कक्षा 5 अध्याय 9 महानदी की आत्मकथा/MAHANADI

अध्याय 9 महानदी की आत्मकथा

प्रश्न 1. महानदी कहाँ से निकलती है ? 

उत्तर- महानदी धमतरी जिले के सिहावा पर्वत से निकलती है । 

प्रश्न 2. महानदी के तट पर बसे तीन स्थानों के नाम बताओ । उत्तर- महानदी के तट पर बसे तीन स्थान हैं 

1. राजिम , 

2. सिरपुर , 

3. शिवरीनारायण । 

लिखित प्रश्न

प्रश्न 1. हीराकुण्ड बाँध कहाँ स्थित है ? 

उत्तर- हीराकुण्ड बाँध महानदी पर उड़ीसा के सम्बलपुर में स्थित है ।

प्रश्न 2. बाँध बनाने से क्या लाभ हैं ?

उत्तर- बाँध बनाने से निम्न लाभ हैं - 

1. बाँध बनाने से बाढ़ पर नियंत्रण होता है । 

2. एकत्र जल राशि सिंचाई एवं बिजली उत्पादन के काम आती है । 

3. बाँध पर्यटन स्थलों के रूप में विकसित किये जा सकते हैं ।

प्रश्न 3. राजिम में महानदी में कौन - सी नदियाँ आकर मिलती हैं ?

उत्तर- राजिम में महानदी में पैरी और सोंढूर नदियाँ 

प्रश्न 4. महानदी का सफर कहाँ जाकर समाप्त होता है ? 

उत्तर- महानदी का सफर पाराद्वीप के पास बंगाल की खाड़ी में जाकर समाप्त होता है । 

प्रश्न 1. अपने आस - पास की किसी अन्य नदी की आत्मकथा के बारे में पुस्तकों , शिक्षक , साथियों से जानकारी इकट्ठी कर लिखो ।

उत्तर – शिवनाथ नदी की आत्मकथा - मेरा उद्गम राजनांदगाँव उच्च भूमि अम्बागढ़ तहसील के 625 मीटर ऊँची पानाबरस पहाड़ी से हुआ है । मैं अपने उद्गम स्थल से लगभग 40 कि.मी. दूरी तक उत्तर की ओर बहती हूँ , परन्तु अम्बागढ़ चौकी के पास पूर्व की ओर मुड़ जाती हूँ । इसके पश्चात् उत्तर पूर्व में खुज्जी , राजनांदगाँव , दुर्ग , धमधा और नांदघाट होती हुई 290 कि . मी . प्रवाहित होती हूँ तथा शिवरीनारायण के समीप महानदी में मिल जाती हूँ । लीलानगर , मनियारी , आभर , सुरही , खारुन , अरपा , तान्दुला आदि मेरी सहायक नदियाँ हैं । दुर्ग मेरा प्रमुख तटीय शहर है ।

प्रश्न 2. अपने आस - पास की नदियों या तालाबों में गंदगी फैलने से रोकने के लिए क्या उपाय कर सकते हो ? उपायो की सूची बनाओ ।

उत्तर- नदियों व तालाबों में गंदगी को रोकने के लिए हम निम्नलिखित उपाय कर सकते हैं 

1. नदियों , तालाबों को शौचादि से गंदा न करें । 

2. गन्दा पानी , नालियों का पानी नदी व तालाबों में न जाने दें । 

3. मवेशियों को तालाबों व नदियों में न घुसने दें । 

4. उद्योगों का गन्दा पानी नदी व तालाबों में न जाने दें । 5. नदी - तालाबों के घाटों पर कपड़े न धोएँ ।


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