इतिहास कक्षा - आठवीं अध्याय - 5 भारतीय समाज में नए विचार/BHARTIYA SAMAJ ME NAYE VICHAR

 इतिहास कक्षा - आठवीं

अध्याय - 5 भारतीय समाज में नए विचार



प्रश्न 1.क्या आज भी बाल - विवाह होते हैं , यदि हाँ तो उसे कैसे समाप्त किया जा सकता है ? 

उत्तर- हाँ , आज भी समाज में बाल - विवाह का प्रचलन है । उसे समाप्त करने के सुझाव निम्न हैं-

( 1 ) बाल - विवाह से होने वाली हानियों को माता - पिता को समझाया जाय । 

( 2 ) ग्राम पंचायत को इसकी निगरानी का दायित्व दिया जावे ।

( 3 ) बाल विवाह निरोधक कानून का कड़ाई से पालन किया जाय ।

( 4 ) सामाजिक संगठनों को निर्धन बालिकाओं के विवाह की जिम्मेदारी लेना चाहिए । 

( 5 ) सामूहिक और आदर्श विवाह को प्रोत्साहित किया जाय 

( 6 ) समाचार के माध्यमों से इस विषय में जागरुकता का प्रयास किया जाय । 

( 7 ) सरकारी प्रक्रियाओं को सरल करना चाहिए , जिससे आम जनता को लाभ मिल सके।

प्रश्न 2. क्या आज कन्या जन्म को अशुभ माना जाता है यदि हाँ तो इस भावना को कैसे बदला जा सकता है ।

उत्तर — आज भी 21 वीं सदी के युग में मानव का विचार नहीं बदला है । कन्या जन्म लेने पर आज भी अशुभ माना जाता है , इस भावना को बदलने के लिए राष्ट्र द्वारा कई विज्ञापन और समाचार प्रसारित किये जा रहे है। प्रचार - प्रसार करके इस भावना को बदला जा सकता है ।

प्रश्न 3. हमेशा दहेज प्रथा का विरोध हुआ है , फिर भी इसका प्रचलन क्यों है ? 

उत्तर- दहेज प्रथा एक सामाजिक अभिशाप है । तब से लेकर अब तक इसे रोकने का हर सम्भव प्रयास किया जा रहा है । वर्तमान में भी यह प्रथा प्रचलित है , इसके कारण निम्न हैं-

( 1 ) कन्या पक्ष द्वारा सरकारी नौकरी युक्त वर को प्राथमिकता दिया जाना । 

( 2 ) दहेज को कन्यापक्ष अपनी प्रतिष्ठा के साथ जोड़कर देखती है । 

( 3 ) कन्या के माता - पिता यह मानने लगे हैं कि ज्यादा दहेज देने पर हमारी बेटी सुखी रहेगी । 

( 4 ) उच्च वर्ग के लोग इस प्रथा को निरन्तर बढ़ावा दे रहे हैं । 

( 5 ) जन - जागृति की कमी । 

( 6 ) दहेज प्रताड़ना कानून के तहत बहुत कम लोगों को सजा होती है ।

( 7 ) भारत में प्रचलित दीर्घकालीन न्याय पद्धति ।

( 8 ) युवाओं द्वारा समर्थन की कमी ।

 अभ्यास प्रश्न


प्रश्न 1.खाली स्थान भरिए

 ( 1 ) शारदा एक्ट 1929 द्वारा बाल विवाह पर रोक लगाई गई।

 ( 2 ) सती प्रथा को बंद करवाने वाले समाज सुधारक  राजा राममोहन राय थे।

 ( 3 ) आंध्र प्रदेश के एक प्रसिद्ध समाज सुधारक  वीरेशलिंगम थे ।

 ( 4 )  महात्मा गांधी ने अखिल भारतीय हरिजन सेवक संघ की स्थापना  की ।

 ( 5 ) छत्तीसगढ़ में दलितों की स्थिति सुधारने का कार्य  पंडित सुंदर लाल शर्मा  ने किया ।

( 6 ) गुरु घासीदास का जन्म बलौदा बाजार जिले के गिरौदपुरी. में हुआ था । 

प्रश्न 2. उचित सम्बन्ध जोडिए

 1. राजा राम मोहन राय -( ग ) ब्रह्म समाज 

 2. दयानंद सरस्वती-  आर्य समाज   

 3. सर सैयद अहमद खाँ-  अलीगढ़ आंदोलन

 4. महादेव गोविन्द रानाडे- प्रार्थना समाज

 5. ज्योतिबा फुले- सत्य शोधक समाज

  प्रश्न 3. प्रश्नों के उत्तर दीजिए

 ( 1 ) गुरुघासीदास की जयंती कब मनाई जाती है ? 

