पाठ 8 भिखारिन
गुरुदेव रवींद्रनाथ टैगोर
शब्दार्थ
नम्रता – विनम्रता।
सहृदय – दयालु।
दयालु – दया करने वाला।
पश्चात – उसके बाद।
याचना – मांगना।
स्वेत – सफेद।
अपेक्षा – आशा।
झिड़कियां –डांट।
निराश –दुखी।
टटोलकर – छूकर।
वक्ष – हृदय।
कोठी – छोटा सा घर।
श्रद्धा –भक्ति।
सैनलेनी –चिपका हुआ।
इच्छुक –चाहने वाला।
तांता – लाइन लगना।
घरोहर –बहुत पुरानी संसार।
प्रश्न1. दिव्यांग भिखारी प्रतिदिन मंदिर के दरवाजे पर जाकर क्यों खड़ी हो जाती थी?
उत्तर– दिव्यांग भिखारिन प्रतिदिन मंदिर के दरवाजे पर इसलिए खड़ी हो जाती थी क्यों की उसे वहा दर्शन करने वाले श्रद्धालुजन दो चार पैसे उसके हाथ में रख ही देते थे वह जानती थी की मंदिर में आने वाले सहृदय और दयालु हुआ करते है।
प्रश्न 2. झोपड़ी के समीप पहुंचते ही वह दिव्यांग भिखारिन किसे अपने ह्रदय से लगा लेती थी और क्यों?
उत्तर– झोपड़ी के समीप पहुंचते ही वह दिव्यांग भिखारिन एक दस वर्ष के बालक को टटोलकर उसके मस्तिष्क को चूमकर अपने ह्रदय से लगा लेती। पांच वर्ष पूर्व वह बालक अकेला रो रहा था और भिखारिन उसका मुख चूम– चूमकर उसे चुप कराने का प्रयत्न कर रही थी वह बालक भिखारिन का नही था फिर भी वह उसका पालन पोषण कर रही थी और अच्छा भोजन खिलाती थी और उसे अपना बच्चा समझने लगी।
प्रश्न 3. दिव्यांग स्त्री सेठजी के पास अपनी हांडी जमा करने को लेकर परेशान क्यों थी?
उत्तर– दिव्यांग स्त्री सेठ जी के पास अपनी हांडी जमा करने को लेकर इसलिए परेशान थी जिसे भिखारिन ने झोपड़ी में गाड़कर रखी थी । भिखारिन को डर था की कही किसी की नजर इस हांडी पर पढ़ जाएगी तो उसे वो चुरा कर ले जायेंगे साथ ही अंधी को यह बात पता थी की सेठ बनारसीदास के पास सारे भिखारी अपनी जमा पूंजी जमा कर जाते थे क्यों की सेठ बहुत धर्मात्मा थे किंतु भिखारिन अपनी हांडी सेठ के पास जमा करने के लिए हिचकिचाती रही।
प्रश्न 4. सेठ जी की धर्मता छवि भिखारिन के मन में कब टूट गई ?
उत्तर– सेठ जी की धर्त्मता छवि भिखारिन के मन में तब टूटी जब भिखारिन का बच्चा बहुत बीमार हो गया भिखारिन ने दावा दारू की , वैद्य हकीमों से उपचार कराया परंतु संपूर्ण प्रयत्न व्यर्थ सिद्ध हुए और लड़के की दशा दिन ब दिन बुरी हो गई तब वह उसका इलाज कराने के लिए अपने सेठ जी के पास अपनी हांडी में से कुछ रुपए मागने गई और कहा –" सेठ जी , मेरा जमा पूंजी में से मुझे पांच दस रुपए मुझे मिल जाए तो बड़ी कृपा हो ।" तब सेठ जी ने कठोर स्वर से कहा — " कैसी जमा पूंजी? कैसे रुपए? मेरे पास किसी के जमा रुपए नही है ।"
प्रश्न 5. सेठ जी मोहन को कैसे पहचाना ?
उत्तर– भिखारिन के बच्चा का चेहरा सेठ जी के खोए हुए पुत्र से मिलता – जुलता था वह मोहन जो सात वर्ष पहले किसी मेले में को गया था मोहन के जांघ पर लाल रंग का चिन्ह था इस विचार के आते ही सेठ जी ने भिखारिन के बच्चे की जांघ देखी तो चिन्ह अवश्य था तब सेठ जी को विश्वास हो गया की ये उन्हीं का बच्चा मोहन है।
प्रश्न 6. " तुम्हारा बच्चा है इसलिए लाख यत्न करके भी उसे बचावोगे मेरा बच्चा होता उसे मर जाने देते क्यों "? ऐसा भिखारिन ने क्यों कहा ?
