इतिहास कक्षा- 8वीं अध्याय-1 आधुनिक यूरोप का उदय/AADHUNIK YUROP KA UDAY/

 सामाजिक विज्ञान (इतिहास) 

कक्षा- 8वीं अध्याय-1 आधुनिक यूरोप का उदय

AADHUNIK YUROP KA UDAY



अभ्यास के  प्रश्न 

 प्रश्न 1. उचित संबंध जोड़िए

 1. कॉपरनिकस - खगोल वैज्ञानिक

 2. कोलम्बस -    यूरोप से अमेरिका तक के समुद्री मार्ग की खोज । 

3. मार्टिन लूथर किंग- धर्मव्यवस्था में व्याप्त भ्रष्टाचार का विरोध।

 4.हेनरी अष्टम -  पोप के वर्चस्व को मानने से इंकार ।

प्रश्न 2. प्रश्नों के उत्तर दीजिए .

 ( 1 ) छपाई कला के आविष्कार से क्या - क्या लाभ हुए ? 

उत्तर - छपाई कला के आविष्कार से पुस्तकों की संख्या बढ़ी , कीमतें घटी , इसलिए ज्ञान का प्रसार तेजी से हुआ । 

( 2 ) अरब व्यापारी क्या - क्या वस्तुएँ यूरोप के व्यापारियों को बेचते थे ? 

उत्तर - अरब व्यापारी यूरोप के व्यापारियों को मूल्यवान रत्न , उत्तम कोटि के सूती तथा रेशमी वस्त्र तथा शक्कर आदि बेचा करते थे । 

( 3 ) मार्टिन लूथर के अनुयायियों को प्रोटेस्टेंट कहा जाता है , क्यों ?

उत्तर- मार्टिन लूथर नामक जर्मन धर्मगुरु ने धार्मिक संस्थाओं के दराचारों की निन्दा करते हुए एक खुला वक्तव्य जारी किया था जिसमें उसने जनता के लिए कहा कि- " आप लोगों को धर्म गुरुओं के कथनों को ही धर्म न मानकर स्वयं बाइबिल पढ़ना चाहिए और धर्म के तत्वों को समझना चाहिए । " उन्होंने ईसाई गर्म के गुरु के प्रमुख पोप की निरंकुश सत्ता को चुनौती दी और धर्म व्यवस्था में प्रचलित दोषों का विरोध ( प्रोटेस्ट ) किया । इसलिए उनके अनुयायी प्रोटेस्टेंट कहलाए ।

 ( 4 ) यूरोपीय व्यापारियों ने व्यापारिक कम्पनियों की स्थापना की , क्यों ? 

उत्तर - यूरोपीय व्यापारी बहुत परिश्रमी थे । उन्हें अपने माल को बेचने की लिए बड़े बाजारों की आवश्यकता थी जब कई व्यापारी एक साथ व्यापार करेंगे को अधिक लाभ और सुरक्षा होगी । अत : उन्होंने कई कम्पनियों की स्थापना की । 

( 5 ) मध्यम वर्ग आधुनिक सामाजिक व्यवस्था की रीढ़ बन गया , क्यों ? 

उत्तर - व्यापारिक प्रतिस्पर्धा के फलस्वरूप समाज में कई नये वर्गों का जन्म हुआ , जिनमें बैंकर , दलाल , लिपिक आदि प्रमुख थे । इन्हें ही मध्यम वर्ग कहा जाता था । कुशल कारीगर और निर्माता भी इसी वर्ग में आते थे । यह वर्ग रूढ़ियों से दूर और नवीन परिर्वतनों पर आस्था रखता था । मध्यम वर्ग की सामाजिक व आर्थिक महत्व के कारण वे सामाजिक व्यवस्था के रीढ़ बन गए ।