उत्तर - गुरु घासीदास की जयंती 18 दिसम्बर को मनाई जाती है ।

( 2 ) सती प्रथा निषेध कानून कब और किस गवर्नर जनरल ने लागू किया था ? 

उत्तर - सती प्रथा निषेध कानून सन् 1829 में गवर्नर जनरल विलियम बैंटिंग ने लागू किया था।

 ( 3 ) विधवा पुनर्विवाह कानून कब और किसके नेतृत्व में लागू हुआ था ? 

उत्तर -विधवा पुनर्विवाह कानून सन् 1856 में ईश्वर चंद विद्या सागर के नेतृत्व में लागू किया गया था ।

( 4 ) बाल विवाह प्रथा कब और किस एक्ट द्वारा समाप्त हुई धी ?

 उत्तर- बाल विवाह सन् 1929 में शारदा एक्ट द्वारा समाप्त  भी हुई थी ।

 ( 5 ) प्रथम बालिका स्कूल कब और कहाँ खुला था ?

 उत्तर - प्रथम बालिका स्कूल सन् 1849 में कलकत्ता में खुला था । 

( 6 ) अंग्रेजी शिक्षा से भारतीयों को किन - किन बातों की जानकारी मिली ? 

उत्तर- अंग्रेजी शिक्षा से भारतीयों को निम्नलिखित बातों की जानकारी मिली- 

( 1 ) अंग्रेजी भाषा के अध्ययन से पाश्चात्य साहित्य व संस्कृति को जानने का अवसर मिला ।

 ( 2 ) स्वतंत्रता , समानता , भाईचारा , लोकतंत्र , तार्किकता तथा वैज्ञानिकता जैसे आधुनिक विचारों का परिचय मिला । 

( 3 ) आडम्बर , अंधविश्वास , रूढ़िवादिता , जाति - प्रथा जैसे दोषों में सुधार की आवश्यकता महसूस की गई । 

( 4 ) प्राचीन धर्म - ग्रंथों और दर्शनशास्त्रों के अध्ययन शुरू हुए।

( 5 ) आधुनिक भारत के निर्माण की आधारशिला रखने में सहायता मिली ।

( 7 ) सतनाम पंथ के दो प्रमुख सिद्धांतों को बताइये । 

उत्तर- सतनाम पंथ के जनक गुरु घासीदास थे । उन्होंने समाज सुधार के लिए अपना सारा जीवन समर्पित कर दिया था । उन्होंने मानव जीवन को सार्थक बनाने के लिए अनेक उपाय बताये , जिनमें प्रमुख दो बातें ( सिद्धांत ) निम्न हैं 

1. सत्य ही ईश्वर - गुरु घासीदास ने सत्य को ही ईश्वर कहा है । सच्चे मन से सत्य का आचरण करने से ही ईश्वर की प्राप्ति होती है । शेष बाह्य आडम्बर हैं , जिससे मन भटकता है । सतपंथ में सत्यनाम का प्रतीक ' श्वेत ध्वज ' यह संदेश देता है कि मनुष्य को सत्य मार्ग से कभी विचलित नहीं होना चाहिए । सत्य ही ईश्वर है , सत्य का पालन ईश्वर की उपासना है । 

2. सामाजिक व धार्मिक समानता - गुरुघासी दास समाज में व्याप्त जातिवाद , छुआ - छूत और धार्मिक संकीर्णता का विरोध करते हैं । उन्होंने लोगों को यह संदेश दिया कि मानव मात्र ईश्वर के संतान हैं , अत : उनमें भेद करना पाप है । मनुष्य का धर्म केवल मानव धर्म है । हमें सभी धर्मों का सम्मान व आदर करना चाहिए । 

( 8 ) विधवा - पुनर्विवाह कैसे संभव हुआ था ? 

