हिंदी कक्षा 7वीं पाठ 14 भारत बन जाही नंदनवन -कोदूराम ' दलित '

 पाठ 14 

भारत बन जाही नंदनवन -कोदूराम ' दलित ' 



छत्तीसगढ़ी शब्द मन के हिन्दी अर्थ 

झन = मत , नहीं ।

पुरुसारथ = पुरुषार्थ , पराक्रम ।

कलेस = कष्ट । 

पिछवा जाबे = पिछड़ जाओगे ।

अगोर = प्रतीक्षा करो ।

नरेस = नरेश या राजा 

इखरे = इनके । 

तोर = तुम्हारा । 

रच = चना करना ।

नवभारत = नया भारत |

तरुण = युवा , जवान

रंग महल -आमोद - प्रमोद के लिए बनाया गया महल ।

स्वदेश- अपना देश

नंदनवन -स्वर्ग में देवराज इंद्र की वाटिका ।

खंडहर = खण्डहर , टूटे - फूटे भवन । 

भागीरथ = ऋषि जिन्होंने तपस्या करके गंगा को धरती पर लाया । 

 पाठ का सार ( हिन्दी ) 

 प्रस्तुत पाठ की कविता में कवि ने देश के युवाओं , मजदूरों और किसानों को आलस्य छोड़कर मेहनत करने की बात कही है । कवि का विचार है कि इनके हाथों में देश की असली ताकत है । यही लोग जनता की दुःख - पीड़ा को खत्म कर सकते हैं । अपने ज्ञान और मेहनत के बल पर ये लोग अपने देश को नंदनवन ( स्वर्ग की वाटिका ) जैसा सुन्दर बना सकते हैं । उन्होंने युवाओं की तुलना भीम , भगीरथ तथा महावीर जैसे कर्मठ एवं बलशालियों से की है ।

 कविता का  अर्थ 

1. हे नव भारत के तरुण वीर , हे भीम , भागीरथ , महावीर । 

अर्थ- कवि ने प्रस्तुत पद्यांश में नये भारत के युवाओं की शक्ति का बखान किया है । वे कहते हैं कि हे नये भारत के युवा वीर , हे बलशाली भीम , तपस्वी कर्मठ ऋषि भागीरथ ( जिन्होंने अपने अथक प्रयत्न से जनहित के लिए गंगा ( नदी ) को धरती पर लाया ) , महावीर ( बजरंग बली ) जागो । कवि ने उनकी शक्ति को जागृत करने का प्रयास किया है । 

2. झन भुला अपन पुरुसारथ बल , खँड़हर मा रच अब रंग महल ।

अर्थ - कवि कहते हैं कि हे युवाओं अपने पुरुषार्थ ( पराक्रम ) को मत भूलो अपनी ताकत एवं लगन से खण्डहर को रंग महल ( खूबसूरत भवन ) बना दो । अर्थात् टूटे घर को बसा दो उसे अपने श्रम से रहने लायक सुखमय बना दो ।

3. ये राज तोर , सरकार तोर , ये दिल्ली के दरबार तोर । 

अर्थ- कवि कहते हैं कि यह राज ( राज्य ) एवं सरकार तुम्हारा है , क्योंकि हमारे भारत वर्ष में प्रजातंत्र अर्थात् जनता की सरकार है ) अर्थात् हम अपने सरकार को जनहित के लिए बाध्य कर सकते हैं । दिल्ली में सरकार राजकाज चलाती है , जनता के लिए कानून बनाती है सब हमारा है । 

4 . हे स्वतंत्र भारत के नरेस , जन - जन के जल्दी हर कलेस ।

अर्थ - कवि युवाओं से कहते हैं कि हे भारत के जनतंत्र ( प्रजा तंत्र ) के नरेश ( राजा ) आम जनता का कष्ट एवं पीड़ा को शीघ्र दूर करो । अर्थात् तुम ही अपने मेहनत एवं लगन से जनता की परेशानी दूर कर सकते हो ।

