पाठ 9 दीप जले
शब्दार्थ –
नेह = प्रेम ।
समुन्दर = समुद्र ।
छाँव = छाया ।
ठाँव = जगह।
पर्व = त्यौहार ।
मावस = अमावस्या ।
राह = रास्ता ।
नीम तले = नीम के पेड़ के नीचे ।
दानव = राक्षस ।
प्रीति = प्यार ।
उजारे = उजियारे , प्रकाश ।
कविता का अर्थ
दीप जले , दीप जले द्वार - द्वार दीप जले ,
दीप जले गाँव - गाँव , बगिया की छाँव - छाँव
द्वारे पै , आँगन में , धूम मची ठाँव - ठाँव ,
आओ रे ! गाओ रे ! ढोलक पै नीम - तले ,
दीप जले , दीप जले । द्वार - द्वार दीप चले ॥
अर्थ – दीपावली में घर - घर , द्वार - द्वार दीपक जलाया गया है । प्रत्येक गाँव , प्रत्येक बाग - बगीचों में , द्वार पर , आँगन में , जगह - जगह पर दीपक जला कर प्रकाश पर्व मनाया जा रहा है । दीपावली के अवसर पर सभी नाच गा रहे हैं । गाँव में नीम की छाया के नीचे ढोलक बजाकर लोग अपना उमंग , अपनी खुशी प्रकट कर रहे हैं । लोगों के घर - घर , द्वार - द्वार दीपक जल रहे हैं ।
नन्हें से दीप ये , नेह के उजारे हैं ।
मावस के चंदा हैं राह के सहारे हैं ।
रात के समंदर में , तारों की नाव चले ,
दीप जले , दीप जले , द्वार - द्वार दीप जले ।
अर्थ – दीपावली पर जलाए जाने वाले छोटे दीपक प्रेम का प्रकाश समाज में फैलाते हैं । अमावस्या की घनी अंधेरी रात को ये दीपक प्रकाश से भर देते हैं । लोगों को सही रास्ता इन्हीं दीपकों से दिखाई पड़ता है । रात्रि रूपी समुद्र में दीपक रूपी नाव , दीपावली के दिन चलती हुई लगती है । लोगों के घर - घर , द्वार - द्वार दीपक जल रहे हैं ।
दानव की हार का , मानव की जीत का ।
दीपों का पर्व है , जन - जन की प्रीति का ।
भेदभाव भूलो रे ! आपस में मिलो गले ,
दीप जले , दीप जले । द्वार - द्वार दीप जले ॥
अर्थ - दीपावली रावण की हार एवं राम की जीत के लिए उत्सव के रूप में मनाया जाता है । रावण राक्षसी प्रवृत्ति तथा राम मनुष्यता के प्रतीक हैं । दीपावली दीपों का त्यौहार है । यह लोगों को प्रेम एवं भाई - चारे के साथ रहने की प्रेरणा देता है । इस दिन लोगों को परस्पर भेदभाव भूल जाना चाहिए । सभी को आपस में गले मिलकर पुरानी कटुता एवं दुश्मनी भुला देनी चाहिए । दीपावली के त्यौहार पर इसलिए लोगों के घर - घर , द्वार - द्वार दीपक जल रहे हैं ।
प्रश्न और अभ्यास
प्रश्न 1. तुम दिवाली में क्या - क्या करते हो ?
उत्तर- हम दिवाली में दीप जलाते हैं , नये - नये कपड़े पहनते हैं , पटाखे जलाते हैं , मिठाई बाँटते हैं एवं खाते हैं तथा माँ लक्ष्मी की पूजा करते हैं ।
प्रश्न 2. दीवाली पर प्रकाश करने के लिए कौन कौन - से साधन अपनाये जाते हैं ?
उत्तर- दीपावली पर प्रकाश दीपक , मोमबत्ती , झालर इत्यादि जलाकर किया जाता है ।
प्रश्न 3. दीपक को कविता में ' मावस का चंदा ' क्यों कहा गया है ?
उत्तर - अमावस्या की घनी अंधेरी रात में दीपक चन्द्रमा के समान प्रकाश करता है ।
प्रश्न 4. कविता में से वह पंक्ति लिखो जिसमें
( क ) दीप को मार्ग दिखाने वाला बताया गया ।
उत्तर – " नन्हें से दीप ये , नेह के उजारे हैं । मावस के चंदा हैं , राह के सहारे हैं । "
( ख ) भेदभाव भूलकर परस्पर प्रेम से रहने का बोध कराया गया है ।
उत्तर – “ भेदभाव भूलो रे ! आपस में मिलो गले , दीप जले , दीप जले । द्वार - द्वार दीप जले ॥
( ग ) लोगों को मिलकर गाने - बजाने के लिए आमंत्रित किया गया है ।
उत्तर- "आओ रे ! गाओ रे ! ढोलक पैं नीम तले ,
दीप जले, दीप जले। द्वार- द्वार दीप जले।।"
भाषा तत्व और व्याकरण
प्रश्न 1. निम्नलिखित शब्दों के समानार्थी एक एक अन्य शब्द लिखो । दानव , मानव , राह , दीप , पर्व ।
उत्तर-
दानव- राक्षस
मानव-मनुष्य
राह -मार्ग
दीप -दिया
पर्व - त्यौहार
प्रश्न 2. विलोम शब्द लिखो –
रात , मानव , जलना , हार , प्रीति ।
उत्तर–
रात –दिन ।
मानव -पशु ।
जलना-बुझना ।
हार- जीत ।
प्रीति- बैर ।
प्रशन 3. नीचे कोष्ठक में कुछ शब्द दिए गए हैं । समान उच्चारण करने वाले शब्दों को अलग - अलग लिखो और उसके समान एक - एक शब्द याद करके लिखो।
( जीत , दीप , आज , तारा , नेह , सारा , सीप , काज , मीठ , गेह , शीत , जीप , नाज , कारा , मेह )
उत्तर - जीत , दीप , मीत , शीत , जीप , सीप तारा , सारा , कारा ।
आज , काज , नाज , नेह , गेह , मेह ।
अन्य महत्वपूर्ण प्रश्न
प्रश्न 1. दीवाली किस तिथि को मनाई जाती है ?
उत्तर – दीवाली अमावस्या को मनाई जाती है ।
प्रश्न 2. दीवाली को दानव की हार और मानव की जीत का त्यौहार क्यों कहा गया है ?
उत्तर - दीवाली रावणरूपी दानव की हार एवं राम रूपी मानव की जीत के उपलक्ष्य में मनाया जाता है ।
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