उत्तर -19 वीं शताब्दी में भारतीय समाज में बाल विवाह प्रचलित था । कम उम्र की लड़कियों का विवाह अधिक उम्र के पुरुषों से कर दिया जाता था , जिसके कारण लड़कियाँ बचपन में ही विधवा हो जाती थीं । इन विधवाओं का जीवन अत्यन्त कष्टमय हुआ करता था । इसी समय बंगाल में ईश्वरचंद विद्यासागर नामक सुधारक हुए । उन्होंने विधवा पुनर्विवाह को वैध बनाने के लिए अपना सारा जीवन लगा दिया । उसने बंगाल में इसके लिए जोरदार आन्दोलन चलाया । इस आन्दोलन का व्यापक जनसमर्थन भी मिला । महाराष्ट्र में भी पं . विष्णुशास्त्री स्वयं एक विधवा से विवाह कर समाज में उदाहरण प्रस्तुत किया । रामकृष्ण गोपाल भंडारकर ने रूढ़िवादियों के विरोध के बावजूद अपनी विधवा बेटी का पुनर्विवाह कराया । महादेव गोविन्द रानाडे ने इस आन्दोलन का समर्थन किया । आंध्रप्रदेश में भी वीरेशलिंगम द्वारा विधवा पुनर्विवाह का समर्थन किया गया । परिणामस्वरूप सन् 1856 में विधवा - पुनर्विवाह को कानूनी मान्यता मिल गई । 


( 9 ) जाति प्रथा के विरोध में ज्योतिबा फुले के योगदान को बताइये । 

उत्तर- ज्योतिबा फुले का जन्म माली जाति में हुआ था तब यह जाति अछूत जाति मानी जाती थी । अछूत जाति पर हो रहे अत्याचारों को ज्योतिबा फुले ने स्वयं भोगा था और इसलिए उसने समाज के इस कलंक को मिटा देने का संकल्प लिया । ज्योतिबा फुले ने अपना पूरा जीवन अछूत जाति के उद्धार में लगा - दिया । अपने प्रयासों में तेजी लाने के लिए उन्होंने सन् 1873 में ने सत्यशोधक समाज की स्थापना की । इस संस्था का मुख्य कार्य निम्न जाति के लोगों को समानता का अधिकार दिलाना था । इसने प्राथमिक शिक्षा को अनिवार्य एवं नि : शुल्क करने तथा दलित ने जाति के पुरुष तथा महिला शिक्षकों की नियुक्ति किये जाने की । मांग की । उन्होंने विभिन्न नाटकों एवं लेखों द्वारा भी जाति प्रथा  के विरुद्ध जन - जागरण लाने का निरन्तर प्रयास किया । ज्योतिबा फुले के द्वारा किया गया जातिवाद के खिलाफ इस संघर्ष ने ही समाज में निम्न जाति को सामाजिक समानता का अधिकार दिलाने में मील का पत्थर साबित हुआ ।



( 10 ) नारी शिक्षा हेतु विभिन्न प्रयासों का उल्लेख कीजिए ।

उत्तर- ( 1 ) नारी शिक्षा की दिशा में सबसे पहला प्रयास  ईश्वर चन्द विद्यासागर ने किया । उनके द्वारा सन् 1849 में कलकत्ता का बेसन स्कूल खोला । यह बालिकाओं का पहला स्कूल था ।इसके बाद उन्होंने कई अन्य विद्यालयों का भी संचालन किया । 

( 2 ) उत्तर भारत में स्वामी दयानंद सरस्वती ने आर्य समाज के  माध्यम से बालक - बालिकाओं को शिक्षित करने के लिए कई चल स्कूलों व कालेजों की स्थापना की । 

( 3 ) सर सैय्यद अहमद खाँ ने भी मुस्लिम समाज के विकास के लिए अलीगढ़ आन्दोलन चलाया तथा स्कूलों व कालेजों में आधुनिक शिक्षा की व्यवस्था की 

 ( 4 ) महाराष्ट्र में ज्योतिबा फुले व उनकी पत्नी सावित्री बाई ने पूना में बालिका स्कूल खोला । इसमें निम्न जाति की बालिकाओं को विशेष रूप से प्रवेश दिया जाता था । 

( 5 ) रमाबाई ने विधवा महिलाओं को शिक्षित करने के लिए शारदा सदन नामक आश्रम  व स्कूल खोला । वे स्वयं संस्कृत की विदुषी थी । 

 ( 11 ) जातिप्रथा को पूरी तरह समाप्त करने के लिए आज  भी समाज में किसकी आवश्यकता है ।

उत्तर - जातिप्रथा को पूरी तरह से समाप्त करने के लिए आज भी समाज में पर्याप्त जन - जागरण की आवश्यकता है ।

 ( 12 ) आपको लगता है कि बाल विवाह गलत और विधवा पुनर्विवाह सही है कैसे ? इस पर अपने विचार लिखिए ।

