अध्याय 3 हमारी बदलती पृथ्वी
अभ्यास
1 . निम्न प्रश्नों के उत्तर दीजिए:-
(क) प्लेटें क्यों घूमती है ?
उत्तर :- स्थलमंडल अनेक प्लेटों में विभाजित है, जिन्हें स्थलमंडलीय प्लेट कहते हैं। ये प्लेट हमेशा धीमी गति से चारों तरफ घूमती रहती हैं। प्रत्येक वर्ष केवल कुछ मिलीमीटर के लगभग पृथ्वी के अंदर पिघले हुए मैग्मा में होने वाली गति के कारण ऐसा होता है। पृथ्वी के अंदर पिघला हुआ मैग्मा एक वृत्तीय रूप में घूमता रहता है।
(ख) बहिर्जनिक एवं अंतर्जनित बल क्या है ?
उत्तर :- पृथ्वी की गति को उन बलों के आधार पर विभाजित किया गया है जिनके कारण ये गतियाँ उत्पन्न होती हैं । जो बल पृथ्वी के आंतरिक भाग में घटित होते हैं उन्हें अंतर्जनित बल (एंडोजेनिक फोर्स) कहते हैं एवं जो बल पृथ्वी की सतह पर उत्पन्न होते हैं उन्हें बहिर्जनिक बल (एक्सोजेनिक फोर्स) कहते हैं। अंतजर्नित बल कभी आकस्मिक गति उत्पन्न करते हैं, तो कभी धीमी गति।
(ग) अपरदन क्या है ?
उत्तर :- अपक्षय एवं अपरदन नामक दो प्रक्रमों द्वारा दृश्यभूमि लगातार विघटित होती रहती है। पृथ्वी की सतह पर शैलों के टूटने से अपक्षय की क्रिया होती है। भू – दृश्य पर जल, पवन एवं हिम जैसे विभिन्न घटकों के द्वारा होने वाले क्षय को अपरदन कहते हैं। वायु, जल आदि अपरदित पदार्थ को एक स्थान से दूसरे स्थान पर ले जाते हैं और फलस्वरूप एक स्थान पर निक्षेपित करते हैं।
(घ) बाढ़कृत मैदान का निर्माण कैसे होता है ?
उत्तर :- कभी- कभी नदी अपने तटों से बाहर बहने लगती है। फलस्वरूप निकटवर्ती क्षेत्रों में बाढ़ आ जाती है। बाढ़ के कारण नदी के तटों के निकटवर्ती क्षेत्रों में महीन मिट्टी एवं निक्षेपण करती है। ऐसी मिट्टी एवं पदार्थों को अवसाद कहते हैं, इससे समतल उपजाऊ बाढकृत मैदान का निर्माण होता है।
(च) बालू टिब्बा क्या है ?
उत्तर :- पवन चलने पर, यह अपने साथ रेत को एक स्थान से दूसरे स्थान पर पहुँचाती है। जब पवन का बहाव रुकता है तो यह रेत गिरकर छोटी पहाड़ी बनाती है इनको बालू टिब्बा कहते है। जब बालू कण महीन एवं हल्के होते हैं, तो वायु उनको उठाकर अत्यधिक दूर ले जा सकती है। जब ये बालू कण विस्तृत क्षेत्र में निक्षेपित हो जाते , तो इसे लोएस कहते हैं ।
(छ) समुद्री पुलिन का निर्माण कैसे होता है?
उत्तर :- समुद्री तरंगे (लहरें) किनारों पर अवसाद जमा करती रहती हैं। इन अवसादों के जमा होने से समुद्री पुलिन का निर्माण होता है।
(ज) चापझील क्या है ?
