हिंदी कक्षा 4 पाठ 9 दीप जले/DEEP JALE

 पाठ 9 दीप जले



शब्दार्थ –

 नेह = प्रेम । 

समुन्दर = समुद्र । 

छाँव  = छाया । 

ठाँव = जगह।

पर्व = त्यौहार । 

मावस = अमावस्या । 

राह = रास्ता ।

नीम तले = नीम के पेड़ के नीचे । 

दानव = राक्षस । 

प्रीति = प्यार ।

उजारे = उजियारे ,  प्रकाश ।

कविता का अर्थ 

दीप जले , दीप जले द्वार - द्वार दीप जले , 

दीप जले गाँव - गाँव , बगिया की छाँव - छाँव 

द्वारे पै , आँगन में , धूम मची ठाँव - ठाँव , 

आओ रे ! गाओ रे ! ढोलक पै नीम - तले , 

दीप जले , दीप जले । द्वार - द्वार दीप चले ॥ 

अर्थ – दीपावली में घर - घर , द्वार - द्वार दीपक जलाया गया है । प्रत्येक गाँव , प्रत्येक बाग - बगीचों में , द्वार पर , आँगन में , जगह - जगह पर दीपक जला कर प्रकाश पर्व मनाया जा रहा है । दीपावली के अवसर पर सभी नाच गा रहे हैं । गाँव में नीम की छाया के नीचे ढोलक बजाकर लोग अपना उमंग , अपनी खुशी प्रकट कर रहे हैं । लोगों के घर - घर , द्वार - द्वार दीपक जल रहे हैं । 

नन्हें से दीप ये , नेह के उजारे हैं ।

मावस के चंदा हैं राह के सहारे हैं । 

रात के समंदर में , तारों की नाव चले ,

दीप जले , दीप जले , द्वार - द्वार दीप जले । 

अर्थ – दीपावली पर जलाए जाने वाले छोटे दीपक प्रेम का प्रकाश समाज में फैलाते हैं । अमावस्या की घनी अंधेरी रात को ये दीपक प्रकाश से भर देते हैं । लोगों को सही रास्ता इन्हीं दीपकों से दिखाई पड़ता है । रात्रि रूपी समुद्र में दीपक रूपी नाव , दीपावली के दिन चलती हुई लगती है । लोगों के घर - घर , द्वार - द्वार दीपक जल रहे हैं ।

दानव की हार का , मानव की जीत का । 

दीपों का पर्व है , जन - जन की प्रीति का । 

भेदभाव भूलो रे ! आपस में मिलो गले , 

दीप जले , दीप जले । द्वार - द्वार दीप जले ॥ 

अर्थ - दीपावली रावण की हार एवं राम की जीत के लिए उत्सव के रूप में मनाया जाता है । रावण राक्षसी प्रवृत्ति तथा राम मनुष्यता के प्रतीक हैं । दीपावली दीपों का त्यौहार है । यह लोगों को प्रेम एवं भाई - चारे के साथ रहने की प्रेरणा देता है । इस दिन लोगों को परस्पर भेदभाव भूल जाना चाहिए । सभी को आपस में गले मिलकर पुरानी कटुता एवं दुश्मनी भुला देनी चाहिए । दीपावली के त्यौहार पर इसलिए लोगों के घर - घर , द्वार - द्वार दीपक जल रहे हैं ।

प्रश्न और अभ्यास 

प्रश्न 1. तुम दिवाली में क्या - क्या करते हो ? 

उत्तर- हम दिवाली में दीप जलाते हैं , नये - नये कपड़े पहनते हैं , पटाखे जलाते हैं , मिठाई बाँटते हैं एवं खाते हैं तथा माँ लक्ष्मी की पूजा करते हैं । 

प्रश्न 2. दीवाली पर प्रकाश करने के लिए कौन कौन - से साधन अपनाये जाते हैं ? 

उत्तर- दीपावली पर प्रकाश दीपक , मोमबत्ती , झालर इत्यादि जलाकर किया जाता है । 

प्रश्न 3. दीपक को कविता में ' मावस का चंदा ' क्यों कहा गया है ? 

उत्तर - अमावस्या की घनी अंधेरी रात में दीपक चन्द्रमा के समान प्रकाश करता है । 

प्रश्न 4. कविता में से वह पंक्ति लिखो जिसमें 

( क ) दीप को मार्ग दिखाने वाला बताया गया ।

उत्तर – " नन्हें से दीप ये , नेह के उजारे हैं । मावस के चंदा हैं , राह के सहारे हैं । " 

( ख ) भेदभाव भूलकर परस्पर प्रेम से रहने का बोध कराया गया है । 

उत्तर – “ भेदभाव भूलो रे ! आपस में मिलो गले , दीप जले , दीप जले । द्वार - द्वार दीप जले ॥ 

( ग ) लोगों को मिलकर गाने - बजाने के लिए आमंत्रित किया गया है । 

उत्तर- "आओ रे ! गाओ रे ! ढोलक पैं नीम तले , 

दीप जले, दीप जले। द्वार- द्वार  दीप जले।।"

भाषा तत्व और व्याकरण  

प्रश्न 1. निम्नलिखित शब्दों के समानार्थी एक एक अन्य शब्द लिखो । दानव , मानव , राह , दीप , पर्व । 

उत्तर- 

दानव- राक्षस

 मानव-मनुष्य

 राह -मार्ग

दीप -दिया

पर्व  - त्यौहार

प्रश्न 2. विलोम शब्द लिखो –

रात , मानव , जलना , हार , प्रीति । 

उत्तर–

रात –दिन ।  

मानव -पशु ।

जलना-बुझना ।

हार- जीत ।

प्रीति- बैर । 

प्रशन 3. नीचे कोष्ठक में कुछ शब्द दिए गए हैं । समान उच्चारण करने वाले शब्दों को अलग - अलग लिखो और उसके समान एक - एक शब्द याद करके लिखो। 

( जीत , दीप , आज , तारा , नेह , सारा , सीप , काज , मीठ , गेह , शीत , जीप , नाज , कारा , मेह ) 

उत्तर - जीत , दीप , मीत , शीत , जीप , सीप तारा , सारा , कारा । 

आज , काज , नाज , नेह , गेह , मेह ।

अन्य महत्वपूर्ण प्रश्न 

प्रश्न 1. दीवाली किस तिथि को मनाई जाती है ?

 उत्तर – दीवाली अमावस्या को मनाई जाती है । 

प्रश्न 2. दीवाली को दानव की हार और मानव की जीत का त्यौहार क्यों कहा गया है ? 

उत्तर - दीवाली रावणरूपी दानव की हार एवं राम रूपी मानव की जीत के उपलक्ष्य में मनाया जाता है ।

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