हिंदी कक्षा 7वीं पाठ 17 वर्षा - बहार

 पाठ 17 वर्षा - बहार  

–श्री मुकुटधर पाण्डेय 



पाठ परिचय -

छत्तीसगढ़ के युग प्रवर्तक कवि श्री मुकुटधर पाण्डेय की प्रस्तुत कविता में वर्षा ऋतु के कई रूपों का चित्रण हुआ है । वर्षा ऋतु में जहाँ एक ओर कवि को मोरों का नृत्य मोहित कर लेता है , वहीं दूसरी ओर मेढक की टर्र - टर्र ध्वनि भी सुगीत और प्यारी लगती है । कवि ने इस ऋतु की महत्ता कविता की अन्तिम पंक्ति में स्पष्ट की है — ' सारे जगत की शोभा , निर्भर है इसके ऊपर । '

1. वर्षा बहार सबके , मन को लुभा रही है , नभ में छटा अनूठी , घनघोर छा रही है । बिजली चमक रही है , बादल गरज रहे हैं , पानी बरस रहा है , झरने भी बह रहे हैं । 

शब्दार्थ - बहार - सुहावनापन / रमणीयता , लुभाना- ललचाना , नभ आकाश , छटा , शोभा / सौन्दर्य , अनूठी अद्भुत , घनघोर बहुत घने बादल । 

संदर्भ - प्रस्तुत पद्य हमारी पाठ्य पुस्तक के ' वर्षा बहार ' नामक पाठ से अवतरित है । इसके कवि श्री मुकुटधर पाण्डेय जी हैं ।

प्रसंग - प्रस्तुत पद्यांश में कवि वर्षा ऋतु के सौन्दर्य का वर्णन कर रहे हैं।

व्याख्या- यह सुहावनी वर्षा ऋतु सभी के मन को लुभा ( ललचा ) रही है । आसमान में घने बादल छा गये हैं जिससे उसकी शोभा अद्भुत लग रही है । रह - रहकर बिजली की चमक एवं बादलों की गर्जना के साथ पानी बरस रहा है । पानी से लबालब हुए झरने बह रहे हैं ।

2. चलती हवा है ठण्डी , हिलती हैं डालियाँ सब , बागों में गीत सुन्दर , गातीं हैं मालिने अब । नालों में जीव जलचर , अति है प्रसन्न होते फिरते लाखों पपीहे , हैं ग्रीष्म ताप खोते । करते हैं नृत्य वन में , देखों ये मोर सारे , मेढक लुभा रहे हैं , गाकर सुगीत प्यारे । 

शब्दार्थ- जलचर जल के जीव - जन्तु , फिरना = चक्कर लगाना , लखो देखो , खोना = गवाना / दूर करना , सुगीत सुन्दर गीत ।

संदर्भ - प्रस्तुत पद्य हमारी पाठ्य पुस्तक के ' वर्षा बहार ' नामक पाठ से अवतरित है । इसके कवि श्री मुकुटधर पाण्डेय जी हैं ।

प्रसंग - वर्षा ऋतु ने न केवल जल के जीव - जन्तुओं का अपितु मोर पपीहे आदि को ग्रीष्म ऋतु के ताप से मुक्ति दिला दी है । व्याख्या- सुहावनी वर्षा रानी के आगमन से ठण्डी - ठण्डी हवा बहने लगी है । वृक्षों की हिलती - डुलती डालियाँ झूमती हुई प्रतीत हो रही हैं । इस सुहावने मौसम में गर्मी से राहत पाई । मालिने बागों में अब वर्षा गीत गा रही हैं । सरोवरों ( जलाशयों ) में जल के जीव - जन्तु अत्यधिक प्रसन्न हो रहे हैं । इधर - उधर चक्कर काटते हए , भीगते हुए पपीहे , देखिए कैसे ग्रीष्म के ताप को अपने से दूर भगा रहे हैं । वन में मयूर नृत्य कर रहे हैं तथा मेढक अपनी ' टर्र - टर्र ' की बोली से सुन्दर गीत गाते हुए वर्षा रानी का स्वागत कर रहे हैं ।

