हिंदी कक्षा 7वीं पाठ 5 सरद रितु आ गे पं. द्वारिका प्रसाद तिवारी 'विप्र' ( शरद ऋतु आ गई)

पाठ 5 सरद रितु आ गे  पं. द्वारिका प्रसाद तिवारी 'विप्र' 

( शरद ऋतु आ गई)



 छत्तीसगढ़ शब्द  के हिंदी अर्थ

चौमास   =    वर्षा ऋतु के चार माह

परागे    =     दूर हो गया

चाउर= चावल

सही= जैसे

छराना = चावल को मूसल से कुटकर साफ करना

जगजग ले =प्रकाश 

चारोखूंट=चारो ओर

रिगबिग ले=झिलमिलाता  हुआ

अनपूरना=अन्नपूर्णा

अकास=आकाश

चिखला=कीचड़

झंझटहा=परेशान करने वाला 

अघागे= तृप्त हो गया 

लहुटारा खातिर=वापस लाने के लिए

दसना=बिस्तर

चुहुल- पुहुल = चहल -पहल

चिराई_ चुरगुन= पक्षी, चिड़िया

बइहा=पागल

सुगघर=सुंदर

घड़ी=समय

रद्दा=रास्ता , सड़क

अघुवाईस= आगे आए

   (पाठ का हिंदी सारांश- वर्षा ऋतु की चार माह हमारी जिंदगी सुख समृद्धि का आधार है ।हरी भरी धरती को देखकर हमारी मन खुशी से भर जाता है वर्षा के पश्चात शरद ऋतु आता है ,इस ऋतु में आकाश साफ हो जाता है।)  


 चौमास के पानी परागे ।

 जाना- माना आकाश हर, चाऊर सही छरागे।

सन्दर्भ/प्रसंग –प्रस्तुत पद्यांश हमारे पाठ्यपुस्तक छत्तीसगढ़ भारती के छत्तीसगढ़ी कविता  पाठ 5 सरद रितु आ गे से लिया गया है। जिसके रचनाकार पं. द्वारिका प्रसाद तिवारी जी है।

हिंदी अनुवाद – कवि कहते है की चौमास अर्थात वर्षा ऋतु का चार माह समाप्त हो गया है । जाना माना आकाश स्वच्छ होकर कूटे हुए सफेद चावल के समान स्वच्छ होकर बिखेर गया है । जिस प्रकार मुसल से कटने के बाद चावल एकदम स्वच्छ दिखाई देता है, वैसा ही आकाश दिखाई देने लगा है। 

जगजग ले अब चंदा उथए ,  बदर भाई फरियर

पीर्थी, माता चारोखूट ले दिखते हरियर-हरियर

रिगबिग ले अनुपूर्णा हर खेतन-खेत म छागे।।

हिंदी अनुवाद –कवि कहते है की शरद ऋतु के आने से  रात में आसमान पर चंद्रमा चमकने लगता है बदल साफ हो गया है धरती (माता) चारो तरफ हरी भरी(हरियाली) दिखने लगी है चारो तरफ खेतो में अनाज अन्नपूर्णा देवी की फसल लहलहाने लगी है अर्थात शरद ऋतु में धरती में अन्नपूर्णा (देवी) साक्षात प्रकट हो जाती है।

नदिया आऊ तारिया के पानी , कामती होए लगीस।

रददा के चौमास के चिखला झंझटहा हर भागीस।

बने पेट भर पानी पीके पीर्थि आज अघागे।।

हिंदी अनुवाद – कवि कहते है की शरद ऋतु के आगमन से नदी एवम तलाब का पानी कम होने लगा है रास्ते का बरसात का कीचड़ सुख गया है अर्थात कीचड़ का झंझट नही हैं धरती की प्यास बुझ गई है अर्थात वर्षा की पानी ने धरती माता की प्यास बुझ गई है।



 लछमी ल लहुटरे खातिर जल देवता अगुवाई  । 

तब जगजग ले पुरवाईन पाना के दसना दसवाईस ।

रिगबिग ले फिर कमल फूल हर, तरिया भर छतर आगे।।

हिंदी अनुवाद– कवि कहते है की शरद ऋतु में लक्ष्मी (धन देवी) माता को वापस लाने के लिए जल देवता आगे आते है।लक्ष्मी का सवारी कमल का फूल है । तालाब में पुराइन पत्ते  (जिसमें कमल खिलते है) के बिछौने लक्ष्मी देवी के लिए बिछे है अर्थात तालाब में पत्ते तथा कमल फूल खिले है । जल में कमल खिलते है तथा लक्ष्मी माता कमल फूल में बैठती है। इसलिए जल देवता ही लक्ष्मी को वापस लाती हैं ।