उत्तर - जब नदी मैदानी क्षेत्र में प्रवेश करती है, तो वह मोड़दार मार्ग पर बहने लगती है। नदी के इन्हीं बड़े मोड़ों को विसर्प कहते हैं। इसके बाद विसर्पो के किनारों पर लगातार अपरदन एवं निक्षेपण शुरू हो जाता है। विसर्प लूप के सिरे निकट आते जाते हैं। समय के साथ विसर्प लूप नदी से कट जाते हैं और एक अलग झील बनाते हैं, जिसे चापझील कहते हैं।
2. सही (√) उत्तर चिह्नित कीजिए:-
(क) इनमें से कौन–सी समुद्री तरंग की विशेषता नहीं है ?
(i) शैल (ii) किनारा (iii) समुद्री गुफा
उत्तर :- (i) शैल
(ख) हिमनद की निक्षेपण विशेषता है
(i) बाढ़कृत मैदान (ii) पुलिन (iii) हिमोढ़
उत्तर:- (iii) हिमोढ़
(ग) पृथ्वी की आकस्मिक गतियों के कारण कौन – सी घटना होती है ?
(i) ज्वालामुखी (ii) वलन (iii) बाढ़कृत मैदान
उत्तर :- (i) ज्वालामुखी
(घ) छत्रक शैलें पाई जाती है
(i) रगिस्तान में (ii) नदी घाटी में (iii) हिमनद में
उत्तर:- (i) रेगिस्तान में
(च) चापझील कहाँ पाई जाती हैं
(ii) हिमनद (ii) नदी घाटी (iii ) रेगिस्तान
उत्तर :- (ii) नदी घाटी
(छ) सही जोड़ी बनाइए:-
(क) हिमनद (i) समुद्री तट
(ख) विसर्प (ii) छत्रक शैल
(ग) पुलिन (iii) बर्फ की नदी
(घ) बालू टिब्बा. (iv) नदियाँ
(च) जलप्रपात (v) पृथ्वी का कंपन
(छ) भूकंप (vi) समुद्र भृगु
(vii ) कठोर संस्तर शैल
(viii) रेगिस्तान
उत्तर:-
(क) हिमनद (iii) बर्फ की नदी
(ख) विसर्प (iv) नदियाँ
(ग) पुलिन (i) समुद्री तट
(घ) बालू टिब्बा (viii) रेगिस्तान
(च) जलप्रपात (vii) कठोर संस्तर शैल
(छ) भूकंप (v) पृथ्वी का कंपन
4. कारण बताइए –
(क) कुछ शैल छत्रक के आकार में होते हैं।
उत्तर - बहती हुई पवन में रेत के कण निचले भाग अर्थात पृथ्वी के सतह के साथ उड़ते है। ये कण रास्ते में आने वाली चट्टान का अपरदन करते हैं। इसलिए पवन के रास्ते में आने वाली शैल के निचले भाग का अपरदन ज्यादा होता है और शैल छतरी के आकार की होती है। इसे छत्रक शैल कहते है।
(ख) बाढ़कृत मैदान बहुत उपजाऊ होते हैं।
उत्तर - बाढ़ के कारण नदी के तटवर्ती भागों में महीन मिट्टी एवं अन्य पदार्थों का निक्षेपण होता है । इन्हें अवसाद कहते हैं । इन अवसादों से बनी मिट्टी बहुत उपजाऊ होती है । इसलिए बाढ़कृत मैदान बहुत उपजाऊ होते हैं ।
(ग) समुद्री गुफा स्टैक के रूप में परिवर्तित हो जाती है।
उत्तर - समुद्री गुफा स्टैक के रूप में परिवर्तित हो जाती है। समुद्री गुफाओं के बड़े होते जाने पर इनमें केवल छत ही बची रह जाती है। लगातार अपरदन होते रहने से छत भी टूट जाती है। केवल दीवार बची रह जाती है। इस बची दीवार को स्टैक कहते हैं।
(घ) भूकंप के दौरान इमारतें गिरती हैं।
उत्तर - भूकंप के दौरान इमारतें गिरती हैं। भूकंप के समय भूकंपीय तरंगे केंद्र से बाहर की ओर गमन करती हैं। इन तरंगों के कंपन से इमारतें काँपने लगती हैं और गिरने लगती हैं ।
अति लघु उत्तरीय प्रश्न
प्रश्न 1. डेल्टा क्या है ?
