पाठ 11 हमारा छत्तीसगढ़
श्री लखनलाल गुप्ता
शब्दार्थ - उच्च = ऊँचा, गिरि = पर्वत, सुभग = राजा का नाम, कानन = जंगल, संयुक्त = मिला जुला, भव्य = विशाल (बड़ा), अनुपम = अनोखा, अंश = हिस्सा, वंश = खानदान ।
प्रमुख पद्यांशों की व्याख्या
1. उच्च गिरि कानन से संयुक्त, भव्य भारत का अनुपम अंश जहाँ था करता शासक सुभग, वीर गर्वित गोंड़ों का वंश।
संदर्भ - प्रस्तुत पद्यांश हमारी पाठ्य पुस्तक भारती के पाठ 11 'हमारा छत्तीसगढ' कविता से अवतरित है।
प्रसंग - इस गद्यांश में कवि छत्तीसगढ़ का परिचय देते हुए भव्य महिमा बताया है।
व्याख्या - कवि कहते हैं कि-ऊँचे-ऊँचे पर्वतों से घिरा हुआ सुन्दर-सुन्दर हरे-भरे लहलहाते वनों से आच्छादित हमारा छत्तीसगढ़ भव्य भारत भूमि का निराला भाग है। जहाँ पर वीर गर्व से अतिभूत गोंड़ वंश का राजा सुभग शासन करता था।
विशेष - प्रस्तुत पद्यांश छत्तीसगढ़ राज्य की भव्य महिमा को प्रतिपादित कर रहा है।
2. नर्मदा, महानदी, शिवनाथ आदि सरिताएँ पूत ललाम । प्रवाहित होतीं, कलकल नाद, हमारा छत्तीसगढ़ अभिराम ।।
शब्दार्थ - पूत = बेटा, प्रवाहित = बहना, कलकल = नदी के बहने की आवाज, अभिराम = आँखों को प्यारा लगने वाला, नाद = आवाज ।
संदर्भ - प्रस्तुत पद्यांश हमारी पाठ्य पुस्तक भारती के पाठ 11 'हमारा छत्तीसगढ' कविता से अवतरित है।
प्रसंग – प्रस्तुत पंक्तियों में नदियों का समागम है, का वर्णन किया गया है।
व्याख्या - कवि कहते हैं कि हमारे इस छत्तीसगढ़ राज्य में नर्मदा, महानदी, शिवनाथ इत्यादि नदियाँ बेटों के समान इस राज्य में कलकल शब्दों का नाद करती हुई, प्रवाहित होती है तथा इस छत्तीसगढ़ राज्य की नयनाभिराम झाँकी प्रस्तुत करती हैं। विशेष - प्रस्तुत गद्यांश छत्तीसगढ़ राज्य की नदियों की नयनाभिराम झाँकी को प्रस्तुत कर रहा है।
3. रत्नपुर करता गौरव प्रकट, सुयश गाता प्राचीन मल्हार । नित्य उन्नति-अवनति का दृश्य,देखता दलहा खड़ा उदार ।।
शब्दार्थ - गौरव = गुणगान, प्रकट = दिखलाना, सुयश = कीर्ति, प्राचीन = पुराना, मल्हार = राग का नाम, नित्य = रोज, उन्नति = आगे बढ़ना, अवनति = पतन ।
संदर्भ - प्रस्तुत पद्यांश हमारी पाठ्य पुस्तक भारती के पाठ 11 'हमारा छत्तीसगढ' कविता से अवतरित है।
प्रसंग - कवि ने प्रस्तुत पंक्तियों में प्राचीनतम मंदिरों की गौरव-गाथा का बखान किया है।
व्याख्या - छत्तीसगढ़ राज्य का गौरव रतनपुर के रूप में प्रकट होता है तो इसका यश मल्हार के रूप में गीत गाता है। इसकी उन्नति, अवनति का दृश्य प्राचीन समय से दलहा पहाड़ उदारतापूर्वक देखता हुआ खड़ा है।
विशेष- दलहा पहाड़ पंक्ति में उपमा अलंकार है।
4. तीर्थस्थल राजिम परम पुनीत और शिवरीनारायण धन्य । कह रहे महानदी तट सतत्, यहाँ की धर्म कथाएँ रम्य ॥
शब्दार्थ - तीर्थस्थल = तीर्थ स्थान (पवित्र स्थान), पुनीत = पवित्र, सतत् = हमेशा, कथाएँ - कहानियाँ, रम्य = दर्शनीय ।
संदर्भ - प्रस्तुत पद्यांश हमारी पाठ्य पुस्तक भारती के पाठ 11 'हमारा छत्तीसगढ' कविता से अवतरित है।