चरोखूत म चुहुल-पुहूल ,अब करते  चिराई-चुरगुन।

भौरा घलो परे हे बाईहा, करते गुनगुन-गुनगुन।

अमृत वर्षा होही संगी, सुग्घर घड़ी अब आगे।।

हिंदी अनुवाद –कवि कहते है की शरद ऋतु में चारो तरफ चिड़िया चहचहाती है । वे खुशियों का इजहार करते हुए इस ओर से उस ओर आती जाती रहती है भौरा भी पागल होकर गून-गुन कर रहा है अब अच्छा मौसम(समय)आ गया है कहते है की इस ऋतु में अमृत वर्षा होती है इसलिए लोग शरद - पूर्णिमा की रात को खीर बनाकर खुले आसमान में रख देते है और दूसरे दिन उसे खाते है । शरद ऋतु सुख-समृद्धि एवम खुशियों का सन्देश लेकर लाती हैं।।

       अभ्यास    

प्रश्न 1.आकाश ह चाउर सही छरागे का अर्थ हे ?

( आकाश चावल के समान छरहरा ( स्वच्छ) हो गया का क्या अर्थ है?

उत्तर–आकाश ह चाउर सही छरागे के अर्थ हे-चौमास के पाछु  वर्षा खतम होवत ही अकाश  छराए चाउर असन एकदम सफेद दिखन लागत हे।आकाश म कारी बदरी नई छाए रहय। ( आकाश चावल के समान स्वच्छ हो गया का अर्थ है की चौमास के बाद वर्षा खत्म होते ही आसमान स्वच्छ एवम साफ दिखाई देने लगता है आकाश में काले बादल दिखाई नही देते है ।

प्रश्न 2. नदिया अऊ तरिया के पानी काबर कमती होए लगिस?

उत्तर–चौमास के पाछु बरसा ऋतु के खतम होवत ही मौसम ह गर्म होवन लगते अऊ नदिया तरिया के पानी ह कम  होवन लगते।

( चौमास के पश्चात वर्षा ऋतु के समाप्त होते ही मौसम में गरामाहट आ जाती है और नदी तथा तलाबो का पानी कम होने लगता है।)

प्रश्न 3. लछमी ल लहुटारे  खातिर जल देवता ह का-का उमिद करीस?

( लक्ष्मी ( धन की देवी ) की वापसी के लिए जल देवता (तालाब) ने क्या-क्या उपाय किया?)

उत्तर:- लक्ष्मी माता ह कमल के फूल म बैठते । लक्ष्मी माता ल लहुटारे बर  जल देवता माने तरिया ह अपन पानी म पुराइन पान अऊ कमल फूल खिलते ताकि लक्ष्मी ह ओखर उपर बईठ सकय।

( लक्ष्मी अर्थात धन की देवी कमल के फूल में सवारी करती है । लक्ष्मी को वापस लाने के लिए जल देवता अर्थत तालाब अपने पानी में पुराईं पत्ते एवम कमल फूल खिलते है जिससे लक्ष्मी उसपे बैठ सके । शरद ऋतु में तालाब कमल फूल से भरा होता है ।

प्रश्न 4. कवि ह अमृत वर्षा काला कहे हावय , अऊ ये वर्षा कब होथे ?

उत्तर –कवि के अनुसार शरद ऋतु में ओस की बूंदे गिरती है उसे ही कवि अमृत वर्षा कहते है इसलिए लोग शरद पूर्णिमा के रात को खीर बनाकर खुले आसमान में रख देते है और दूसरे दिन उसे खाते है और ये वर्षा शरद ऋतु में शरद पूर्णिमा को होती है।

प्रश्न 5. शरद ऋतु म हमर चारो खूंट का-का बदलाव होथे ?