 उत्तर - बाल विवाह पूर्णतः गलत है क्योंकि इसमें लड़के एवं लड़कियाँ शारीरिक एवं मानसिक रूप से कमजोर तथा पारिवारिक दायित्वों का निर्वहन करने में सक्षम नहीं होते । लड़कियों में कम उम्र में माँ बनने का बोझ आ जाता है । जिससे उनकी अनेक प्रकार की शारीरिक क्षति होती है । विधवा पुनर्विवाह इसलिए आवश्यक है क्योंकि अकेले ही पारिवारिक दायित्वों को निभाना बहुत ही कठिन होता है । समाज में अकेले रहना अत्यंत दुश्कर है अत : विधवा पुनर्विवाह आवश्यक है । 

प्रश्न 4. टिप्पणी लिखिए

 ( अ ) रमा बाई ( ब ) डॉ . भीमराव अम्बेडकर । 

उत्तर- ( अ ) रमाबाई -रमाबाई का जन्म सन् 1856 में हुआ था । उनके पिता अनंतशास्त्री वेदपाठी ब्राह्मण थे । उन्होंने सामाजिक विरोध के बावजूद अपनी पत्नी को संस्कृत पढ़ाना प्रारंभ कर दिया , जिसके कारण उन्हें गाँव से निकाल दिया गया । मात्र 14 वर्ष की आयु में रमाबाई के माता - पिता रमाबाई व उनके भाई को छोड़ स्वर्ग सिधार गए । रमाबाई की शिक्षा उसके लिए अभिशाप बन गई , उन्हें किसी ने सहारा नहीं दिया । रमाबाई जब कलकत्ता पहुँची तो उनका सम्पर्क राजा राम मोहन राय , ईश्वरचन्द विद्यासागर जैसे प्रसिद्ध समाज सुधारकों से हुआ । कलकत्ता के लोगों ने उन्हें पंडिता व “ सरस्वती की उपाधि देकर सम्मानित किया । उन्होंने विधवा स्त्रियों को शिक्षित करने का बीड़ा उठाया और इसके लिए उन्होंने शारदा सदन की स्थापना की , जिसमें महिलाओं को सिलाई , कढ़ाई व अन्य प्रशिक्षणों के साथ नि : शुल्क शिक्षा की भी व्यवस्था की । वे चाहती थी कि महिलाएँ भी पुरुषों के समान सामाजिक व राजनीतिक क्षेत्र में खुलकर सामने आएँ और इस उद्देश्य की प्राप्ति के लिए उन्होंने जीवन भर संघर्ष किया ।

( ब ) डॉ . भीमराव अम्बेडकर - डॉ . भीमराव अम्बेडकर का जन्म महाराष्ट्र के एक दलित परिवार में हुआ था । बचपन में ही इन्हें माता - पिता का वियोग झेलना पड़ा । अछूत जाति के होने के कारण विद्यालय में इन्हें अलग कोने में बिठा दिया जाता था । दृढ़ संकल्पी और कठोर परिश्रमी भीमा ने धैर्यपूर्वक विपरीत परिस्थितियों का सामना किया और श्रेष्ठतम परिणामों के कारण उन्हें सरकारी खर्च पर उच्च शिक्षा के लिए इंग्लैण्ड जाने का अवसर मिला । कानून विद् बनकर लौटे अम्बेडकर ने अपना सारा जीवन दलितों के उद्धार में समर्पित कर दिया । उनकी असाधारण प्रतिभा के कारण ही उन्हें भारतीय संविधान निर्मात्री सभा के  प्रारूप समिति का अध्यक्ष बनाया गया । उन्हीं के प्रयासों से भारतीय संविधान में छुआ - छूत का अंत ( अनुच्छेद -17 ) करने को बाल मान्यता दी गई । वर्तमान में सभी लोगों को बिना किसी भेदना के सार्वजनिक स्थलों व सेवाओं के उपयोग का अधिकार है । यह बाबा साहब भीमराव अम्बेडकर के प्रयासों काही मुला है ।

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 परीक्षोपयोगी अन्य महत्वपूर्ण प्रश्नोत्तर