 ( 6 ) “ पुनर्जागरण ” का स्वरूप स्पष्ट कीजिए ।

 उत्तर- " पुनर्जागरण " का शाब्दिक अर्थ वैचारिक क्रांति से है । यूरोप में पुनर्जागरण 19 वीं शताब्दी में प्रारंभ हुआ । इस काल में प्राचीन ग्रंथों का स्थानीय भाषाओं में नये ढंग से अनुवाद प्रांरभ हुआ । छपाई मशीनों के आविष्कार ने इस क्रांति को अपने शिखर पर पहुंचा दिया । अत्यधिक मात्रा में पुस्तकें छपने लगी और दाम भी सस्ते हो गए , फलस्वरूप ज्ञान का प्रसार तेजी से । ज्ञान और नवीन विचारों के अध्ययन ने जनमानस को नई दृष्टि प्रदान किया । साहित्य , चित्रकला , विज्ञान आदि सभी विधाओं को इस दृष्टिकोण ने प्रभावित किया । अब कलाकार अपनी कलाकृतियों में देवताओं और देवदूतों के स्थान पर मनुष्य की भावों व प्राकृतिक सौन्दर्य का चित्रण करने लगे थे ।


 ( 7 ) औद्योगिक क्रांति के फलस्वरूप कौन - कौन से तीन वर्ग प्रमुखता से अस्तित्व में आए ? इनकी स्थिति पर संक्षेप में प्रकाश डालिए । 

उत्तर - औद्योगिक क्रांति के फलस्वरूप निम्नलिखित तीन वर्ग प्रमुखता से अस्तित्व में आए -

1. पूँजीपति वर्ग - यह वर्ग समाज का सबसे सम्पन था । उत्पादन के सभी साधनों पर इनका एकाधिकार था । इनका मुख्य उद्देश्य अधिकतम लाभ कमाना था । वस्तुओं की ब्रिकी या भी इन्हीं का नियंत्रण था । 

2. मध्यम वर्ग - व्यवसायों में वृद्धि के फलस्वरूप समाज में बैंकर , दलाल , लिपिक हिसाब रखने वाले जैसे व्यावसायिका का एक नया वर्ग अस्तित्व में आया , जिसे मध्यम वर्ग कहा जाता है । कुशल कारीगर और निर्माता भी इस समुदाय से जुड़ते गए । यह वर्ग साड़ियों और परम्पराओं के बंधन में जकड़ा हुआ नहीं था ।

 3.श्रमिक वर्ग - यह वर्ग समाज का सबसे निम्न स्तर के लोगों का था । इनकी आर्थिक स्थिति अति शोचनीय थी और अशिक्षा , अंधविश्वासों से जकड़े हुए थे । श्रमिक , खेतिहर मजदूर आदि इस वर्ग में आते हैं । 

( 8 ) सामंतवाद का पतन किस प्रकार हुआ ? 

उत्तर- व्यापार में आए तेजी का यूरोप की राजनीति में भी गहरा प्रभाव पड़ा । व्यापारियों ने अपने हितों की सुरक्षा के लिए सरकार का समर्थन किया , वहीं सरकार ने भी व्यापारियों को आगे बढ़ाने के लिए तथा उनकी जान माल की सुरक्षा के लिए समुचित उपाय किया । इससे देश में व्यापारियों का सम्मान और महत्त्व बढ़ने लगा । व्यापारियों की लगातार बढ़ती प्रतिष्ठा के साथ ही सामन्तवाद का पतन शुरू हुआ और अंत में एक नई व्यवस्था ने जन्म लिया , जिसे पूँजीवादी अर्थव्यवस्था के नाम से जाना जाता है । 

( 9 ) व्यापार में वृद्धि का यूरोप पर क्या प्रभाव पड़ा ? 

