हमारी मातृभूमि:
निबंध के आवश्यक बिंदु
रूपरेखा, भूमिका, भौगोलिक स्थिति, नामकरण, महापुरुषों की जन्मभूमि, भारतीय संस्कृति, प्राकृतिक सौंदर्य, उपसंहार।
"देश हमारा जग से न्यारा, इसका मान बढ़ाएंगे,
इसकी कीर्ति पताका सब मिल, गगनगन लहराएंगे।
राम, कृष्ण, गौतम, गांधी ने, इस धरती पर जन्म लिया,
भगत, चंद्रशेखर, सुभाष को, हम सब शीश झुकाएंगे ..."
भूमिका - हम जिस देश में रहते हैं, उसका नाम भारतवर्ष है। यही हमारी मातृभूमि और जन्मभूमि है। यह एक अत्यंत विशाल और गौरवशाली देश है। आर्यावर्त, जंबूद्वीप, भारतखंड, हिंदुस्तान इंडिया आदि इसके अन्य नाम हैं। यह ऋषि - मुनियों, महापुरुषों और साधु - संतों का देश है। इसकी संपन्नता और समृद्धिता से प्रभावित होकर लोग इसे 'सोने की चिड़िया' कहते थे।
भौगोलिक स्थिति - भारत देश उत्तर में कश्मीर से लेकर दक्षिण में कन्याकुमारी तक फैला है। इसके उत्तर में स्थित हिमालय पर्वत इसके प्रहरी को भाँति सुरक्षा करता है। इस देश के पूर्व में बंगाल की खाड़ी और पश्चिम में अरब सागर है। इसका दक्षिणी भाग एक विशाल प्रायद्वीप है। भारतवर्ष का कुल क्षेत्र 32,87,263 वर्ग किलोमीटर है। वर्ष 2011 की जनगणना के अनुसार इस देश की जनसंख्या 1 अरब 21 करोड़ है।
नामकरण - ऐसा माना जाता है कि हस्तिनापुर के चक्रवर्ती सम्राट भरत के नाम पर इस देश का नाम भारतवर्ष पड़ा। भरत, शकुंतला और दुष्यंत का बेटा था।
महापुरुषों की जन्मभूमि - भारत देश कई महापुरुषों और विद्वानों की जन्मभूमि है। इस देश में राम, कृष्ण, नानक, गौतम, बुद्ध जैसे महापुरुषों ने अवतार लिया है। राणा प्रताप, शिवाजी, पृथ्वीराज चौहान, रानी लक्ष्मीबाई जैसी वरंगना की यह जन्मभूमि है। यहीं पर महात्मा गांधी, सुभाष चंद्र बोस, चंद्रशेखर आजाद, भगतसिंह और जवाहर लाल नेहरू जैसे देशभक्तों ने जन्म के बारे में भारत माता को स्वाधीन बनाया था।
भारतीय संस्कृति - हमारे देश की संस्कृति अत्यंत महत्वपूर्ण है। यहां कई धर्मों और संप्रदायों के लोग एक साथ प्रेम से रहते हैं। यहाँ की भाषा, पहनावा, रहन - सहन, रूप - रंग में भिन्नता होते हुए भी सभी एकता के सूत्र में बँधे हुए हैं। हमारे देश की संस्कृति में कई बदलाव का मेल हो चुका है।
प्राकृतिक सौंदर्य -प्राकृतिक सुषमा की दृष्टि से हमारा देश अनुपम है। धरती का स्वर्ग, 'कश्मीर' इस देश का एक अभिन्न अंग है। इसके अतिरिक्त शिमला, नैनीताल, मसूरी आदि रमणीक पर्वतीय स्थल हैं। इसके अनुपम सौंदर्य को देखने के लिए विदेशी पर्यटक भी यहां प्रतिदिन आते रहते हैं।
उपसंहार - हम सभी भारतीयों को इस देश पर गर्व है। हमें इसकी एकता और अखंडता | बनाए रखना है। हमारे यहाँ जन्मभूमि को स्वर्ग से भी अधिक श्रेष्ठ माना गया है। इस संबंध में कहा भी गया है।
"जननी जन्म भूमि स्वर्ग स्वर्गादपि गरीयसी।"
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