 प्रश्न 1. सही विकल्प चुनिए

 1. बन्दे मातरम् के रचयिता हैं 

( अ ) इकबाल 

( ब ) श्रीमती सरोजनी नायडू

( स ) रवीन्द्र नाथ टैगोर

( द ) बंकिमचन्द्रचटोपाध्याय

उत्तर-  ( द ) बंकिमचन्द्रचटोपाध्याय

2. स्वामी विवेकानन्द के गुण थे

(अ)  महात्मा गांधी

( ब ) रामकृष्ण परमहंस

( स ) गोपाल कृष्ण गोखले

( द ) रवीन्द्रनाथ टैगोर

उत्तर- रामकृष्ण परमहंस

3. ब्रह्म समाज की नींव किसने डाली थी 

( अ ) स्वामी विवेकानन्द

( ब ) राजा राममोहन राय

( स ) दयानन्द सरस्वती

( द ) रामकृष्ण परमहंस ।

उत्तर-राजा राममोहन राय

4. ' सत्यार्थ प्रकाश ' के रचयिता थे

( अ ) स्वामी विवेकानन्द

( ब ) स्वामी दयानन्द सरस्वती

( स ) रामकृष्ण परमहंस

( द ) बंकिमचन्द्र । 

उत्तर- स्वामी दयानंद सरस्वती

5. रामकृष्ण मिशन के संस्थापक थे

( अ ) राजा राममोहन राय

( ब ) स्वामी विवेकानन्द 

( स ) ईश्वरचन्द्र विद्यासागर 

( द ) दयानन्द सरस्वती ।

उत्तर-  स्वामी विवेकानंद

6. सती प्रथा का सर्वप्रथम विरोध करने वाले थे

( अ ) मदन मोहन मालवीय 

( ब ) महात्मा गाँधी

( स ) राजा राममोहन राय

( द ) रामकृष्ण परमहंस

उत्तर-  राजा राममोहन राय

7. आर्य समाज के संस्थापक थे

( अ ) रामकृष्ण परमहंस

( ब ) स्वामी दयानन्द

( स ) स्वामी विवेकानन्द 

( द ) राजा राममोहन राय ।

उत्तर- स्वामी दयानंद

8. ' बाल विवाह के विरोध में शारदा एक्ट बना

( अ ) सन् 1858 में

( ब ) सन् 1833 में 

( स ) सन् 1929 में 

( द ) सन् 1905 में ।

उत्तर -   सन् 1929 में

प्रश्न 2. भारतीय इतिहास में 19 वीं सदी क्यों प्रसिद्ध है ?

उत्तर भारतीय इतिहास में 19 वीं सदी सामाजिक एवं धार्मिक पुनर्जागरण के लिए प्रसिद्ध है ।

प्रश्न 3. ब्रह्म समाज की स्थापना कहाँ और किसने की ?

उत्तर - ब्रह्म समाज की स्थापना बंगाल में राजा राममोहन राय ने सन् 1828 में की । 

प्रश्न 4. रामकृष्ण मिशन की स्थापना किसने की ?

उत्तर- रामकृष्ण मिशन की स्थापना स्वामी विवेकानन्दन सन् 1897 में की थी ।

प्रश्न 5. सत्यार्थ प्रकाश ' किसकी रचना है , यह कब प्रकाशित हुई ?

उत्तर- सत्यार्थ प्रकाश ' स्वामी दयानंद सरस्वती की रचना थी यह 1869 में प्रकाशित हुई।

प्रश्न 6. साइंटिफिक सोसायटी की स्थापना कब औरकिसने की?

उत्तर - साइंटिफिक सोसायटी की स्थापना 1862 ई .में सरसैयद अहमद खान ने की थी

प्रश्न 7. वर्तमान समय में युवक - युवतियों के विवाह के में लिए निर्धारित आयु बताइये ।

उत्तर - युवक -21 वर्ष , युवती के लिए -18 न्यूनतम । 

प्रश्न 8 , रमा बाई ने किस संस्था की स्थापना की ? 

उत्तर - रमा बाई ने शारदा सदन की स्थापना की थी । 

प्रश्न 9. महात्मा गाँधी ने हरिजनों के उत्थान के लिए किस संस्था की स्थापना की ? 

उत्तर - महात्मा गाँधी ने हरिजनों के उत्थान के लिए अखिल भारतीय हरिजन सेवक संघ की स्थापना की ।



प्रश्न 10. छत्तीसगढ़ का गाँधी किसे कहा जाता है ?

उत्तर - पं . सुन्दर लाल शर्मा को छत्तीसगढ़ का गाँधी कहा जाता है । 

प्रश्न 11. पं. सुन्दरलाल शर्मा ने किस मंदिर में अछूतों को प्रवेश करवाया ?

उत्तर - पं . सुन्दर लाल शर्मा ने राजीव लोचन मंदिर में अछूतों को प्रवेश दिलवाया ।

प्रश्न 12. ब्रह्म समाज की स्थापना कब और किसने की ? इसके मुख्य सिद्धान्त ( शिक्षा ) क्या थे ? 