उत्तर- व्यापारिक उन्नति का यूरोप के आर्थिक , सामाजिक और राजनैतिक जीवन पर व्यापक प्रभाव पड़ा । यूरोप विश्व का सबसे बड़ा व्यापारिक शक्ति के रूप में उभरा और उसकी आर्थिक स्थिति सुदृढ़ हो गई । समाज में पूँजीपति , मध्यम और श्रमिक तीन वर्ग बन गए और वर्ग संघर्ष बढ़ गया । व्यापारियों का राजनीतिक महत्व बढ़ गया फलस्वरूप सामंतवाद का पतन हो गया । श्रमिकों की स्थिति में भी बदलाव आया । अब लोग वैज्ञानिक दृष्टिकोण अपनाने लगे तथा धीरे - धीरे समाज रूढ़िवादिता व अंधविश्वासों से ऊपर उठने लगे । 

( परीक्षोपयोगी अन्य महत्वपूर्ण प्रश्नोत्तर)



 प्रश्न 1. इतिहासकारों ने विश्व के इतिहास को कितने भागों में बाँटा है ? 

उत्तर- विश्व इतिहास को तीन भागों में बांटा गया है 

( 1 ) प्राचीन काल , 

( 2 ) मध्यकाल ,

 ( 3 ) आधुनिक काल ।

प्रश्न 2. आधुनिक काल की दो विशेषताएँ लिखिए । 

उत्तर- ( 1 ) तर्क और बुद्धिवाद , ( 2 ) नवीन अनुसंधान ।

 प्रश्न 3. इतिहास के स्रोत से आप क्या समझते हैं ? 

उत्तर ... विश्व के इतिहास को जानने में सहायक सभी साधनों को इतिहास का स्रोत कहा जाता है । 

प्रश्न 4. 15 वीं शताब्दी में यूरोप के सामाजिक जीवन पर किनका वर्चस्व था ?

 उत्तर -15 वीं शताब्दी में यूरोप के सामाजिक जीवन पर सामंतों तथा धर्म गुरुओं का वर्चस्व था ।

 प्रश्न 5. ईसाई धर्म में किसे ईश्वर का प्रतिनिधि माना जाता है ?

 उत्तर - ईसाइयों के सबसे बड़े धर्मगुरू पोप ' को ईश्वर का प्रतिनिधि माना जाता है ।

 प्रश्न 6. यूरोप में वैचारिक क्रांति का उदय कब हुआ ? 

उत्तर - यूरोप में वैचारिक क्रांति का उदय 19 वीं शताब्दी में हुआ । 

प्रश्न 7. किन्हीं दो खगोल शास्त्रियों के नाम लिखिए ।

 उत्तर- ( 1 ) कॉपरनिकस , ( 2 ) गैलिलियो ।

 प्रश्न 8. ' बाईबिल ' कौन - सी भाषा में लिखा गया था ?

 उत्तर- बाईबिल ' लैटिन भाषा में लिखा गया था ? 

प्रश्न 9. धर्म संस्थाओं में व्याप्त भ्रष्टाचार का विरोध करने वाले दो विचारकों का नाम बताइये ?

उत्तर- ( 1 ) बायलिफ , ( 2 ) केल्विन । 

प्रश्न 10.16वीं शताब्दी में कौन-कौन से देश व्यापारिक प्रतिस्पर्धा में शामिल हुए?

उत्तर- इंग्लैंड, फ्रांस,हालैण्ड।

प्रश्न 11. यूरोप की कौन-सी कंपनी भारत आई?

उत्तर-ईस्ट इंडिया कंपनी।

प्रश्न 12. ' व्यापारवाद ' से आप क्या समझते हैं ? 

उत्तर - जब कोई राष्ट्र अपने व्यापारियों को व्यापार विस्तार के लिए करों में छूट देकर अन्य राज्यों में व्यापार विस्तार के लिए प्रोत्साहित करता है , तो इस आर्थिक नीति को व्यापारवाद ' कहा जाता है । 

प्रश्न 13. ' औद्योगिक - क्रांति ' किसे कहते हैं ? -विकास की इस नये दौर में कारखानों में मशीनों की

सहायता से वस्तुओं के बेहिसाब उत्पादन की होड़ को" औद्योगिक क्रान्ति" के नाम से संबोधित किया जाता है।

प्रश्न 14. उपनिवेशवाद का क्या अर्थ है ? 