प्रसंग - कवि ने इन पंक्तियों के माध्यम से तीर्थस्थानों का अलौकिक वर्णन किया है।
व्याख्या - राज्य के राजिम एवं शिवरीनारायण के परम पुनीत तीर्थस्थल के रूप में पाकर हम धन्य हो गए, उसी प्रकार महानदी के तट पर अनवरत धर्म कथाएँ होने से रमणीय वातावरण निर्माण होता है।
विशेष - छत्तीसगढ़ के अलौकिक तीर्थ स्थल पाकर हम धन्य हो गये।
5. प्रकृति का क्रीड़ा स्थल कमनीय, यहाँ है वन-संपदा अपार । भूमि से भरा हुआ है विपुल, कोयले लोहे का भंडार ॥
शब्दार्थ - क्रीड़ा स्थल खेल का मैदान, कमनीय = सुन्दर स्त्री, अपार = अत्यधिक, विपुल = अथाह ।
संदर्भ - प्रस्तुत पद्यांश हमारी पाठ्य पुस्तक भारती के पाठ 11 'हमारा छत्तीसगढ' कविता से अवतरित है।
प्रसंग - वन संपदा का वर्णन इन पंक्तियों के माध्यम से किया है।
व्याख्या - प्रकृति द्वारा प्रदत्त वनसम्पदा का अपार भण्डार भूमि में भरा हुआ है, उसी प्रकार कोयला, लोहा आदि का अपार भण्डार होने से राज्य प्रकृति का क्रीड़ा स्थल प्रतीत होता है। वन सम्पदा की तुलना सुन्दर स्त्री से की है।
विशेष - अथाह वन-सम्पदा उक्त पंक्तियों की विशेषता है। 6. यहाँ का है सुन्दर साहित्य, हुए हैं बड़े-बड़े विद्वान। कीर्ति है जिनकी व्याप्त विशेष, आज भी पाते सम्मान ।।
शब्दार्थ - साहित्य = इतिहास, कीर्ति – यश, व्याप्त = विस्तारित (फैला हुआ), सम्मान = आदर । संदर्भ - पूर्ववत् ।
संदर्भ - प्रस्तुत पद्यांश हमारी पाठ्य पुस्तक भारती के पाठ 11 'हमारा छत्तीसगढ' कविता से अवतरित है।
प्रसंग - प्रस्तुत पंक्तियों के माध्यम से कवि विद्वानों के इतिहास, उनके सम्मान का वर्णन करते हैं। व्याख्या- कवि कहते हैं कि छत्तीसगढ़ राज्य का इतिहास काफी प्राचीन एवं सुन्दर है, ऐसे बड़े-बड़े विद्वानों का कथन है कि जिसका यश आज भी प्रकृति विशेष में व्याप्त है जिसक कारण से विद्वान विशेष सम्मान को प्राप्त करते हैं जनसमुदाय के बीच।
विशेष- विद्वान जन-समुदाय के बीच सम्मान प्राप्ष्ट करते हैं।
7. कौन कहता यह पिछड़ा हुआ ?अग्रसर है उन्नति की ओर। कटोरा यही धान का कलित, चाहते सभी कृपादृग कोर ॥
शब्दार्थ - अग्रसर आगे की ओर, कलित = सुदर कृपादृग = कृपा चारों ओर बनी रहे।
संदर्भ - प्रस्तुत पद्यांश हमारी पाठ्य पुस्तक भारती के पाठ 11 'हमारा छत्तीसगढ' कविता से अवतरित है।
प्रसंग - प्रस्तुत पंक्तियों के माध्यम से धान का कटोरा को उन्नति का वर्णन किया है।
व्याख्या- कवि कहते हैं कि कौन कहता है कि हमारा छत्तीसगढ़ राज्य पिछड़ा हुआ है, यह तो उन्नति की ओर आगे बढ़ता जा रहा है। जैसा कि सर्वविदित है कि छत्तीसगढ़ धान का कटोरा कहलाता है, सभी चाहते हैं कि ईश्वर की कृपा इसी तरह चारों ओर बनी रहे।
8. नहीं यह कभी किसी से न्यून, अन्न दे करता है उपकार। उर्वरा इसकी पावन भूमि, अन्न उपजाती विविध प्रकार ॥
शब्दार्थ - न्यून = छोटा, उपकार = अहसान, उर्वरा = उपजाऊ, पावन भूमि = पवित्र भूमि, उपजाती = उगाती है।
