मेरी भूटान यात्रा भाग– दो
इमिग्रेशन ऑफिस की सारी औपचारिकताएं पूरी करने और प्रविष हेतु परमिट मिलने के अंतराल में हम उस ऑफिस के नजदीक 100मीटर की दूरी पर स्थित ज़ंग्टो पेलरी लखांग को घूमने का निश्चय किया जो वहां एक प्रमुख दर्शनीय स्थल में से एक है अत्यंत पवित्र और शांतिमय वातावरण में बौद्ध धर्म के उस पवित्र मंदिर में दर्शन करने और प्रार्थना चक्रों की परिक्रमा करने के बाद हम इसके बगल में स्थित ज़ंग्टो पेलरी पार्क भी देखने गए। यह जगह पूरी तरह से बच्चों के अनुकूल है और हमने निश्चित रूप से अपने परिवार के साथ एक शानदार समय यहां व्यतीत किया । यहां बौद्ध भिक्षुओं को प्रार्थना करते हुए देखा, जबकि अलग - अलग स्थान से आए पर्यटक पार्क में घूम रहे थे। निश्चय ही इस पार्क की पवित्रता और शांति ही इसे इतना खास और सबसे ज़्यादा रेटिंग वाला पर्यटक स्थल बनाती है।
इसके उपरांत हम फुएंत्शोलिंग बाज़ार की सैर पर निकल पड़े।शॉपिंग के शौकीन लोगों के लिए फुएंत्शोलिंग बाजार एक अद्भुत बाज़ार है, जो खूबसूरत चीज़ों से भरा हुआ है। यहां अलग अलग तरह के पूर्णत ऑर्गेनिक खाद्य पदार्थ मिलते है।हमने कांस्य और पीतल की मूर्तियों के साथ-साथ सुंदर स्मृति चिन्ह भी यहां से खरीदा ।
हांलाकि गाइड ने बताया कि आगे भूटान के पारो और थिम्फू जिले में हैंडीक्राफ्ट के अलग से बाजार है जहां चीजें फुएंत्शोलिंग बाजार से ज्यादा सस्ते दामों पर प्राप्त कर सकते हैं। अब हमने वापस इमिग्रेशन ऑफिस वापस आ कर अपने भूटान में प्रवेश की अनुमति प्राप्त करने के उपरांत हमारी trip organiser madam चीज़न और गाइड प्रमुख दोरजी सर द्वारा ऑफिशियली एक सफेद स्कार्फ हमारे गले में पहना कर भूटान में हमारा स्वागत किया और शुभकामनाएं दी। अंततः अब हम पूरी तरह तैयार थे भूटान प्रवेश के लिए ।हमारी लग्जरी बस आ कर खड़ी थी हमारे लिए तय किए गाइड नुदिप के साथ।ट्रिप ऑर्गेनाइजर चीजन मैडम और दोरजी सर को वहीं अलविदा कहकर हमने प्रवेश किया भूटान द्वार में।
दोस्तों भूटान गेट भारत से आने-जाने का मुख्य प्रवेश और निकास द्वार है।यह इमिग्रेशन ऑफिस के ठीक बगल में स्थित है, और मेरा विश्वास करें की यह गेट अद्भुत है, जिसमें उत्तम लकड़ी की कलाकृति और बहुत ही बारीक नक्काशी की गई आस-पास के क्षेत्र में अच्छी तरह से बनाए गए फूलों के गलियारे तैयार कर एक अतिसुंदर सेटअप बनाया गया है जो सहजता से पर्यटकों का मन मोह लेते है।
चूंकि आगे पहाड़ और खाईयां थी इसलिए हमारी बस 35से 40 की स्पीड से बहुत ही सावधानी से आगे बढ़ रही थी। साथ ही हमारे गाइड निदुप हमे रास्ते भूटान संबंधी अन्य जानकारियां भी देते जा रहे थे चूंकि भूटान की भाषा जोंगखा होती है इसके अतिरिक्त उनके लिए अंग्रेजी भी परिचित भाषा होती है इसलिए वह संबंधित जानकारियां का आदान - प्रदान अंग्रेजी में ही कर रहे थे । कुछ लोग हमारी टीम में ऐसे थे जिनकी अंग्रेजी थोड़ी कमजोर थी ऐसे लोगों के लिए मेरा बेटा सौम्य शर्मा अनुवादक की तरह कार्य कर रहा था । जैसे - जैसे बस आगे बढ़ रही थी हमारे समक्ष पर्वत,घाटी, जंगल,झरनों का अद्भुत दृश्य उपस्थित हो रहा था जो बड़ा ही मनोहर लग रहा था पर्वतों की चोटियों पर झूमते बादल बरबस ही सबका ध्यान अपनी ओर खींच रहे थे। आगे बढ़ते हुए हमारा पहला चेक पोस्ट आ गया जहां हमारे डॉक्यूमेंट्स की जांच होनी थी उस जगह को करबंडी कहा जाता है । जांच - पड़ताल में लगभग 15मिनट का समय लगा उसके नजदीक ही एक अतंत रमणीक स्थल करबंडी मठ था। हमारे गाइड निदुप ने हमें बताया कि