उत्तर - औद्योगिक क्रांति के फलस्वरूप सम्पन गष्य विकासशील और अविकसित राष्ट्रों पर आर्थिक नियंत्रण से । लगा और धीरे - धीरे राजनीति दृष्टि से भी उन राष्ट्रों में उनका अधिकार हो गया । सम्पन्न राष्ट्रों द्वारा राज्य विस्तार की इस नीत को उपनिवेशवाद कहा जाता है ।

 प्रश्न 15. कॉपरनिकस और गैलिलियो कौन थे , उनका योगदान बताइये । 

उत्तर- कॉपरनिकस और गैलिलियो विख्यात खगोलशासकी थे । इन्होंने ब्रह्माण्ड के विषय में कई रोचक और नई जानकारी दी , जो प्रचलित मान्यताओं के विपरीत थीं । उदाहरण के लिए इन्होंने साबित कर दिया की सूर्य नहीं बल्कि पृथ्वी सूर्य के चारों ओर चक्कर लगाती है । इसके कारण ही दिन और रात होते हैं । उनके इस खोज ने धार्मिक मान्यताओं को झकझोर दिया और यहीं से धर्म सुधार आन्दोलन की शुरुआत हुई । 

प्रश्न 16. ' धर्मसुधार आन्दोलन' से आप क्या समझते हैं ? 

उत्तर - मध्यकालीन यूरोपीय समाज में रोमन कैथोलिक चर्च का अत्यधिक नियंत्रण था । ईसाइयों का धर्मग्रंथ बाईबिल लैटिन भाषा में लिखा गया था , जिसे आम लोग नहीं समझ पाते थे । इसी का फायदा उठाकर ईसाई गुरु कर्मकाण्डों को बढ़ावा देते थे । चारों ओर धार्मिक संस्थाओं का बोलबाला था । ऐसे में यूरोप वासियों ने धार्मिक नियमों में सुधार हेतु जोरदार आन्दोलन प्रारंभ किया । इस आन्दोलन को ही धर्म सुधार आन्दोलन के नाम से जाना जाता है ।



 प्रश्न 17. यूरोप में राष्ट्रीय राजतंत्रों का उदय किस प्रकार हुआ ? 

उत्तर -16 वीं शताब्दी में यूरोप में सामंती सत्ता का धीरे धीरे पतन होने लगा और राजाओं का महत्व बढ़ने लगा । एक निश्चित भौगोलिक क्षेत्र में लगातार रहने , समान भाषा , ऐतिहासिक परम्परा राजनीतिक तथा आर्थिक हित सम्बन्धों वाले लोग राष्ट्रीय भावना के प्रतीक बन गए । क्रमशः सारी सत्ता राजा के हाथों में केन्द्रित हो गई और वह सबल हो गया । इन्हीं कारणों से यूरोप में राष्ट्रीय राजतंत्रों का उदय हुआ । इंग्लैण्ड , फ्रांस , स्पेन आदि राष्ट्रीय राज्य अस्तित्व में आए ।

 प्रश्न 18. नये समुद्री मार्गों की खोज क्यों आवश्यक हो गई थी ?

उत्तर-उत्तर - निम्नलिखित कारणों के चलते नये मार्गों की खोज आवश्यक हो गई -

( 1 ) यूरोप के व्यापारियों के लिए एशिया आने का एक ही मार्ग था , जो इस्तम्बोल नगर था और इस पर तुर्को का कब्जा था। 

 ( 2 ) अरब के व्यापारियों से यूरोपीय व्यापारियों को अधिक चूँगी देकर माल खरीदना पड़ता था । इससे उनको कम लाभ होता था । 

( 3 ) यूरोपीय व्यापारी अब अरब के व्यापारियों को हटाकर , भारत से सीधा व्यापार करना चाहते थे।