उत्तर - ब्रह्म समाज की स्थापना 1828 ई . में राजा राममोहन राय ने की थी । उन्हें भारतीय राष्ट्रीयता का पैगम्बर कहा जाता है । उनके सिद्धान्त निम्नलिखित थे- 

( 1 ) एक ईश्वर पर बल दिया गया । 

( 2 ) कर्मकाण्डों का खण्डन किया गया । 

( 3 ) मूर्ति पूजा का विरोध किया गया । 

( 4 ) वेदों की प्रामाणिकता की अपेक्षा बुद्धि और तर्क को अधिक महत्व दिया गया । 

( 5 ) अन्तर्जातीय विवाह एवं विधवा विवाह को प्रोत्साहन दिया गया । 

( 6 ) सती प्रथा को बन्द कराया गया । थीं ?

प्रश्न 13. ईश्वरचन्द्र विद्यासागर की मुख्य उपब्धियाँ क्या थीं?

उत्तर - ईश्वरचन्द्र की मुख्य उपलब्धियाँ निम्नलिखित थीं 

( 1 ) संस्कृत के अध्ययन का द्वार सब जातियों के लिए खोला ।

( 2 ) बंगला भाषा के विकास में महत्वपूर्ण योगदान दिया । 

( 3 ) अनेक पत्र - पत्रिकाओं का प्रकाशन किया तथा उसमें समाज सुधार के अनेक लेख लिखे । 

( 4 ) स्त्री जाति के उत्थान के लिए महान कार्य किये । 

( 5 ) विधवा पुनर्विवाह कानून बनाने में सहयोग दिया । 

( 6 ) अनेक विद्यालय एवं कन्या शालाएँ खोली गई । 

( 7 ) धार्मिक मामलों से दूर रहे ।

प्रश्न 14. आर्य समाज के संस्थापक कौन थे ? उनकी शिक्षाएँ क्या थीं ?

 उत्तर - आर्य समाज के संस्थापक स्वामी दयानन्द सरस्वती थे । उनकी शिक्षाएँ निम्नलिखित थीं- 

( 1 ) ईश्वर एक है । वह निराकार और सर्वशक्तिमान है । 

( 2 ) मूर्ति पूजा व्यर्थ है । 

( 3 ) वेद ईश्वरीय ज्ञान के भण्डार हैं । 

( 4 ) वेद आधुनिक ज्ञान - विज्ञान से परिपूर्ण है । 

( 5 ) जाति - प्रथा व्यर्थ है । 

( 6 ) जाति का आधार कर्म होना चाहिए न कि जन्म । 

( 7 ) बाल विवाह बन्द हो । 

( 8 ) उन्होंने विधवा पुनर्विवाह प्रारम्भ करने पर बल दिया था ।

प्रश्न 15. भारत में शिक्षा प्रसार में आर्य समाज का क्या योगदान था ?

 उत्तर - आर्य समाज का शिक्षा में निम्न योगदान था ( 1 ) उत्तर भारत में लड़के एवं लड़कियों के लिए स्कूल तथा कॉलेज खोले । ( 2 ) लाहौर में दयानन्द एंग्लो - वैदिक स्कूल की स्थापना की । ( 3 ) स्कूलों एवं कॉलेजों में अंग्रेजी और हिन्दी माध्यम से शिक्षा दी जाने लगी । ( 4 ) स्वामी दयानन्द ने हिन्दी भाषा को अपनाया । ( 5 ) हरिद्वार में गुरुकुल की स्थापना की । इन स्कूलों एवं कॉलेजों ने देशभक्ति एवं राष्ट्रीय एकता स्थापित करने में सहयोग प्रदान किया ।

प्रश्न 16. प्रार्थना समाज क्या था ? उसके मुख्य कार्य क्या थे ?

उत्तर - प्रार्थना समाज एक समाज सुधार संस्था थी । इसकी स्थापना बम्बई में 1867 ई . में महादेव गोविन्द रानाडे ने की थी । प्रार्थना समाज के मुख्य कार्य थे –

( 1 ) जाति प्रथा की समाप्ति , विधवा - विवाह , पुनर्विवाह , नारी - शिक्षा पर बल दिया गया तथा बाल - विवाह के विरोध में आवाज उठाई गई , पर्दा प्रथा का भी विरोध किया गया । 

( 2 ) धार्मिक क्षेत्र की अपेक्षा सामाजिक क्षेत्र की ओर अधिक ध्यान दिया गया । 

( 3 ) भारतीय समाज के कुसंस्कारों एवं बुराइयों से लोहा लिया गया । 

( 4 ) विधवा विवाह संघ ' तथा डेकन एजुकेशनल सोसायटी की नींव डाली गयी ।

प्रश्न 17.रामकृष्ण मिशन के क्या कार्य थे ?