3. खिलता गुलाब कैसा , सौरभ उड़ा रहा है , बागों में खूब सुख से , आमोद छा रहा है । चलते कतार बाँधे , देखो ये हंस सुन्दर , गाते हैं गीत कैसे , लेते किसान मनहर इस भाँति है अनोखी , वर्षा बहार भू पर , सारे जगत की शोभा , निर्भर है इसके ऊपर ॥ 

शब्दार्थ - खिलना फूलना / विकसित होना , सौरभ = सुगन्ध महक / केसर , आमोद = आनन्द / दिल बहलाव , कतार = मनहर = मन को आकर्षित करने वाला / सुन्दर , निर्भ आधारित।

संदर्भ-  प्रस्तुत पद्य हमारी पाठ्य पुस्तक के ' वर्षा बहार ' नामक पाठ से अवतरित है । इसके कवि श्री मुकुटधर पाण्डेय जी हैं ।

प्रसंग- वर्षा -बहार के आगमन से गुलाब खिल उठे हैं । उनकी खुशबू सर्वत्र फैल गयी है । बागों में सुखद आनन्द छा गया है । कतारबद्ध हंस चलते हुए शोभायमान हो रहे हैं । गाते हुए किसानों के गीत लोगों के मन को हर ले रहे हैं । इस तरह सभी के मन को भाने वाली अद्भुत सुहावनी वर्षा ऋतु धरती पर है । सारे संसार की शोभा इसी वर्षा ऋतु पर निर्भर करती है । 

अभ्यास -  पाठ से

प्रश्न 1. वर्षा सबके मन को कैसे लुभा रही है ? 

उत्तर- वर्षा के आगमन से चारों तरफ हरियाली छा गई है । आसमान में घने बादल छाये हुए हैं । बादलों की गड़गड़ाहट के साथ बिजली चमक रही है निरतंर वर्षा होने से झरने भी बह रहे हैं , अतः वर्षा हम सबके मन को लुभा रही है । 

प्रश्न 2. वर्षा ऋतु में हवा और बादल का दृश्य कैसा है ?

उत्तर - वर्षा ऋतु में आसमान काले घने बादलों से आच्छादित है । ठण्डी हवाएँ चल रही हैं । वृक्षों की हिलती - डुलती डालियाँ झूमती हुई प्रतीत हो रही हैं मानों खुशी से झूम रही हों । वर्षा के आगमन से सभी को गर्मी से राहत मिल गई है । 

प्रश्न 3. सौरभ के उड़ने से क्या हो रहा है ?

उत्तर- सौरभ के उड़ने से गुलाब की खुशबू सभी जगह फैल गईं है । बागों में सुखद आनंद छा गया है । वातावरण मनमोहक हो गया है । 

प्रश्न 4. कवि किसानों के गीतों को मनहर क्यों कह रहा है ? 

उत्तर- वर्षा ऋतु के आगमन से ग्रीष्म की प्रचण्डता से सभी को राहत मिली है किसान खेती के लिए वर्षा की राह देख रहे थे । उसके आते ही वे खुशी से झूम उठे और खेतों की ओर चल पड़े । उनके गीत लोगों को मनहर प्रतीत हो रहे थे ।

प्रश्न 5. जीव - जलचर पर वर्षा का क्या प्रभाव पड़ रहा है ?

उत्तर- वर्षा ऋतु के आगमन से समस्त जीव व जलचर ग्रीष्म के ताप से मुक्त हो उठे हैं । ठण्डी हवाएँ , घने काले बादल और वर्षा की फुहारें सभी का मन मोह ले रही हैं । 

प्रश्न 6. पपीहे द्वारा ग्रीष्म ताप सोने का अर्थ क्या है ? 

उत्तर- पपीहे ग्रीष्म के ताप से आकुल थे , वर्षों के आगमन से वे भी अपनी प्यास बुझा रहे हैं ।

प्रश्न 7. ' सारे जगत की शोभा निर्भर इसके ऊपर कहने से कवि का क्या आशय है ? 

उत्तर- वर्षा ऋतु में चारों तरफ हरियाली छा जाती है । प्रकृति का सौंदर्य अद्भुत होता है । चारों तरफ ऐसा लगता है मानों आनंद व उल्लास छा गया हो । ग्रीष्म की प्रचण्डता समाप्त हो जाती है ।

 पाठ से आगे

प्रश्न 1. वर्षा का मोहक रूप आप भी देखते होंगे वर्षा के कारण हमारे आसपास की प्रकृति में क्या परिवर्तन आता है ? 