 ( 4 ) इस कार्य के लिए यूरोप के कई शासकों ने सहयोग का आश्वासन दिया था । 

प्रश्न 19. व्यापारिक प्रतिस्पर्धा के पाँच लाभ बताइये । 

उत्तर- ( 1 ) आर्थिक प्रगति के कारण जीवन स्तर सुधरा ।

 ( 2 ) वस्तुएँ अच्छी व सस्ते में मिलने लगीं ।

 ( 3 ) मशीनों का आविष्कार हुआ । 

( 4 ) यातायात का विस्तार हुआ । 

( 5 ) रोजगार के नये विकल्पों का निर्माण हुआ । 

प्रश्न 20. व्यापारिक प्रतिस्पर्धा के पाँच दोष ( हानि ) लिखिये ।

 उत्तर- ( 1 ) अमीर और अमीर होता गया और गरीब को दो वक्त की रोटी मिलना मुश्किल हो गया।

  ( 2 ) समाज में शोषक ( पूँजीपति ) और शोषित ( श्रमिकों ) के मध्य संघर्ष प्रारंभ हो गया । 

( 3 ) कुटीर उद्योग पूर्णत : नष्ट हो गए । 

( 4 ) बेरोजगारी में वृद्धि हो गई ।

 ( 5 ) नैतिक मूल्यों में हास हो गया ।

 प्रश्न 21. औद्योगिक क्रांति का इंग्लैण्ड पर क्या प्रभाव पड़ा ?

 उत्तर - इंग्लैण्ड में औद्योगिक क्रांति का आरंभ 18 वीं सदी हुआ । इसके चलते इंग्लैण्ड में नये आविष्कारों की होड़ लग गई । तेज गति से उत्पादन करने व कच्चे माल की आपूर्ति के लिए अन्य देशों के साथ व्यापारिक सम्बन्धों को सुदृढ़ किया गया । नये बाजार की तलाश ने नये मार्गों की खोज का रास्ता प्रशस्त किया ।

 प्रश्न 22. उपनिवेशवाद के दुष्परिणाम लिखिए ।

 उत्तर - उपनिवेशवाद के दुष्परिणाम निम्न हैं

 ( 1 ) उपनिवेशक राज्यों की संख्या बढ़ने के संघर्ष ने प्रथम विश्व युद्ध को हवा दिया ।

 ( 2 ) अपने उपनिवेशों पर अधिकार बनाए रखने के लिए यूरोपीय महाशक्तियों ने वहाँ की जनता को शिक्षित नहीं होने दिया।

( 3 ) प्राकृतिक और खनिज संसाधनों का दुरुपयोग और भरपूर शोषण किया । 

( 4 ) उपनिवेशिक राज्यों की जनता का खूब आर्थिक शोषण किया , जिससे वहाँ भुखमरी की स्थिति निर्मित हो गई ।

प्रश्न 23. आधुनिक काल का अर्थ स्पष्ट करते हुए उनकी प्रमुख विशेषताओं पर प्रकाश डालिए 

उत्तर- आधुनिक काल का अर्थ उन समस्त नवीन विचार धाराओं , प्रवृत्तियों और क्रिया - कलापों से है , जिन्होंने मानव जीवन को प्राचीन काल व मध्यकाल से भिन्न स्वरूप और सामाजिक मूल्य प्रदान किये हैं । आधुनिक काल की विशेषताएँ-

 ( 1 ) तर्क एवं बुद्धि वाद - आधुनिक काल विज्ञान का युग है । इस काल में किसी भी बात को सहजता से स्वीकार नहीं किया जाता । मनुष्य पहले उसे तर्क की तराजू पर तौलता है और फिर अपने विवेक से उसकी सत्यता की जाँच करता है । दोनों ही कसौटी पर यदि बात खरी निकली तभी उसे स्वीकार करता है । 