फुएंत्शोलिंग के अपने दर्शनीय स्थलों की यात्रा पर करबांडी या रिनचेंडिंग गोएम्बा एक अद्भुत दर्शनीय स्थल है, जहाँ रिनपोछे, शाक्यमुनि और शबद्रुंग न्गवांग की मूर्तियाँ हैं। उनका दर्शन कर इसके हरे-भरे बगीचे में टहलते हुए हमने 8 तिब्बती-बौद्ध स्तूपों को देखा और फुएंत्शोलिंग शहर और बंगाल के मैदान के मनोरम दृश्य का आनंद लिया और समीप ही बंगाल की तिस्ता नदीभी दिखाई पड़ रही थी। हमने वहां बगीचे में अपनी तश्वीरें भी मोबाइल से ली।
भूटान दक्षिण पूर्व एशिया में एक अलग-थलग देश है, जो पूर्वी हिमालय में स्थित है। भूटान एक रहस्यमयी देश है जो समानांतर ब्रह्मांड में मौजूद प्रतीत होता है। कई लोगों को यह आकर्षक लगता है, जैसे कि यह किसी कहानी की किताब से निकला हो।
अब हम पुनः बस पर सवार हो कर भूटान की राजधानी थिम्फू की ओर बढ़ रहे थे ।इस यात्रा के दौरान हमारे समक्ष कभी अचानक पूरा का पूरा वातावरण धुन्ध से भर जाता और सामने कुछ दिखाई न देता कभी अचानक सूरज अपनी किरणें बिखेरता प्रकट हो जाता । अद्भुत नजारा था वह। आगे बढ़ते हुए हम अनेक जगह रुकते हुए प्रकृति का आनंद लेते हुए भी देखे जा सकते थे। निदुप ने हमें भूटान के विषय में बताया कि
1974 तक भूटान शेष विश्व से पूरी तरह कटा हुआ था। 1974 में, देश ने अपनी स्थापना के 64 वर्ष बाद पहली बार नए राजा के राज्याभिषेक को मीडिया द्वारा कवर करने की अनुमति दी।
भूटान में कोई ट्रैफिक लाइट नहीं है।
भूटान की सड़कें डरावनी हैं, पहाड़ी इलाकों में तीखे मोड़ हैं। ये रास्ते ऐसे हैं, जिनका इस्तेमाल गाय और भैंस जैसे जानवरों के झुंड करते हैं।
सड़क के बीच में भी लोग एक दूसरे का स्वागत करने के लिए रुकते हैं। दूसरी ओर, भूटानी ड्राइवर धीरे-धीरे और सावधानी से गाड़ी चलाते हैं। इसलिए, ट्रैफ़िक लाइट की ज़रूरत नहीं होती।
राजा ने लोकतंत्र की खातिर सिंहासन त्याग दिया।
आज का समाज गंदी सत्ता और भ्रष्टाचार का प्रतिनिधित्व करता है। लेकिन इसके विपरीत भूटान के राजा की निस्वार्थता आश्चर्यजनक और प्रेरणादायक है।
उन्होंने माना कि भविष्य में भूटान को एक अच्छा, ईमानदार राजा नहीं मिल सकता। इसलिए, उन्होंने लोकतंत्र का समर्थन किया और 2005 में संविधान को अपनाने के साथ ही चुनाव कराए, जिससे भूटान एक लोकतंत्र में तब्दील हो गया।
भूटान के बारे में यह जानकारी दर्शाती है कि यह देश कितना शांतिपूर्ण है।
भूटान ने प्लास्टिक के उपयोग पर प्रतिबंध की घोषणा की है। भूटान ने पहली बार 1999 में प्लास्टिक पर प्रतिबंध लगाया था। 2005 और 2009 में दो बार इसे लागू करने के बाद भी, विकल्पों की कमी के कारण यह असफल रहा। भूटान में कचरा प्रबंधन की बढ़ती मांग के कारण उन्होंने 2019 में फिर से प्रतिबंध लागू कर दिया। सरकार नागरिकों को शिक्षित करने के लिए हस्तनिर्मित कैरी बैग, जूट बैग और हाथ से बुने हुए बैग जैसे विकल्पों को बढ़ावा दे रही है।
