अध्याय 5 महाजनपद काल
रिक्त स्थानों की पूर्ति कीजिए-
(1) गणतंत्र में वास्तविक शासन एक ही सत्ता के लोगों के हाथमे रहता था ।
(2) महाजनपद काल मगध की राजधानी गिरिव्रज थी ।
(3) प्राचीन भारत में सोलह महाजनपद थे ।
(4) महाजनपद काल मे वज्जि प्रसिद्ध गणराज्य था ।
सही / गलत बताइए ।
(1) राजतंत्र में राजा का पद वंशानुगत नहीं होता था । (गलत)
(2) गणराज्यों में राजा का पद वंशानुगत होता था । ( गलत )
(3) किसानों को अपनी उपज का एक भाग कर के रूप में देना पड़ता था । ( गलत )
(4) सिकन्दर ईरान का राजा था । ( गलत )
प्रश्नों के उत्तर दीजिए -
प्रश्न 1. महाजनपद कितने वर्ष पहले को कहा गया है ?
उत्तर- भारत में 600 ईसा पूर्व अर्थात् आज से लगभग 2600 वर्ष पहले के काल को महाजनपद काल कहा जाता है ।
प्रश्न 2. घनानंद से प्रजा क्यों दुखी थी ?
उत्तर - धनानंद कर वसूलते समय अपनी प्रजा पर बहुत । अत्याचार करता था । इसलिए प्रजा उससे काफी दुखी थी ।
प्रश्न 3. महाजनपद कैसे बने ? उत्तर - दक्षिण बिहार क्षेत्र में मिलने वाले खनिजों से औजार एवं हथियार बनाए जाने लगे । इससे इस क्षेत्र के जनपदों की शक्ति बढ़ी । कुछ शक्तिशाली जनपदों ने दूसरे जनपदों को जीत लिया । इन शक्तिशाली और बड़े जनपदों को महाजनपद कहा गया ।
प्रश्न 4. महाजनपदों में नगरों का विकास कैसे हुआ ?
उत्तर - महाजनपदों में गाँवों की संख्या के साथ - साथ नगरों की भी संख्या बढ़ी । जिन गाँवों में उद्योग - धंधे , जैसे - शिल्पकारी , कारीगरी , धातुकर्म , बढ़ईगिरी एवं व्यापारी अधिक हुए । वे गाँव धीरे - धीरे नगरों का रूप लेने लगे । इनमें से कई प्रसिद्ध नगर हुए - उज्जैन ( म . प्र . में ) , चम्पा , वैशाली , राजगृह ( बिहार में ) आदि । ये महानगर कहलाते थे ।
प्रश्न 5. महाजनपदों में करों का क्या महत्व था ?
उत्तर - इस समय सभी लोगों को कर देना पड़ता था । किसानों को अपनी उपज का छठवाँ हिस्सा कर के रूप में देना पड़ता था । शिल्पकारों को अपनी बनाई वस्तु के रूप में कर देना पड़ता था । व्यापारियों को भी वस्तु एवं नगद रूप में कर देना पड़ता था ।इन कारों का उपयोग सेना,कर्मचारी एवं राजा का खर्च चलाने में होता था।
प्रश्न 6. राज्यों एवं गणराज्यों की शासन व्यवस्था का वर्णन कीजिए ?
उत्तर - महाजनपदों में से काशी , कौशल , मगध आदि में ' राजतंत्र शासन ' की व्यवस्था थी । इस व्यवस्था में शासन राजा द्वारा किया जाता था । इसमें राजा का पद वंशानुगत होता था अर्थात् राजा के मरने के बाद उसका बड़ा बेटा राजा बनता था । लेकिन वज्जि ( वैशाली ) , शाक्य ( कपिलवस्तु ) , मल्ल आदि में गणतंत्र शासन ' की व्यवस्था थी । राजा का चुनाव एक सभा के द्वारा किया जाता था । यह सभा अपने सदस्यों में से किसी एक को कुछ समय के लिए राजा भी चुन लेता था । राजा का यह पद वंशानुगत नहीं महाजनपदों में राजा बहुत शक्तिशाली होता था । वह अपने राज्य में शासन एवं न्याय करता था । अपनी सहायता के लिए वह मंत्री , सेनापति एवं अन्य कर्मचारियों की नियुक्ति करता था।
प्रश्न 7. मगध को शक्तिशाली बनाने में बिंबिसार का क्या योगदान था ?
उत्तर - बिंबिसार मगध का पहला प्रमुख राजा था । उसने एक शक्तिशाली सेना बनायी और सेना एवं नीति दोनों से काम लेकर मगध को शक्तिशाली बनाना शुरू किया । उसने सबसे पहले कौशल की राजकुमारी से विवाह किया । इससे दहेज के रूप में उसे काशी का राज्य मिला । इसके बाद वैशाली की राजकुमारी से विवाह कर वहाँ का समर्थन पाया । उसने दूर के जनपदों से मित्रतापूर्ण संबंध रखे । लेकिन अपने पड़ोसी जनपद अंग पर । चढ़ाई करके उसकी राजधानी चम्पा पर अधिकार कर लिया ।
अन्य महत्वपूर्ण प्रश्नोत्तर–
प्रश्न 1. छठी शताब्दी ई . पू . के दो प्रसिद्ध गणराज्य कौन कौन से थे ?
उत्तर - छठी शताब्दी ई . पू . के दो प्रसिद्ध गणराज्य वज्जि ( वैशाली ) , शाक्य ( कपिलवस्तु ) थे ।
प्रश्न 2. छठी शताब्दी ई . पू . के दो प्रसिद्ध जनपद कौन कौन से थे ?
उत्तर - छठी शताब्दी ई . पू . के दो प्रसिद्ध जनपद पांचाल और कौशल थे ।
प्रश्न 3. दो प्रसिद्ध गणराज्यों के नाम लिखिए ?
उत्तर - मगध गणराज्य और काशी गणराज्य प्रसिद्ध गणराज्य हैं ।
प्रश्न 4. मगध उत्थान के काल के दो प्रमुख शासकों के नाम बताइए?
उत्तर - मगध के दो राजाओं के नाम थे - बिंबिसार एवं अजातशत्रु ।
प्रश्न 5. नंदवंश का पहला शासक कौन था ?
उत्तर - नंदवंश का पहला शासक महापद्मनंद था ।
प्रश्न 6. नंदराजाओं ने कहाँ और किस हाल में शासन किया ? अंत में नंदराजा को किसने हराया ?
उत्तर - नन्दराजाओं ने ईसा पूर्व चौथी सदी में मगध पर शासन किया था । चन्द्रगुप्त मौर्य ने अन्त में नन्दराजा को हराया ।
प्रश्न 7. सिकन्दर किस राज्य का राजा था ?
उत्तर - सिकन्दर यूनान के मकदूनिया राज्य का राजा था ।
प्रश्न 8. महाजनपद काल में व्यापार का भी खूब विकास हुआ । स्पष्ट कीजिए ?
उत्तर - महाजनपद काल में व्यापार का भी खूब विकास हुआ । पहले वस्तुओं के बदले वस्तुओं से ही लेन - देन होता था । लेकिन इस काल में धातु ( चाँदी एवं ताँबे ) के सिक्कों का चलन शुरू हुआ । ये सिक्के धातु के टुकड़े पर ठप्पा लगा कर बनाए जाते थे । ये आहत सिक्के कहलाते थे । सिक्कों के चलन से व्यापार काफी सुगम हो गया ।
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