5. माँगे स्वदेश श्रमदान तोर , सम्पदा , ज्ञान - विधान तोर ।

अर्थ - कवि कहते हैं कि भारतीय जनता युवाओं से श्रमदान ( मेहनत ) चाहती है । भारत की सम्पदा ( सम्पत्ति ) , ज्ञान - विज्ञान , कानून सभी हमारे लिए ही हैं । युवा आगे आए और अपने ज्ञान एवं श्रम से जनहित के लिए उसका सदुपयोग करें । 

6.जब तोर पसीना पा जाही,  ये पुरुष - भूमि हरिया जाही ।

अर्थ- कवि युवा के साथ भारतीय किसान एवं मजदूरों से भी आह्वान करते हैं कि उनके परिश्रम ( पसीना ) से भारत की धरती ( खेत - खार , बाग - बगीचा , बाड़ी ) हरी - भरी हो जाएगी । अर्थात् हमें खाने को अनाज एवं शाक - सब्जी उपलब्ध हो जाएँगे । 

7. पाही जब तोर बटोरे धन , भारत बन जाही नंदनवन ।

अर्थ - कवि कहते हैं कि तुम्हारे द्वारा कमाकर एकत्रित किए हुए धन सम्पत्ति से भारत वर्ष नंदनवन हो जाएगा । अर्थात् भारत में चारों ओर हरियाली एवं खुशहाली छा जाएगी । भारत स्वर्ग के समान हो जाएगा । लोग सुखी एवं सम्पन्न होंगे ।

8. पाही तोर विसुद्ध ज्ञान , भारत बनही जग मा महान ।

अर्थ - कवि युवाओं से कहते हैं कि तुम्हारे विशुद्ध ज्ञान विज्ञान से भारत देश विश्व में महान बन जाएगा । भारत की चर्चा एवं ख्याति विश्व में फैल जाएगी । इसके लिए युवाओं का सही ज्ञानार्जन एवं उसका प्रचार - प्रसार करना होगा । 

9. तज दे आलस कर श्रम कठोर , पिछवा जाबे , अब झन अगोर । 

अर्थ- कवि युवाओं , किसानों एवं श्रमिकों से कहते हैं कि अब आलस ( आलस्य ) छोड़कर देश के विकास के लिए कठोर परिश्रम करो , नहीं तो अन्य देशों के विकास की तुलना में पीछे रह जाओगे । अब प्रतीक्षा करने का समय नहीं है । समय नष्ट मत करो , समय का सदुपयोग करो ।

 अभ्यास

 पाठ से

 प्रश्न 1. कवि ह भीम , भागीरथ अठ महावीर कोन ल केहे ( कवि ने भीम , भागीरथ और महावीर किसे कहा है ? ) 

उत्तर – कवि ह भीम , भागीरथ अठ महावीर नवभारत के तरुण मन ले केहे हे । ( कवि ने भीम , भागीरथ और महावीर नये भारत के युवाओं को कहा है । )

 प्रश्न 2. कवि देश के नवजवान मन ले का माँगत हे ? ( देश नवजवानों से क्या माँगते हैं ? )

उत्तर - कवि देश के नवजवान मन ले ओखर श्रमदान माँगत है । ( देश नवजवानों से उनका श्रमदान माँगता है क्योंकि परिश्रम से ही देश का विकास सम्भव है । नवजवानों में श्रम करने की शक्ति अधिक होती है । ) 

प्रश्न 3. ' खँडहर मा रच अब रंग महल ' म छिपे भाव ल समझावव । ( ' खण्डहर में रचिए अब रंग महल में छिपे भाव को समझाइए । )

उत्तर- ' खँड़हर मा रच अब रंगमहल ' में छिपे भाव का अर्थ है ' देश के खराब हालत सुधारो । ' कवि ह युवा मन ला आह्वान करत कहत है कि युवा मन देश के आरथिक अउ सामाजिक स्थिति ल सुधारौ । छूटे हुए घर ल बसावव । ( खण्डहर में रचिए अब रंग महल में छिपे भाव का अर्थ है । कि देश की आर्थिक हालत सुधारें । कवि युवाओं को आह्वान करते हुए कहते हैं कि वे देश की आर्थिक एवं सामाजिक हालात को सुधारें । टुटे हुए घर को बसावें । )