भूटानी लोगों का जन्मदिन एक ही दिन होता है।
क्या आपको वह समय याद है जब आप किसी ऐसे व्यक्ति का जन्मदिन भूल गए थे जिसका आप बहुत ख्याल रखते थे? दूसरी ओर, भूटानी लोगों को इस समस्या का सामना नहीं करना पड़ता। भूटानी नागरिक आधिकारिक तौर पर नए साल के दिन एक साल बड़े हो जाते हैं, जो दिलचस्प है।
अगर लोग अशिक्षा या अन्य कारणों से अपना जन्मदिन भूल गए हैं, तो उन्हें नए साल के दिन मनाने से उन्हें याद करना आसान हो जाता है। इस प्रथा से पता चलता है कि भूटानी लोग महीने या दिन की तुलना में साल को अधिक महत्व देते हैं।
भूटान दुनिया का आखिरी देश था जिसने टेलीविजन की शुरुआत की। भूटान को अपना पहला टेलीविजन 1990 में मिला।
भूटान के इस आंकड़े को देखकर आप आश्चर्यचकित हो जाएंगे कि, "वे इतने लंबे समय तक टेलीविजन के बिना कैसे जीवित रहे?" भूटान में टेलीविजन का प्रसारण 1999 में शुरू हुआ था।
उस समय तक यह अवैध था। भूटानी सरकार का मानना था कि इससे देश की बौद्ध संस्कृति पर दाग लगेगा।तीरंदाजी राष्ट्रीय खेल है। धनुष और तीर कई भूटानी मिथकों और कहानियों में महत्वपूर्ण भूमिका निभाते हैं। भूटान के पास ओलंपिक तीरंदाजी दल भी है।
सभी नागरिकों को निःशुल्क शिक्षा और स्वास्थ्य सेवा उपलब्ध हो।
सरकार ने यह सुनिश्चित करने के लिए एक कार्यक्रम शुरू किया है कि सभी को सामान्य स्वास्थ्य और शैक्षिक सेवाएँ उपलब्ध हों। अधिकांश लोग अभी भी मठों से अपनी स्कूली शिक्षा प्राप्त करते हैं, लेकिन सरकार साक्षरता में सुधार के लिए प्रयास कर रही है।
किसी भी चीज़ को मारना कानून के विरुद्ध है।
इसी कारण से भूटान एक ऐसा देश है जो पशुओं को बहुत महत्व देता है।
भूटान में किसी भी जानवर या पक्षी को मारने की अनुमति नहीं है। यह कानून बौद्ध शिक्षाओं के पारंपरिक आदर्शों से उपजा है, जो किसी भी जीवित प्राणी की हत्या को प्रतिबंधित करता है। वे पर्यावरण संरक्षण के बारे में भी बहुत चिंतित हैं।
हालांकि, वे बहुत सारा मांस खाते हैं। सारा गोमांस देश के बाहर से आता है। सरकार ने हाल ही में इसके उपभोग पर पूरी तरह प्रतिबंध लगाने पर विचार किया है। निदुप ने हमें भूटान के अनोखे राष्ट्रीय पशु के बारे में भी बताया।
भूटान का राष्ट्रीय पशु बकरी-मृग "ताकिन" है। यह पत्ते, घास और बांस की टहनियाँ खाता है और भूटान में स्थानिक है।
लोग अक्सर इन जानवरों को खनिज खदानों के बीच छिपे हुए पा सकते हैं, क्योंकि नमक उनके आहार का अभिन्न अंग है।
अनेक विभिन्न विषयों पर बातचीत करते हुए और प्रकृति को निहारते हुए अंततः हम साढ़े पांच घंटे की यात्रा करने के बाद भूटान की राजधानी थिम्फू पहुंच गए जहां होटल Yelhu में हमारे रुकने की व्यवस्था थी।चूंकि रात के लगभग 8बज चुके थे और हम सभी यात्रा से थक चुके थे और ठंड भी बहुत थी इसलिए हम सभी डिनर ले कर अपने - अपने कमरों में आराम करने के लिए चले गए।
क्रमशः........
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