संदर्भ - प्रस्तुत पद्यांश हमारी पाठ्य पुस्तक भारती के पाठ 11 'हमारा छत्तीसगढ' कविता से अवतरित है।
प्रसंग - प्रस्तुत पद्यांश में छत्तीसगढ़ राज्य की उर्वरा शक्ति का वर्णन किया गया है।
व्याख्या- कवि कहते हैं कि हमारा छत्तीसगढ़ राज्य विश्व में किसी से कम नहीं है यह निरन्तर उन्नति की ओर अग्रसर हो रहा है। इस राज्य की पावन भूमि का उपजाऊपन काफी मात्रा में है, नाना प्रकार के अन्न उपजाने की क्षमता रखती है।
9.ईश से विनय यही करबद्ध,प्रगति पथ पर होते गतिमान। हमारा छत्तीसगढ़ सुख धाम, करें सादर इसका गुणगान ॥ शब्दार्थ - विनय = प्रार्थना, करबद्ध = हाथ जोड़कर, गतिमान = चलना, गुणगान = यशगान ।
संदर्भ - प्रस्तुत पद्यांश हमारी पाठ्य पुस्तक भारती के पाठ 11 'हमारा छत्तीसगढ' कविता से अवतरित है।
प्रसंग - प्रस्तुत पद्यांश में सुखधाम छत्तीसगढ़ का वर्णन अद्वितीय है।
व्याख्या- कवि इन पंक्तियों के माध्यम से ईश्वर से यही प्रार्थना करना चाहता है कि हमारा छत्तीसगढ़ जैसा सुख, समृद्ध राज्य निरन्तर प्रगति पथ पर गतिमान होता रहे और विश्व में इसका आदर सहित गुणगान होता रहे ।
प्रश्न और अभ्यास
पाठ से
प्रश्न 1. किन-किन नदियों के कलकल नाद से छत्तीसगढ़ अभिराम बनता है ?
उत्तर- हमारे छत्तीसगढ़ में नर्मदा नदी, महानदी, शिवनाथ नदी के कलकल नाद से छत्तीसगढ़ अभिराम बनता है।
प्रश्न 2. कविता के सन्दर्भ में यह राज्य किस प्रकार उन्नति की ओर अग्रसर है ?
उत्तर - हमारे राज्य की भूमि उपजाऊ है। इसमें हर प्रकार के अन्न उपजाने की क्षमता है। इसलिए इस राज्य को "धान का कटोरा" भी कहा जाता है। इस तरह हमारा राज्य उन्नति की ओर अग्रसर है।
प्रश्न 3. कवि का ईश्वर से करबद्ध विनय क्या और क्यों है ?
उत्तर- कवि का ईश्वर से करबद्ध विनय है कि हमारा छत्तीसगढ़ सुख, समृद्ध निरंतर प्रगति पथ पर गतिमान रहे, किसी भी रूप में पिछड़ा ना रहे।
प्रश्न 4. हमारा छत्तीसगढ़ किन-किन संपदा से परिपूर्ण है?
उत्तर- हमारे छत्तीसगढ़ में वन संपदा का आपार भंडार है। इसके साथ ही लोहा और कोयला का भी भंडार है।
प्रश्न 5. कविता पंक्ति 'कृपादृग कोर 'के द्वारा कवि किन- किन भावों को व्यक्त करना चाहता है ?
उत्तर- कविता की पंक्ति जैसे की सर्वविदीत है कि छत्तीसगढ़ धान का कटोरा कहलाता है। ईश्वर की इसी तरह कृपा चारों ओर बनी रहे। कवि ईश्वर की कृपा भाव को व्यक्ति करना चाहते हैं।
प्रश्न 6. भव्य भारत का अनुपम अंश कवि ने किसे और क्यों कहा है ?
उत्तर- कवि ने छत्तीसगढ़ को भव्य भारत का अनुपम अंश कहा है क्योंकि यहाँ वीर गर्व से अतिभूत गोंड़वंश का राजा सुभग शासन करता था।
प्रश्न 7. छत्तीसगढ़ की यह भूमि, हम पर किस प्रकार उपकार करती है ? उत्तर- छत्तीसगढ़ की इस भूमि का उपजाऊपन काफी है। नाना प्रकार के अन्न उपजाने की शक्ति (क्षमता) रखती है। अपने देश में ही नहीं वरन दूसरे देशों को भी अन्न निर्यात करने की क्षमता रखती है।
प्रश्न 8. महानदी का तट क्यों प्रसिद्ध है ?