प्रश्न 4. कवि ह नवजवान मन ले कड़ा मिहनत करे बर काबर कहत हे ? ( कवि ने नवजवानों से कड़ी मेहनत करने की बात क्यों कही है ? ) 

उत्तर- कवि ह नवजवान मन ले कड़ा मिहनत करे बर एखर सेती कहत हे काबर कि देश के नवजवान मन म उत्साह , ताकत अउ जोश होथय । ओमन ह देश के विकास बर लगन अउ श्रम से अच्छा ढंग ले काम कर सकथे । एखर से देश के विकास होही अउ हमर देश ह खुशहाल हो जाही । ( कवि ने नवजवानों से कड़ी मेहनत करने की बात इसलिए कही है क्योंकि उनमें उत्साह एवं जोश होता है । वे देश के विकास के लिए लगन एवं मेहनत से अच्छी तरह से काम कर सकते हैं । इससे देश का विकास होगा और हमारा देश खुशहाल हो जाएगा । )

 प्रश्न 5. भारत नंदनवन कब बन जाही ? ( भारत नंदनवन कब बन जाएगा ? ) 

उत्तर- भारत नंदनवन तब बन जाही जब देश के नवजवान , किसान अठ मजदूर मन ह अपन श्रम ले देश के लिए फसल उगाही , रुपिया पइसा कमाही अठ देश ह खुशहाल हो जाही । ( भारत नंदनवन तब बन जाएगा जब देश के नवजवान , किसान , मजदूर अपने परिश्रम से फसल उगाएँगे , रुपया , धन सम्पत्ति कमाएँगे और देश खुशहाल हो जाएगा । )

  पाठ से आगे

 प्रश्न 1. देश के नौजवान मन ले कवि बहुत उम्मीद करत है । नौजवान का का कर सकता है ? अपन साथी मन संग चर्चा करके विकास काम के सूची बनावद ।

उत्तर- देश के नवजवान मन से कवि उम्मीद करता है कि वो मत अपने ज्ञान आठ ताकत से भारत के विकास में अपन अमोल सहयोग देवय । कोमन अपन आलस स तब कर भारत के अमोल सम्पद अज्ञान - विज्ञान के उपयोग कर भारत ल खुशहाल आज सम्पन्न बनाये । भारत के नवजवान मन अपन ताकत से भारत से नवभारत बनाय के प्रयास करें । ( देश के नवजवानों से कवि आशा करते हैं कि वे अपने परिभ्रम , ज्ञान और ताकत से भारत के विकास में अमूल्य योगदान देवें । वे अपने आलसीपन का त्याग कर भारत के अमूल्य सम्पदा और ज्ञान विज्ञान का उपयोग कर भारत को खुशहाल एवं सम्पन्न बनाएँ । भारत के नवजवान अपनी ताकत से भारत को नवभारत बनाने का प्रयास करें । ) 

प्रश्न 1. ये शब्द मन के हिंदी रूप लिखव

पुरूसारथ -पुरुषार्थ 

अगोर- प्रतीक्षा

कलेस- क्लेश

झन- लोग

पिछवा - पीछे/पिछड़ना

पुरुष-भूमि- कर्मभूमी

विसुद्ध - विशुद्ध

प्रश्न 2. खाल्हे लिखाय शब्द मन के दो - दो समानोच्चरित शब्द लिखव ।

स्वदेश- विदेश,निवेश

वीर- पीर,नीर

तोर- मोर,जोर

विशुद्ध- युद्ध, अशुद्ध

महल- चहल,पहल

प्रश्न 3. खाल्हे लिखाय शब्द मन के उल्टा अर्थ वाला शब्द लिखव

गुन- अवगुन

आगु- पाछू

कठोर- कोमल

खंडहर- वीरान

नरेस- निर्धन

विशुद्ध- अशुद्ध

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