( 2 ) व्यक्तिवादिता - आधुनिक काल में मनुष्य पहले अपने हित के विषय में सोचता है । अर्थप्रधान व्यवस्था ने मनुष्य को एकदम स्वार्थी बना दिया है ।

 ( 3 ) भोगवादी - आधुनिक काल में भोगवादी प्रवृत्तियाँ निरंतर बढ़ी हैं । धर्म और सामाजिक मूल्यों की चिंता किये बगैर लोग केवल उपभोग में लगे हुए हैं । 

( 4 ) अतिमहत्वाकांक्षा- इस युग के मनुष्य अति महत्वा कांक्षी है वे रातों - रात सफलता अर्जित करना चाहते हैं । वर्तमान में ऐसी मान्यता प्रचलित है , कैसे भी हो सफलता मिलनी चाहिए ।

 ( 5 ) नवीन अन्वेषण - आधुनिक काल में नित - नूतन आविष्कार हो रहे हैं । ज्ञान , विज्ञान , भूगोल , समाज , राजनीति आदि सभी क्षेत्रों में नवीनता व नये प्रयोग दिखाई दे रहे हैं । 

प्रश्न 24. आधुनिक इतिहास के प्रमुख स्रोतों का वर्णन कीजिए ।

 उत्तर- -आधुनिक इतिहास के प्रमुख स्रोत निम्नलिखित हैं 

( 1 ) लिखित इतिहास-

(i)इसके अंतर्गत विभिन्न साहित्विक रचनाएँ , संस्मरण , उपन्यास आदि आते हैं । 

( ii ) विभिन्न शासकीय , अशासकीय दस्तावेज , पत्र व्यवहार , दैनिक , साप्ताहिक , पाक्षिक , मासिक , त्रैमासिक , अर्द्धवार्षिक या वार्षिक छपने वाली पत्र - पत्रिकाएँ ।

( ¡¡¡) धार्मिक साहित्य , विभिन्न धार्मिक गुरुओं के उपदेश , मीमांसकों एवं धार्मिक संस्थाओं द्वारा प्रकाशित साहित्य । 

( 2 ) मौखिक इतिहास - आम लोगों के अनुभव , लोक कथाएँ और जनश्रुतियाँ आदि । 

( 3 ) आधुनिक संचार - साधन - रेडियो , टी.वी. , फिल्में , फोटो - ग्राफ्स , आडियो - वीडियो कैसेट , इन्टरनेट आदि ।

 ( 4 ) आधुनिक स्थापत्य - नई दिल्ली का नगर नियोजन , संसद भवन , राष्ट्रपति भवन , मुम्बई का प्रिंस ऑफ वेल्स म्यूजियम , छत्तीसगढ़ में गुरुघासीदास संग्रहालय - रायपुर आदि । 

प्रश्न 25. धर्म सुधार आन्दोलन का यूरोप के सामाजिक व्यवस्था पर क्या प्रभाव पड़ा ?

 उत्तर - धर्म सुधार आन्दोलन का यूरोप के सामाजिक व्यवस्था पर व्यापक प्रभाव पड़ा । ' बाईबिल ' का अनुवाद स्थानीय भाषाओं में किया गया , जिससे सभी लोग इसे पढ़ने लगे । अनेक धर्मगुरुओं ने समाज में नई चेतना भरने का काम लिया । मार्टिन लूथर नामक जर्मन धर्मगुरु ने धार्मिक संस्थाओं के अनाचार का घोर विरोध किया । उनके अनुयायी प्रोटेस्टेंट कहलाए । धर्म सुधार आन्दोलन के फलस्वरूप पोप के दबदबे में कमी आई । पोप के वर्चस्व से परेशान यूरोप के कुछ शासकों ने भी पोप का वर्चस्व मानने से इंकार कर दिया । इनमें इंग्लैण्ड का राजा हेनरी अष्टम भी एक था । इस तरह धर्म सुधार आन्दोलन ने यूरोप में आधुनिक विचारों का सूत्रपात कर पुनर्जागरण को सम्भव बनाया । 

प्रश्न 26. उपनिवेश से आप क्या समझते हैं ? उपनिवेशों की स्थापना क्यों की गई तथा उपनिवेशों पर उसका क्या प्रभाव पड़ा ?