उत्तर- राजिम एवं शिवरीनारायण महानदी पर बसे धार्मिक स्थल हैं, उसी प्रकार महानदी के तट पर अनवरत धर्मकथाएँ होने के कारण वहाँ का वातावरण रमणीय बनता है। महानदी के दोनों तटों पर भूमि अत्यधिक उपजाऊ होने के कारण अच्छी पैदावार होती है।
प्रश्न 9. कवि ने ईश्वर से क्या प्रार्थना की है ?
उत्तर-कवि ने ईश्वर से यह प्रार्थना की है कि हमारा छत्तीसगढ़ अपनी तमाम विशेषताओं के साथ सदैव विकास का रास्ता तय करता रहे। विश्व में इसका आदर सहित गुणगान होता रहे। यह लोगों के लिए सुख का धाम बना रहे।
प्रश्न 10. कवि ने छत्तीसगढ़ को प्रकृति का कमनीय क्रीड़ास्थल क्यों कहा है?
उत्तर - कवि ने छत्तीसगढ़ को प्रकृति का कमनीय अर्थात् (सुन्दर स्त्री) क्रीड़ा स्थल इसलिए कहा है, क्योंकि इसकी तुलना यहाँ की वन सम्पदा से की गई है।
पाठ से आगे
प्रश्न 1. राज्य के सभी पंथों के प्रमुख तीर्थ स्थल कौन- कौन से है ? उनमें से आप ने और आपके साथियों ने कुछ को देखा भी होगा, उन पर अपने साथियों से चर्चा कर उस स्थल की विशेषताओं को लिखिए।
उत्तर- हमारे राज्य में शिवरीनारायण, रतनपुर, राजिम तीर्थ स्थल है।
राजिम - छत्तीसगढ़ के गरियाबंद जिले में बसा राजिम अत्यधिक प्रसिद्ध दर्शनीय स्थल है। यहाँ का शिव मंदिर तथा कुलेश्वर महादेव का मंदिर राज्य में प्रसिद्ध है। प्रत्येक वर्ष यहाँ कुंभ का मेला लगता है मेले में अनेक नागा, साधू दूर-दूर से आते है। यहाँ - महानदी, सोंदूर नदी, पैरी नदी का संगम है।
भाषा से
प्रश्न 1. भोले-भाले, ओर-छोर, काम-धाम, अनाप-शनाप जैसे शब्दों के प्रयोग शब्द सहचर कहलाते हैं। इस पाठ से एवं अपने परिवेश में प्रयुक्त होने वाले शब्द सहचरों को चुनकर वाक्य में प्रयोग कीजिए।
उत्तर- 1. आना-जाना, 2. ऊपर-नीचे, 3. गोरा-काला, 4. इधर-उधर ।
प्रश्न 2. कविता में 'कमनीय' शब्द का प्रयोग हुआ है - जो 'कामिनी' शब्द में 'ईय' प्रत्यय के योग से बना है वे शब्दांश जो शब्द के अन्त में जुड़कर शब्द के अर्थ में परिवर्तन अथवा विशेषता उत्पन्न करे, प्रत्यय कहलाते हैं। आप दिए गए शब्दों में 'ईय' प्रत्यय का प्रयोग कर लिखिए - पठन, दर्शन, भारत, गमन, श्रवण, वर्णन ।
उत्तर-
1. पठन - पठनीय ।
वाक्य प्रयोग - सभी विषय पठनीय होते हैं।
2. दर्शन - दर्शनीय
वाक्य प्रयोग - छत्तीसगढ़ में अनेक दर्शनीय स्थल हैं।
3. भारत - भारतीय
वाक्य प्रयोग - हम भारतीय हैं इसका हमें गर्व होना चाहिये।
प्रश्न 3. इस कविता में से अनुप्रास अलंकार के दो उदाहरण लिखिए।
उत्तर-
1. कटोरा यही धान का कलित, चाहते सभी कृपा दृग कोर ।
2. प्रकृति का क्रीड़ा स्थल कमनीय, यहाँ है वन-संपदा अपार ।
प्रश्न 4. प्यारा, न्यारा, दुलारा, इन शब्दों की सहायता से चार पंक्तियों की कविता की रचना कीजिए। कविता की पहली पंक्ति इस प्रकार भी हो सकती है-
उत्तर- हम छत्तीसगढ़ के, छत्तीसगढ़ हमारा है- प्यारा, प्यारा राज दुलारा, औरों से यह न्यारा है, भव्य भारत देश का अंश, छत्तीसगढ़ न्यारा है। पवित्र पावन नदियों का संगम, भव्य इतिहास इसका है, हम छत्तीसगढ़ के, छत्तीसगढ़ हमारा है ॥
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