हम पंछी उन्मुक्त गगन के पिंजरबद्ध न गा पाएंगे,
कनक तीलियाँ से टकराकर पुलकित पंख टूट जाएंगे।
हम बहता जल पीने वाले मर जाएंगे भूखे प्यासे,
कहीं भली है कटुक निबोरी कनक कटोरी की मैदा से।
व्याख्या - हम स्वतंत्र आसमान में उड़नेवाले पंछी पिंजरे में बंद ही कर खुशी के गीत नहीं गा सकेंगे।क्योंकि इस सोने की पिंजरे की तीलियों से टकराकर प्रसन्नता से फड़फड़ाते हुए हमारे पंख टूट जाएंगे।
हम प्रवाहित होने वाले जल को पीने वाले हैं और यदि हमें पिंजरे में बंद कर दिया गया तो हम भूख प्यास से मर जायेंगे।
पिंजरे भवन बन्द हो कर सोने की कटोरी में रखी मैदा को खाने की अपेक्षा स्वतन्त्र रहकर कड़वे निबोली खाना कहीं ज्यादा अच्छा है।
स्वर्ण-श्रृंखला के बंधन में अपनी गति ,उड़ान सब भूलें,
बस सपनों में देख रहे हैं तरु की फुनगी पर के झूले।
ऐसे थे अरमान की उड़ते नील गगन की सीमा पाने,
लाल किरण-सी चोंच खोल चुगते तारक अनार के दाने।
व्याख्या - स्वर्ण के जंजीर का बंधन होने के कारण हम पक्षी अपनी गति और उड़ान भरने की क्षमता को भी भूल गए हैं।और पिंजरे में बंद हम केवल पेड़ों के अंतिम सिरे पर झूलने का स्वप्न देख रहे हैं।हमारी इच्छा है कि हम नीले आसमान की अंतिम छोर का पता लगाएं और अपनी लाल किरण के सामान चोंच से तारे रूपी अनार के दाने चुगे।
स्वर्ण-श्रृंखला के बंधन में अपनी गति ,उड़ान सब भूलें,
बस सपनों में देख रहे हैं तरु की फुनगी पर के झूले।
ऐसे थे अरमान की उड़ते नील गगन की सीमा पाने,
लाल किरण-सी चोंच खोल चुगते तारक अनार के दाने।
व्याख्या - इस सीमा रहित क्षितिज तक पहुंचने के लिए हमारा मुकाबला होता और इससे या तो क्षितिज पर हमारा मिलन हो जाता या फिर अत्यधिक उड़ने के कारण हमारी साँसे फूल जाने से हम थक जाते।
चाहे रम हमें रहने के लिए घोंसला मत दो चाहे पेडों की उन शाखाओं को जो हमें आश्रय देते हैं उन्हें नष्ट कर दो लेकिन जो पंख हमें दिए हैं उनकी उड़ने की व्याकुलता में बाधक मत बनो।
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1. पिंजरबद्ध पक्षी के क्या अरमान थे ?
उत्तर - पिंजरबद्ध पक्षी नीले आकाश की अंतिम छोर का पता लगाना एवं लाल किरण सदृश चोंच से तारे रूपी अनार के दाने खाना चाहते थे।
2. हर तरह की सुख सुविधा पा कर भी पक्षी पिंजरे में अपने आप को बंद रखना क्यों चाहता है ?
उत्तर - क्योंकि पक्षी खुले आकाश में स्वतंत्रता पूर्वक उड़ना चाहता है।
3. पुलकित पंखों का क्या आशय है?
उत्तर - पुलकित पंखों से आशय प्रसन्नता से फड़फड़ाते पंखों से है
4. स्वर्ण श्रृंखला के बंधन में अपनी गति उड़ान सब भूले से कवि क्या आशय है ?
उत्तर - कवि का आशय है कि जंजीरों में बंधे होने के कारण हम अपनी गति और उड़ान सब भूल गए हैं।
5. उन्मुक्त गगन के पक्षी से क्या आशय है ?
उत्तर - उन्मुक्त गगन के पक्षी से कवि का आशय स्वतंत्र आकाश में उड़ने वाले पक्षी हो अब पिंजरे में बनफ छटपटा रहे हैं।
6. कनक तीलियों से कवि का क्या आशय है ?
उत्तर - कनक तीलियों से कवि का आशय सोने की बनी हुई तीलियों के पिंजरे से है,जिसमे पंछी को रखा जाता है।
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