उत्तर - स्वामी विवेकानन्द ने 1897 ई . में रामकृष्ण मिशन की स्थापना की थी । इन्होंने भारतीय संस्कृति के उत्थान एवं समाज सेवा के निम्नलिखित कार्य किए मिशन के मुख्य कार्य- ( 1 ) समाज सेवा करना । ( 2 ) बाढ़ , अकाल तथा महामारियों के समय राहत कार्य खोलना । ( 3 ) अस्पताल । । एवं शिक्षा संस्थाएं खोलना । ( 4 ) अनेक सार्वजनिक कार्य करना । 4 ( 5 ) भारतीय संस्कृति का देश एवं विदेशों में प्रचार करना । ( 6 ) देश - प्रेम की भावना जाग्रत करना । ( 7 ) भारतीयों की हीनता की भावना को समाप्त कर उच्च - भावनाएँ भरने का प्रयास करना ।

प्रश्न 18.भारतीय जनता को जाग्रत करने में विवेकानन्द का क्या योगदान था ?

उत्तर - स्वामी विवेकानन्द ने भारतीय जनता को जाग्रत करने के लिए निम्नलिखित महत्वपूर्ण कार्य किये- ( 1 ) उन्होंने भारत में व्याप्त छुआछूत और रूढ़िवादिता पर कटु प्रहार किये । ( 2 ) देशवासियों को उठो जागो और अपना लक्ष्य प्राप्त करो का नारा दिया । ( 3 ) भारतीयों को वीरता तथा परिश्रम का पाठ का नारा दिया । ( 4 ) गरीबों तथा दलितों के लिए अनेक महत्वपूर्ण कार्य किये । ( 5 ) बाल - विवाह की निन्दा की । विधवा पुनर्विवाह के लिए लोगों को जाग्रत किया । ( 6 ) जाति - प्रथा और पण्डितों के कर्मकाण्ड का विरोध किया । शिकागो सम्मेलन में भाग लेकर भारतीय संस्कृति की प्रतिष्ठा बढ़ाई । 

प्रश्न 19. शिक्षा प्रसार और मुसलमानों में जागृति लाने में सर सैय्यद अहमद खाँ का क्या योगदान था ? 

उत्तर - सर सैय्यद अहमद खाँ उन्नीसवीं शताब्दी के एक प्रमुख धार्मिक नेता व समाज सुधारक थे । उनके निम्नलिखित प्रमुख योगदान थे 

( 1 ) आधुनिक शिक्षा के प्रसार में योगदान- 

( 1 ) मुसलमानों को अंग्रेजी शिक्षा अपनाने पर जोर दिया । 

( 2 ) अंग्रेजी - उर्दू पत्रिका निकाली । 

( 3 ) अलीगढ़ में मोहम्मडन एग्लो ओरियन्टल कालेज ' की स्थापना की ।

( 4 ) इस कॉलेज में कला तथा विज्ञान की पढ़ाई का प्रबन्ध किया । यही कॉलेज आगे चलकर अलीगढ़ मुस्लिम विश्वविद्यालय बना ।

( 2 ) मुसलमानों में जागृति लाने में योगदान–

 ( 1 ) मुसलमानों के मन से भूत - प्रेत बाधाओं जैसी कुरीतियों को दूर किया । 

( 2 ) स्त्रियों की स्थिति में सुधार करने का प्रयत्न किया । 

( 3 ) पर्दा प्रथा एवं बहु - विवाह प्रथा का विरोध किया । 

( 4 ) आधुनिक शिक्षा ग्रहण करने पर बल दिया । 

( 5 ) अंग्रेजों की घृणा को सहानुभूति मे बदल दिया ।

प्रश्न 20. राजा राममोहन राय को भारतीय पुनर्जागरण का अग्रदूत क्यों कहा जाता है ?

उत्तर - राजा राममोहन राय ने भारत में सर्वप्रथम समाज सुधार का कार्य प्रारम्भ किया । उन्होंने ब्रह्म समाज की स्थापना की तथा समाज में व्याप्त बुराइयों , मूर्ति - पूजा , बहु - देववाद , जाति प्रथा , बाल - विवाह , सती - प्रथा का विरोध किया व विधवाओं के पुनर्विवाह व अंग्रेजी शिक्षा को प्रोत्साहन दिया । बुद्धिवादी व वैज्ञानिक दृष्टिकोण और मनुष्य की गरिमा तथा सामाजिक समानता के सिद्धांतों को अपना आधार बनाकर वे समाज के सुधार की दिशा में पहल करने वाले प्रथम व्यक्ति थे । इसलिए उन्हें आधुनिक भारत का जनक या अग्रदूत कहते हैं ।

प्रश्न 21. ब्रिटिश सरकार द्वारा भारत में स्थापित शिक्षा था प्रणाली में क्या दोष थे ? 

