से
प्रश्न 1. पाठ में बहुत सारे मुहावरों का प्रयोग हुआ है जैसे लोहा मानना - श्रेष्ठता स्वीकार करना, आँखों में धूल झोंकना - देखते-देखते धोखा देना, अकल मोटी होना - कम बुद्धि, बदन में तूफान फूंकना - बेहद ऊर्जावान होना, अमृत की घूँट पीना - अमर होना, मौत को न्यौता देना - जान बूझ कर मृत्यु को आमंत्रण देना, इन मुहावरों का स्वतंत्र रूप से वाक्य में प्रयोग कीजिए और पाठ से अन्य मुहावरों को खोज कर लिखिए।
उत्तर- 1. लोहा मानना = किसी के वर्चस्व को स्वीकार करना।
वाक्य - राम ने श्याम को तलवार बाजी में लोहा बनवाया।
2. आँखों में धूल झोंकना = धोखा देना।
वाक्य- पॉकेट मार ने आँखों में धूल झोंक कर जेब निकाल लिये।
3. अकल मोटी होना = कम बुद्धि।
वाक्य- मोहन की अकल मोटी है। वो बहुत देर से समझता है।
4. बदन में तूफान फूंकना = बेहद ऊर्जावान ।
वाक्य - सारी जनता को देख कर राजा के बदन में तूफान फैंक दिया।
5. अमृत की घूँट पीना = अमर होना।
वाक्य - गरीबों का राजा अमृत का घूँट पीया है।
6. मौत को न्यौता देना = जान-बूझ कर मृत्यु को निमंत्रण देना।
वाक्य- चूहा शेर के सामने जा कर अपनी मौत को दे रहा है।
अन्य मुहावरें - आँखों से गिरना = आदर घट जाना। वाक्य - रमेश अपनी हरकतों के कारण हम सब की औ से गिर गया।
प्रश्न 2. पाठ में ध्वन्यात्मक शब्दों का प्रयोग हुआ है, पानी के लिए हम छप-छप वैसे ही निम्नलिखित सन्दर्भों के ध्वन्यात्मक शब्द लिखिए -
उत्तर-
1. तेज हवा की प्रवाह –सर-सर
2. नदी की धारा– कल-कल
3. पैरों की ध्वनि –टप-टप
4. खाली हवेली या घर –खंडहर
5. आग की लपटें– धू-धू।
प्रश्न 3. पाठ में प्रयुक्त जातिवाचक और भाववाचक संज्ञा का चुनाव कीजिए -
जहरीला, दिलेरी, हाहाकार, कलाकारी, हरकारा, साठ दिलेर, कलावंत, जर्राह, शतरंजी, बेताबी, जहर, नालायक जासूसी।
उत्तर-
जातिवाचक संज्ञा भाववाचक संज्ञा
सरदार सरदारी
दिलेर दिलेरी
हाहाकार जासूसी
कलावन्त बेताबी
जहर शतरंजी
हरकारा नालायकी
कलाकारी
जहरीला
प्रश्न 4. 'भला' शब्द के दो अर्थ हैं दोनों अर्थों में ऐसे दो वाक्य बनाइये जिनसे उनके अर्थ का अंतर स्पष्ट हो जाये।
उत्तर- 1. भला - भला व्यक्ति समाज में हमेशा ही इज्जत पाता है।
2. भला - हमें अपने जीवन में भले कार्य कर परोपकार करना चाहिये।
प्रश्न 5. इस एकांकी की कथा संक्षेप में लिखिये।
उत्तर- अंग्रेजों की दासता से मुक्ति पाने हेतु जिस प्रकार पूरा राष्ट्र प्रयासरत था उसी प्रकार जगदीशपुर के महाराज कुँवरसिंह जी, जो अतुल पराक्रमी थे उनमें कमाल की संगठन शक्ति थी। वे अत्यंत वीरता के साथ दुश्मनों के शतरंजी चालों का अपने प्रखर दिमाग से उत्तर देते थे। जिस कारण से फिरंगी उनसे पराजित होते रहे। कुँवरसिंह फिरंगी के हर वार को थोथा साबित करते रहे जिससे फिरंगी उनको परास्त करने हेतु नयी-नयी चाल चलने लगे इन सारी चालों को धता बताते हुए वे गंगाजी को पार कर गये इस प्रयास में वे घायल भी हो गये परन्तु वीरता की मिसाल कायम करते हुये स्वतः ही बाँह को काटकर गंगाजी में अर्पित कर दिया। इतना होने के पश्चात् भी जहर उनके शरीर में फैल चुका था अन्तः जगदीशपुर के महल पर तिलक कर अंतिम साँसों की ओर प्रयाण कर गये।
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