उत्तर– शरद ऋतु में आकाश साफ दिखाई देता है बदल साफ हो जाते है रात में आसमान मे चंद्रमा जगमगाते हुए उगता है धरती माता चारो तरफ हरी-भरी दिखाई देता है खेत अनाज के फसल से भरे हुए दिखाई देते है शरद ऋतु में प्यारे तालाब में कमल के पत्ते तथा फूल खिल जाते है चिड़िया चारो ओर चह-चहाती है तथा भौंरे पागल होकर गुनगुनाते है। ये सब शरद ऋतु की सुंदरता को प्रगट करते है। इस प्रकार हमारे चारो ओर शरद ऋतु बदलाव होते है ।

प्रश्न 6. चौमास हमर जिनगी के सुख समृद्धि के आधार कर माने गेहे अऊ चौमास म का-का होथे ?

उत्तर– चौमास में जब वर्षा होती है तो पेड़-पौधो को सिंचती है जिससे प्रकृति में फूल-फल और अच्छी फसल लहलहाती है जिससे जीव-जंतु और मानव का पालन पोषण होता है  अपनी फसल को देखकर में आनंद का संचार होता है इसलिए चौमास को हमारी जिंदगी के सुख-समृद्धि का आधार माना गया है ।चौमास में काले-काले बादल घिर आते है मयूर नृत्य करते है बिजलियां चमकती है तथा बदल गर्जना करते है । मेढ़क टर-टर की ध्वनि करते है तथा आसमान में इंद्रधनुष शोभायमान होते है ।

प्रश्न 7. कवि सुघ्घर घड़ी कोन समय ल कहे हावय अऊ ओ समय का-का बदलाव होगे ?

उत्तर–कवि सुघ्घर घड़ी शरद ऋतु ल कहे हवय। (कवि सुघ्घर घड़ी शरद ऋतु को कहे है।उत्तर:- शरद ऋतु में आकाश साफ दिखाई देता है बदल साफ हो जाते है रात में आसमान मे चंद्रमा जगमगाते हुए उगता है धरती माता चारो तरफ हरी-भरी दिखाई देता है खेत अनाज के फसल से भरे हुए दिखाई देते है शरद ऋतु में प्यारे तालाब में कमल के पत्ते तथा फूल खिल जाते है चिड़िया चारो ओर चह-चहाती है तथा भौंरे पागल होकर गुनगुनाते है ये सब शरद ऋतु की सुंदरता को प्रगट करते है। इस प्रकार हमारे चारो ओर शरद ऋतु बदलाव होते है ।

            पाठ से आगे

प्रश्न 1. सरद तु के आए ले चिराई-चुरगुन अऊ भौरा अपन खुशी ल कैसे प्रगट करथ हावय?

( शरद ऋतु के आने से भौरा अपनी खुशी को कैसे प्रकट करते है?) 

उत्तर–शरद रितु के आए ले चारो खूंट म चिरइ-चिरगुन म एति -ओती चुहुल-पुहुल कर थे अउ भौरा घलो ह बैहा  होके  गुन-गुन कर थे ( शरद रितु के आने से चारो ओर चिड़िया चहचहाते है एवम खुशी से इधर-उधर फुदकती है तथा भौरा भी खुशी से पागल होकर गुनगुनाने लगता है अर्थात खुशी का गीत गाता है ।)

प्रश्न 2. बने पेट भर पानी पीके पिर्थी आज अघा गे ये वाक्य ल कवि काबर कहे हावय ?

उत्तर– बने पेटभर पानी पीके पिरथी आज अघागे इस वाक्य से कवि का तात्पर्य यह है की धरती की प्यास बुझ गई है अर्थत वर्षा के पानी ने धरती माता की प्यास बुझा दी वर्षा के कारण पृथ्वी माता तृप्त  हो गई है।

प्रश्न 3. तुहार सोच ले कोन से रितु सबले  सुघ्घर हो थे , सुघ्घर काबर लगथे अपन कक्षा में विचार कर लिखव।

उत्तर–हमारे सोच से बसंद ऋतु सबसे सुंदर होता है क्यों की इस ऋतु में प्रकृति में रंग- बिरंगी पुष्प खिलते है वातावरण में भीनी- भीनी खुशबू करते है ।कोयल की कूकने की मीठी आवाज सुनाई देता है आम के बौर आ जाते है। वृक्षों में नए-नए पत्ते आने लगते  है और होली त्योहार आने की खुशी के कारण हमे बसंत ऋतु अच्छी लगती है।

प्रश्न 4. चौमास के महीना म तुहर घर के आस - पास  का - का बदलाव हो थे। आऊ तुमन ल ओकर से का-का परेशानी आऊ का आसानी लग थे। अपन कक्षा में विचार करके लिखव?