उत्तर - शिक्षा प्रणाली के दोष- 

( 1 ) यह शिक्षा प्रणाली  जीवन तथा देश की जरूरतों के अनुकूल नहीं थी । 

( 2 ) यह केवल  भारतीयों को क्लर्क बना सकती थी , विद्वान नहीं ।

 ( 3 ) शिक्षा कुछ  लोगों तक सीमित थी । अधिकतर ग्रामीण अनपढ़ ही रहे 

( 4 ) तकनीकी तथा डॉक्टरी शिक्षा की कोई व्यवस्था नहीं थी।

 ( 5 ) प्रौढ़ शिक्षा की भी कोई व्यवस्था नहीं थी । 

( 6 ) हाई स्कूलों का और कॉलेजों पर ज्यादा ध्यान दिया गया । प्राथमिक शिक्षा पर  ज्यादा ध्यान नहीं दिया गया । 

प्रश्न 22 , ज्योतिबा फूले और नारायण गुरु के नाम के साथ - साथ कौन से आन्दोलन जुड़े हुए हैं ? 

उत्तर - ज्योतिबा फुले - पश्चिम भारत के प्रसिद्ध समाज सुधारक थे । उन्होंने लोक कल्याण के लिए सुधार आन्दोलन चलाया । स्त्री शिक्षा तथा दलित उद्धार इस आन्दोलन के प्रमुख ने में अंग थे । सन् 1873 में उन्होंने सत्यशोधक समाज की स्थापना की  और सभी जातियों तथा धर्मों के लोगों के लिए इसके द्वार खोल दिये । उन्होंने पण्डितों के बिना विवाह सम्पन्न कराने की प्रथा चलाई और निम्न जातियों की कन्याओं के लिए स्कूल भी खोले। 

नारायण गुरु - इनका जन्म सन् 1854 में केरल के उच्च  जाति के परिवार में हुआ था । उन्होंने दलितोद्धार का एक महत्व पूर्ण आन्दोलन शुरू किया था । उन्होंने ऐसे मन्दिर बनवाये जिसमें  ' ईश्वर या उसकी मूर्ति का कोई महत्व नहीं था । नारायण गुरु ने  “ श्री नारायण धर्म परिपालन योगम् ” संस्था की स्थापना की ।  मन्दिरों में देवदासी प्रथा का विरोध किया । 

प्रश्न 23. उन्नीसवीं सदी में महिलाओं पर कौन - कौन से  अत्याचार हो रहे थे ? 

उत्तर - उन्नीसवीं सदी में नारी समाज पर हो रहे अत्याचार निम्न थे –

( 1 ) बाल - विवाह - अबोध बालिकाओं का विवाह उससे में अधिक उम्र के पुरुषों के साथ कर दिया जाता था । यदि पुरुष मर जाता था तो बालिकाओं को बचपन में ही विधवा हो जाना पड़ता था और विधवाओं की स्थिति अति दयनीय थी ।

( 2 ) सती प्रथा - जिस महिला का पति मर जाता था , उसे  बलपूर्वक उसके साथ चिता में झोंक दिया जाता था । इस प्रकार  महिलाओं को जिन्दा जला दिया जाता था । 

( 3 ) बहु - विवाह - एक ही पुरुष कई स्त्रियों से विवाह कर - उनके जीवन के साथ खिलवाड़ करता था । पुरुष अपनी स्त्रियों से - नैतिक व अनैतिक सभी प्रकार के कार्य करता था ।

( 4 ) कन्या वध -19 वीं सदी में घर में कन्या के जन्म को अमंगल और उसे बोझ माना जाता था और जन्म के साथ ही उनका वध कर दिया जाता था । 

( 5 ) दहेज प्रथा -19 वीं सदी में दहेज प्रथा का बोलबाला था । दहेज न लाने वाली बहुओं को तरह - तरह की यातनाएँ दी जाती थीं कई बार तो उन्हें जिन्दा जलाने , मारने और घर से लांछन लगाकर निकाल दिया जाता था । ऐसी महिला की स्थिति अत्यधिक चिन्तनीय होती थी ।

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