उत्तर— नदी द्वारा निर्मित वह त्रिभुजाकार मैदान जिसे समुद्र में गिरने से पहले नदी उपधाराओं में बँट कर बनाती है । डेल्टा कहलाती है । उदाहरण - गंगा - ब्रह्मपुत्र द्वारा निर्मित सुन्दरवन डेल्टा ।
प्रश्न 2. सामान्यतः लोग भूकंप का अनुमान कैसे लगाते हैं ?
उत्तर – ( 1 ) जानवरों के असामान्य व्यवहार को देख कर ।
( 2 ) पक्षियों की चहचहाने की ध्वनि में हुए परिवर्तन को सुनकर ।
प्रश्न 3. तटबंध से आप क्या समझते हैं ?
उत्तर -नदी के उत्थित तटों को तटबंध कहते हैं ।
प्रश्न 4. हिमनद द्वारा जमाये गए अवसाद को क्या कहते हैं ?
उत्तर - हिमनद द्वारा जमाये गए अवसाद को हिमोढ़ कहते हैं ।
लघु उत्तरीय प्रश्न
प्रश्न 1. ज्वालामुखी का नामांकित चित्र बनाइए ।
उत्तर
चित्र- ज्वालामुखी
प्रश्न 2. उद्गम केंद्र एवं अधिकेंद्र का अर्थ बताइये ।
उत्तर – उद्गम केंद्र- वह बिन्दु जहाँ से कंपन उत्पन्न होतं है उसे भूकंप का उद्गम केन्द्र कहते हैं ।
अधिकेंद्र — उद्गम केंद्र के ठीक ऊपर धरातल पर स्थित बिन्दु भूकंप का अधिकेंद्र कहलाता है ।
चित्र- भूकंप की उत्पत्ति
दीर्घ उत्तरीय प्रश्न
प्रश्न 1. भूकंप से कैसे बचाव किया जा सकता है ?
उत्तर- 1. सुरक्षित स्थान - रसोई के काउंटर या मेज के नीचे घुस कर
2. इनसे दूर हटे - आग वाले स्थान , काँच की बनी वस्तुओं से ।
3. पहले से जागरुक रहें - अपने जान - पहचान एवं पारिवारिक सदस्यों के बीच जागरूकता फैलाएँ और आपदा का सामना विश्वास से करें
प्रश्न 2. निम्नलिखित के कार्यों का उल्लेख करें ।
1. पवन , 2. हिमनद , 3. समुद्री तरंग ।
उत्तर - 1. पवन -पवन अपने साथ बालू उड़ा ले जाती है और वेग में कमी होने पर बालू जमाने का कार्य होता है । पवन भी शक्तिशाली प्राकृतिक कारक के रूप में अपरदन , परिवहन और निक्षेपण का कार्य करती है । इस प्रकार पवन स्थलाकृति बनाती है “ लोएस का मैदान , छत्रक और बालू का टिब्बा ” ।
2. हिमनद – हिमानी बर्फ की नदी होती है जो अपनी तली की कठोर चट्टानों को गोलाश्मी मिट्टी और पत्थर में अपरदन द्वारा बदल देती है । ये हिमनद अपनी तली को गहरी काटती है।
जिससे स्थलाकृतियाँ “ गर्त व गहरे गर्त में जल भराने से झील " बनती है ।
3. समुद्री तरंगें - सागरीय तरंगें लगातार अपने किनारे के शैलों में काँट - छाँट करती हैं । इस काँट - छाँट में नर्म शैलों का अपरदन शीघ्र व तेजी से होता है । इस प्रकार सागरीय तरंगें स्थलाकृति “ समुद्री गुफा , तटीय मेहराब , स्टैक और समुद्र भृगु बनाती है ।
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