उत्तर–चौमास के महीना म हमारे घर के आस-पास बहुत से बदलाव देखने को मिलता है सड़क एवम गलियों में पानी भर जाता है तालाब लबालब भर जाते है आस- पास मेढ़क टरटराने लगता है सांप,कछुआ,मेढ़क आदि भी निकलते है। चौमास में ज्यादा पानी गिरने से रास्ते में कीचड़ हो जाता है और कही भी आने जाने के लिए परेशानी होती है वर्षा ऋतु में हम पानी की समस्या नहीं होती जल के स्रोत कुआ आदि भर जाते है तथा पेड़- पौधे को इस ऋतु में लगाने से आसानी से लग जाते है।        

               भाषा से

प्रश्न 1. ये शब्द मन के हिंदी खड़ी बोली के शब्द रूप लिखव–

उत्तर–

जगमग–जगमगाना 

चाउर –चावल

पिरथी– पृथ्वी, धरती 

चारो खूंट– चारो ओर 

रिगबिग–झिलमिलाता हुआ

अनपूरना–अन्नपूर्णा

तरिया–तालाब

पुरईं– कमल

दसना– बिस्तर , बिछौना

बइहा– पागल

चुहुल-पुहूल– चहल-पहल

प्रश्न 2. खाल्हे लिखाए शब्द मन के उल्टा अर्थ वाला शब्द लिखव।

उत्तर–

अकास –पाताल

बरसा– सुखा

फरीयर– गंदा, खीख

सुघघर –कुरूप

बईहा – बुद्धिमान, जानकर, 

झंझटहा –सिधवा, सीधा

कमती – अधिक ,जादा

प्रश्न 3. ये शब्द मन ला अर्थ स्पस्ट करे बर अपन वाक्य में प्रयोग करव–

उत्तर–

 (1) गुनगुन- गुनगुन– गुनगुनाना।

प्रयोग– आज बिहनिया हमर घर भौरा ह गुनगुनावत रहिस हे ।

( आज सबेरे हमारे घर भौंरा गुनगुना रहा था ) 

(2) हरियर-हरियर– हरा- हरा।

प्रयोग– चौमास मा प्रकृति ह चारो खूंट हरियर-हरियर दिखते।

( वर्षा ऋतु में प्रकृति चारो ओर हरी भरी दिखती है ।)

(3) घड़ी– समय । 

प्रयोग–  दुखद घड़ी ह एक न एक दिन बीत जा थे ।

( दुख का समय एक न एक दिन बीत ही जाता है )

(4) अमरीत– अमृत।

प्रयोग– शरद पूर्णिमा म  अमृत बरसा हो थे।

( शरद पूर्णिमा के दिन अमृत वर्षा होती है )

(5) चिराई-चुरगुन –पक्षी चिड़िया । 

प्रयोग– गर्मी के दिन मा चिराई-चुरगून ल पानी देना चाहिए। 

( गर्मी के दिन में पक्षियों को पानी देना चाहिए।)

(6) तरिया – तालाब।

प्रयोग– बरसा रितु में हमर गांव के तरिया ह लबालब भर्गे ।

( वर्षा ऋतु में हमारे और गांव का तालाब लबालब भर गया )।

(7)  रिगबिग– झिलमिलाता हुआ ।

प्रयोग–सरद ऋतु म तरिया मन मा कमल फूल ह रिग्बिग  ले करत दिख थे।

( शरद ऋतु में  तलाबो में कमल फूल झलमिलाते हुए दिखाई देते है)

(8) चाऊर – चावल

प्रयोग–छेरछेरा पुन्नी के दिन धान आऊ चाऊर के दान करे जा थे।

( छेरछेरा पुन्नी के दिन धान और चावल का दान किया जाता है ।)

(9) अघागे =तृप्त हो गया 

प्रयोग– बरसा के पानी ले धरती माता ह आघागे।

( वर्षा के जल से धरती माता तृप्त हो गई।)

Post a Comment

0 Comments