हिंदी कक्षा 8वीं पाठ 4 पचराही /Pachrahi

पाठ 4 पचराही

 छत्तीसगढ़ी शब्द मन के हिन्दी अर्थ

जगजाहिर = विश्वप्रसिद्ध

तइहाजुग = प्राचीनकाल

खंडहर = खंडहर

अगासदिया = आकाश दीप

बरगत हे = फैल रहा है

पुरातत्व = प्राचीन वास्तुकला

भंडार = उत्तर दिशा

कोरा = गोद

साक्त = शक्ति के उपासक

वैष्णव = विष्णु उपासक

ठउर = स्थान, ठिकाना

स्थापत्य = भवन निर्माण की कला

शिल्पकला = मूर्ति बनाने की कला

स्थायित्व = ठहराव

समरसता = समानता, समभाव

जीवाश्म = हजारों वर्षों से मिट्टी में दबे प्राणियों अथवा           वनस्पतियों के अंश

मुताबिक = अनुसार

मौलुस्का = घोंघा की प्रजाति

परकोटा = चहारदीवारी

पायला = सीप

पट्ट = पत्थर पर

वैपारिक = व्यापारिक

आम = सामान्य जन

महत्तम = महत्व

पंचायतन = मंदिर निर्माण की एक शैली

ठिहा = केन्द्र, नियत स्थान

मंडप = मंदिर का अग्र भाग

खास = विशिष्ट

मँझोत = मध्य, केंद्र

कलात्मक = कला से परिपूर्ण

प्रश्नोत्तरी

पाठ से-

निम्नलिखित प्रश्नों के उत्तर लिखिये -

प्रश्न 1. पचराही के नाँव पड़े के कारण बतावव । (पचराही के नाम पड़ने के कारण बताइए।)

उत्तर-पचराही गाँव के सियान मन कहिथें कि इहाँ ले पाँच राह माने रस्ता रतनपुर, मंडला, सहसपुर, भोरमदेव (चौरागढ़) अउ लैंजिका (लॉजी) बर निकले हैं। तेखर सेती एखर नाँव पचराही परे हे।

(पचराही गाँव के बुजुर्ग कहते हैं कि यहाँ से पाँच राह याने रास्ता रतनपुर, मंडला, सहसपुर, भोरमदेव (चौरागढ़) और लंजिका (लॉजी) के लिए निकले हैं। इसीलिए इसका नाम पचराही पड़ा है।)

प्रश्न 2. पचराही म कोन कोन धर्म से संबंधित मंदिर के अवशेष मिले हे ?

(पचराही में कौन-कौन से धर्म से संबंधित मंदिर के अवशेष मिले हैं ?)

उत्तर-पचराही म वैष्णव, शाक्त अउ जैन धर्म से संबंधित मंदिर के अवशेष मिले है।

(पचराही में वैष्णव, शाक्त और जैन धर्म से संबंधित मंदिर के अवशेष मिले हैं।)

प्रश्न 3. पचराही म कोन कोन जलीय प्राणी के जीवाश्म मिले हे ?

(पचराही में कौन-कौन से जलीय प्राणी के जीवाश्म मिले हैं ?)

उत्तर-पचराही म मोलुस्का (घोंघा) अउ पाइला (सीप) जलीय प्राणी के अवशेष मिले हे।

(पचराही में मोलुस्का और पाइला जलीय प्राणी के अवशेष मिले हैं।)

प्रश्न 4. कोन कोन ठउर ल छत्तीसगढ़ के कला-संस्कृति के अगासदिया कहेगे हे ?

(कौन-कौन सी जगह छत्तीसगढ़ की कला-संस्कृति के आकाशदीप कहे जाते हैं ?)

उत्तर-राजिम, शिवरीनारायण, सिरपुर, मल्हार, ताला, रतनपुर, डीपीडीह, भोरमदेव घटियारी, बारसूर, दंतेवाड़ा हमर कला-संस्कृति के अगासदिया आँय, जेकर अँजोर दुनिया म बगरत है।

(राजिम, शिवरीनारायण, सिरपुर, मल्हार, ताला, रतनपुर, डीपीडीह, भोरमदेव घटियारी, बारसूर, दंतेवाड़ा, छत्तीसगढ़ के कला-संस्कृति के आकाशदीप कहे जाते हैं।)

प्रश्न 5. पचराही के खोदाई ले मिले जिनिस मन के सूची बनावव ।

(पचराही की खुदाई से मिलने वाले चिन्हों की सूची बनाओ)

उत्तर-पचराही के खोदाई ले मिले जिनिस मन हे-जइसे

(i) कुम्हार अउ लोहार मन के उपयोग के जिनिस।

(ii) लाइका मन के खेलौना।

(iii) माटी के माला।

(iv) लोहा, तामा के औजार अऊ गहनागूठा आदि।

(पचराही की खुदाई से मिलने वाले चिन्हों की सूची निम्न हैं-

(i) कुम्हार और लोहार के उपयोग की वस्तुओं के चिन्ह।

(ii) बच्चों के खिलौने।

(iii) मिट्टी की बनी मालाएँ।

(iv) लोहा, ताँबा के हथियार और गहने आदि।)

भाषा से -

प्रश्न 1. खाल्हे म लिखाए सब्द मन ल पढ़व अउ ऊँखा हिन्दी समानार्थी सब्द बतावव -

(नीचे लिखे शब्द को पढ़ो और उसके समानार्थी शब्द बतायें)

नानकुन, फिली, पाछू, उपर, सरलग।

उत्तर-छत्तीसगढ़ी शब्द के हिन्दी समानार्थी शब्द हैं-

(i) नानकुन = छोटा-सा या लघु

(ii) पहिली = पहला

(iii) पाछु = पीछे

(iv) उपर = ऊपर

(v) सरलग = लगातार ।

प्रश्न 2. ए सब्द मन ल पढ़व आउछत्तीसगढ़ी के अइसन शब्द मन ला खोज के लिखव-

(शब्द को पढ़ो और छत्तीसगढ़ी के ऐसे शब्दों को खोज कर लिखो)

बैपारिक केन्द्र, नवा-परदेस, गजब-दिन, चाकर-ईंटा,

जुन्ना-जिनिस ।

उत्तर-विशेषण बताने वाले छत्तीसगढ़ी शब्द निम्न हैं-

सुग्घर - मूर्तिकार,

राज - पुरुष,

सरलग - खुदाई, जुन्ना - पथरा ।

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