उत्तर- ग्रीष्म की प्रचण्डता वर्षा ऋतु के आगमन के साथ ही समाप्त हो जाती है । ठण्डी हवाएँ चलने लगती हैं आकाश में काले घने बादल छाने लगते हैं वर्षा की फुहारों से मदमस्त हो मयूर नृत्य करने लगते हैं । बागों में फूल अपनी रंग - बिरंगी छटा बिखेरने लगते हैं । चारों तरफ हरियाली छा जाती है । प्रकृति का सौंदर्य अनुपम दिखाई देता है । झरने बहते हुए हर किसी का मन मोह लेते हैं । 

भाषा से

प्रश्न 1. पर्यायवाची शब्द लिखिए 

आकाश- गगन,नभ

पानी- नीर,जल

बादल- नीरद, जलद

हवा- समीर ,पवन

प्रश्न 2. विलोम शब्द लिखिए

ठण्डी  - गर्म

सुख - दुःख

 सुंदर- खराब

 प्रसन्न -अप्रसन्न 

प्रश्न 3. निम्नांकित उपसर्गों के योग से नए शब्द बनाइए 

 अ -अगम , अटल ।

अनु -अनुगमन , अनुचर ।

 प्र- प्रगति , प्रहार

 परि -परिवहन , परिचालन ।

प्रश्न 4. ( क ) “ तालों में जीव जलचर , अति हैं प्रसन्न होते । ” इस पंक्ति में ' जीव - जलचर को ध्यान से पढ़िए । इसमें ‘ ज ' वर्ण की आवृत्ति हुई है । इसलिए यहाँ अनुप्रास अलंकार है । इस कविता में से अनुप्रास अलंकार के दो उदाहरण लिखिए ।

उत्तर- ( i ) पानी बरस रहा है , झरने भी बह रहे हैं । ( ii ) गाते हैं गीत कैसे , लेते किसान मनहर । 

( ख ) दामिनी दमक रही धन माहीं , खल की प्रीति यथा थिर नाहीं । इस पंक्ति में दामिनी ( बिजली ) की चमक को खल ( दुष्ट ) की प्रीति के समान अस्थिर बताया गया है । “ जब दो वस्तुओं में समान गुण के कारण समता बताई जाती है , तब उपमा अलंकार होता है । " उपमा अलंकार के लिए चार बातें आवश्यक हैं ।

( i ) उपमेय - जिसकी तुलना की जाये या जिसकी उपमा दी जाय । 

( ii ) उपमान - जिससे तुलना या उपमा दी जाये । 

( iii ) साधारण धर्म - जिन गुणों के कारण तुलना की जाय या उपमा दी जाये । 

( iv ) वाचक शब्द- जिन शब्दों से उपमान प्रकट होते हैं । जिमि , ज्यो , सम , सा , तुल्य आदि वाचक शब्द है । ऊपर के उदाहरण में उपमेय – ' दामिनी की दमक ' । 

उपमान- ' खल की प्रीति ' । 

साधारण धर्म - स्थिर न होना ' । 

वाचक शब्द- यथा । 

प्रश्न 5. अपनी पढ़ी हुई कविता से उपमा अलंकार का कोई उदाहरण चुनकर लिखिए ?

उत्तर- उदाहरण - पीपर पात सरिस मन डोला । अर्थात् पीपल के पत्ते की तरह मन डोल रहा है । मन की चंचलता की तुलना पीपल के पत्ते के हिलने से की गई है अतः उपमा अलंकार है ।  

प्रश्न 6. इस कविता में प्रयुक्त तत्सम और तद्भव शब्दों की सूची बनाइए -

उत्तर- 

तत्सम शब्द - मेघ , वर्षा , नभ , गीत , जीव , जलचर , ग्रीष्म , नृत्य , वन , हंस , आमोद आदि । 

तद्भव शब्द - बिजली , गरज , बरस , मोर , किसान , मनहर लुभा इत्यादि ।

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