 उत्तर - उपनिवेश - जब कोई शक्ति सम्पन्न राष्ट्र किसी कमजोर राष्ट्र पर आंतरिक व बाह्य रूप से अधिकार कर लेता है , तो उसे उपनिवेश कहा जाता है और वह राष्ट्र उपनिवेशिक राष्ट्र कहलाता है । यूरोपियों ने सबसे पहले अमेरिका के सम्पन्न प्रदेशों पर अपना अधिकार जमाकर , वहाँ अपना उपनिवेश स्थापित किया । इसी प्रकार स्पेन ने दक्षिणी व मध्य अमेरिका में अपनी सत्ता स्थापित की । इंग्लैण्ड ने उत्तरी अमेरिका में अटलांटिक महासागरों के तटवर्ती भागों में अपने उपनिवेश बनाए । इंग्लैण्ड ने भारत पर उपनिवेश की स्थापना की ।

कारण- ( 1 ) अपने द्वारा बनाए गए वस्तुओं के लिए स्थायी बाजार की आवश्यकता थी । ( 2 ) उद्योगों के लिए सस्ते में कच्चे माल की प्राप्ति होती थी । 

( 3 ) उपनिवेशिक राज्यों में ही उस माल के उत्पाद को बेचा दोहरा लाभ कमाना । उपनिवेशों पर प्रभाव - शक्तिशाली देशों द्वारा आयो उपनिवेशों का क्रूरतापूर्वक शोषण किया गया जिसके परिणः | स्वरूप उपनिवेशिक राज्यों की आर्थिक स्थिति अतिशोचनीय । गई थी । लोगों का स्वरोजगार ( कुटीर उद्योग ) पूर्णत : चौपट । गया । क्योंकि मशीनों द्वारा बनी वस्तुएँ सुन्दर और कम दार्थ वाली हुआ करती थीं । 

प्रश्न 27. नीचे कुछ कथन दिए गए हैं , जो सही हैं उनके । आगे सही एवं जो गलत है उनके आगे गलत का निशान लगाइये

 ( 1 ) आधुनिक युग का शुभारंभ एकाएक हुआ ।(गलत)

 ( 2 ) पुनर्जागरण काल ने यूरोपवासियों को तर्कपूर्ण सोचने के लिए प्रेरित किया ।(सही)

( 3 ) मध्यकाल के उत्तरार्द्ध में व्यापार की उन्नति ने यूरोप के शहरों को समृद्धि प्रदान की ।(सही)

( 4 ) यूरोपीय व्यापारियों ने अपने व्यापार द्वारा उपनिवेशों को भी आर्थिक समद्धि प्रदान की ।(गलत)

 ( 5 ) व्यापार की उन्नति के साथ ही पूँजीपति वर्ग समाज का सबसे कमजोर वर्ग बनता गया ।(गलत)  

प्रश्न 28. मॉर्टिन लूथर नामक जर्मन धर्मगुरु ने धार्मिक संस्थाओं की निंदा करते हुए एक खुला वक्तव्य जारी किया जिसमें उन्होंने जनता से कहा कि आप लोगों को धर्म गुरुओं के कथन को ही धर्म न मानकर स्वयं बाइबिल पढ़ना चाहिए और धर्म के तत्वों को समझना चाहिए । ' मार्टिन लूथर के इस कथन पर आपके क्या विचार हैं ?

उत्तर- मार्टिन लूथर ने सत्य कहा है कि हमें धर्म गुरुओं के कथन को ही धर्म नहीं मानना चाहिए बल्कि स्वयं ही धर्मग्रंथ को पढ़कर उससे ज्ञान अर्जित कर धर्म के तत्वों को समझना चाहिए ।

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