उत्तर– " तुम्हारा बच्चा है इसलिए लाख यत्न करके भी उसे बचाबोगे मेरा बच्चा होता तो उसे मर जाने देते क्यों? " ऐसा भिखारिन ने इसलिए कहा क्यों की सेठ जी ने भिखारिन के पैसे उसके बच्चे के इलाज के लिए नही दिया और जब वही बच्चा सेठ जी का मोहन निकला तो सेठ जी ने कहा की लाख यत्न करके भी इसके प्राण बचाऊंगा।
प्रश्न 7. सेठ जी ममता मोहन के प्रति क्यों उमड़ आई?
उत्तर– सेठ जी की ममता मोहन के प्रति इसलिए उमड़ आई क्योंकि मोहन कोई और नही मेले में खोया उसका बेटा था जिसे सेठ जी ने लाल चिन्ह देखकर पहचान लिया था ।
पाठ से आगे-
प्रश्न 1. हम धार्मिक स्थलो पर जाते हैं वहीं मंदिरों के बाहर भीख मांगने वालों की एक कतार देखने को मिलती है ।आप मित्रों से बात कीजिए कि लोग भीख क्यों मांगते हैं?
उत्तर – हम धार्मिक स्थलों पर जाते हैं वहीं मंदिरों को बाहर भीख मांगने वालों की एक कतार इसलिए देखने को मिलती है क्योंकि मंदिर में आने वाले श्रद्धालु कुछ ना कुछ दान पुण्य करते हुए जाते हैं और भिखारियों को घूम -घूम कर भीख नहीं मांगना पड़ता। लोग भीख इसलिए मांगते हैं क्योंकि उनकी कोई ना कोई मजबूरी होती है जैसे अपंगता, अंधत्व ,लूला ,लंगड़ा या अन्य शारीरिक अक्षमता आशा जिसके चलते हुए कामकाज नहीं कर पाते और उनकी देखभाल भरण पोषण करने वाला भी कोई नहीं रहता ।उनमें मेहनत करने की शक्ति नहीं रहती ।
प्रश्न 2. पाठ में लिखा है कि सेठ और भिखारी इन दोनों की एक ही दशा थी ।आप विचार कर लिखिए कि दोनों की यह दशा क्यों थी ?
उत्तर – सेठ जी और भिखारिन दोनों की एक ही दशा इसलिए थी क्योंकि दोनों को बच्चे से बहुत ही स्नेह था सेठ जी बच्चे का पिता था तो भिखारिन बच्चे का पालन पोषण की थी और बच्चा बहुत बीमार था बच्चे का शरीर ज्वर से तप रहा था दवा- दारू असर नहीं कर रहा था और बच्चे की दशा दिन-ब-दिन बिगड़ती जा रही थी बच्चों की हालत चिंताजनक हो रही थी। इसलिए दोनों की दशा एक जैसी थी दोनों जल्दी से जल्दी मोहन के पास पहुंचना चाहते थे ।
प्रश्न 3. कहानी में सेठ जी व्यक्तित्व का कौन सा पहलू आपको प्रभावित करता है ,लिखिए-
उत्तर– कहानी में सेठ जी के व्यक्तित्व का यह पहलू हमें प्रभावित करता है जब सेठ जी भिखारिन की आगे रो दिए ।आज तक जिन्होंने किसी के सामने सिर न झुकाया था किंतु इस समय अंधी भिखारिन के पाँवो पर गिर पड़े और रो-रोकर बोले "ममता की लाज रख लो ,आखिर तुम भी उसकी मां हो। चलो, तुम्हारे चलने से वह बच जाएगा।" सेठ जी भिखारिन को सहारा दिया ,घोड़ा गाड़ी पर बिठा दिया और कोठी आने पर अंधी को सहारा देकर उतारा। मोहन का स्वास्थ्य ठीक होने पर अंधी जाने लगती तो सेठ जी ने उसे अपने पास रुक जाने के लिए कहा और अंधी के रुकने पर फिर रुपयों की थैली उसके हाथों में दे दी।
प्रश्न 4. एक विपन्न स्त्री द्वारा भीख मांग कर जमा किए गए धन को सेठ जी द्वारा देने से इंकार करना किस प्रकार के माननीय मूल्यों का सूचक है? साथियों से बात कर लीखिए।
उत्तर– एक विपन्न स्त्री द्वारा भीख मांग कर जमा किए धन को सेठ जी द्वारा इंकार करना जमाखोरी ,ठगी ,बेईमानी के रूप में नैतिक जीवन मूल्य को दर्शाता है।
प्रश्न 5. कहानी के दोनों प्रमुख चरित्र में से आपकी दृष्टि में महत्वपूर्ण कौन है ?एक बेटे के रूप में मोहन किसे अधिक चाहता है और क्यों?
उत्तर– कहानी की दोनों प्रमुख चरित्रों से हमारी दृष्टि में महत्वपूर्ण भिखारिन है क्योंकि उसने एक बालक जो उसकी नहीं था उसको अपनी झोपड़ी में आश्रय दिया और पालन पोषण किया एक बेटे के रूप में मोहन अंधी भिखारिन को अधिक चाहता है क्योंकि भिखारिन को वह अपनी मां समझता और भिखारिन बहुत ही स्नेह करती थी उसे अच्छा अच्छा खाने को देती थी।
भाषा से
प्रश्न 1. पाठ में इस तरह लिखे गए शब्दों को देखिए -
आने - जाने ,दो - चार, थोड़ा-बहुत, मन -ही -मन ,उछलता- कूदता, पास -पड़ोस ,चुम- चुमकर। शब्दों के मध्य प्रयुक्त चिन्ह (-)को योजक चिन्ह कहते है ।योजक चिन्ह का प्रयोग सामासिक पदों या द्वित्व और युग्म शब्दों के मध्य किया जाता है तुलनात्मक 'सा','सी','से'के पहले योजक चिन्ह का प्रयोग होता है। पाठ में आए चिन्ह वाले शब्दों को खोजकर लिखिए ।
उत्तर – पहुंचते-पहुंचते ,सेवा - सुश्रुषा,रो-रोकर, शीघ्र- से -शीघ्र, दश-पंद्रह , कहा-सुना, रह-रहकर- स्वर्ग -लोक ,करते-धरते ,फटे -पुराने ,टस- से- मस ,मिलती -जुलती ,शक्ल -सूरत, बैठे-बैठे, दवा -दारू ,डरते- डरते।
प्रश्न 2. पाठ में यह संदर्भ आया है कि' बच्चा -बच्चा उनकी कोठी से परिचित था ।इस प्रयोग का अर्थ है हर एक बच्चा या प्रत्येक बच्चा। इसी प्रकार आदमी ,पेड़ ,पत्ता, मन शब्द का इस रूप में स्वतंत्र रूप से वाक्य में प्रयोग कीजिए कि इनका निहित अर्थ स्पष्ट हो जाए।
उत्तर– आदमी -आदमी
आदमी -आदमी की पहचान मुसीबत के समय ही होती है।
पेड़ - पेड़- हमें पर्यवारण को बनाए रखने के लिए पेड़- पेड़ की देखभाल करनी चाहिए ।
पत्ता - पत्ता - पतझड़ ऋतू के आते ही क्या प्रत्येक पेड़ का पत्ता -पत्ता झड़ जाता है ।
मन - मन - हम ईश्वर को प्रत्येक क्षण मन-मन याद करते है।
प्रश्न 3. सत्य- असत्य, श्वेत- श्याम ,झोपड़ी -महल जैसे शब्द का प्रयोग पाठ में हुआ है जो परस्पर विलोम अर्थ को अभिव्यक्त करते हैं। निम्नलिखित शब्दों के के विलोम अर्थ को सूचित करने वाले शब्दों को ढूंढ कर लिखिए-
उत्तर-
सुख-दुख
प्रसिद्ध- गुमनाम
परिचित- अपरिचित
पश्चात -पूर्व
कठोर- कोमल
बिगाड़ना- बनाना
निराशा -आशा
बेईमान- इमानदार
आशीष- श्राप
बहुत -कम
अंधेरा -उजाला
अपरिचित -परिचित
प्रश्न 4. निम्नलिखित शब्दों का छत्तीसगढ़ी भाषा में प्रचलित रूप लिखिए
आशीर्वाद -असीम
सेठ -मालिक
बच्चा -लइका
संतान-लइका
झोपड़ी -झोपरी
बेटा -बेटा
दरवाजा -कपाट
दयालु -परोपकारी
मंदिर- मंदिर
प्रसिद्ध- नाम कमाना
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