भगत सिंह की याद में
आजादी का था वो दीवाना ।
भारत माता का लाडला परवाना।।
नाम उनका सरदार भगत था।
जिनका सारा जीवन भारत माता को समर्पित था।।
इन्कलाब जिंदा बाद जिनका नारा था।
सचमुच में हम युवाओं का राज दुलारा था।।
प्रेमी,पागल,कवि,शायर।
पर जीना नहीं चाहता था बनकर कायर।।
धर्म, जाति,संप्रदाय,पाखंडवाद,के घोर विरोधी।
आप थे प्रखर वक्ता, स्पष्ट वादिता,सच्चे सन्यासी।।
आप चाहते थे पूर्ण स्वतंत्रता ,
राजनीतिक गलियारों से।
आपने अंग्रेजो के सिंहासन हिला दिये।
कोर्ट में बम की गुंज और इन्कलाब की नारो से।।
आप चाहते तो भाग सकते थे।
फांसी के फंदे से बच सकते थे।।
परन्तु आपने हंसकर गले लगाया
फांसी के फंदों को।
जाते हुए भी जगा गये,
हिन्दुस्तान के मुर्दों को।।
भगत सिंह, राजगुरु,सुखदेव
आप सच्चे युग निर्माणी थे।
हंसते हंसते फांसी पर झूल गए
ये तीनों वीर शहीद अमर बलिदानी थे।।
सत सत नमन है, सत सत श्रद्धांजलि।
आप ही है हम युवा वर्ग के लिए
सच्चे बाहुबलि।।
मनुष्य मरता है,उनका शरीर मरता है।
हर उस अच्छे व्यक्ति का
विचार सतत जिंदा रहता है।।
स्वरचित
तुलेश्वर कुमार सेन शिक्षक
शासकीय प्राथमिक शाला पैली मेटा
राष्ट्र पिता महात्मा गांधी
2 अक्टूबर 1869 को करम दास पुतली बाई के आंगन में ।
जन्म लिया एक नन्हा बालक
गुजरात के पावन धरा में।।
नाम उनका मोहनदास दास करम चंद गांधी।
जिसने पूरी दुनिया में स्वतंत्रता की चलाई आंधी।।
बालक पन में देखा नाटक हरिश्चंद्र सत्य,धर्म,के
लिए जीवन बलिदान किया ।
अपने जीवन भर पालन करते हुए
सामान्य मनुष्य से राष्ट्र पिता का पद पाया ।।
सत्य, धर्म,न्याय के पालन के लिए
अपना जीवन भारत माता को अर्पित किया।
मानवता के इस पुजारी को दुनिया ने बापू का नाम दिया।।
दिखने में दुबले पतले हांड मांस का ढांचा था ।
गजब का आत्मबल, उनका गजब का मनोबल था।।
जब वे चलते थे आंधी तूफान की तरह।
अच्छे अच्छे ढह जाते ताश की मकान कि तरह।।
दुनिया के लोगों को* *सत्य,अहिंसा का पाठ पढ़ाया ।
पाप से घृणा करो पापी से नहीं
ये बात उस राष्ट्र पिता ने सिखाया।।
दुनिया में परिवर्तन लाना है तो
शुरुवात अपने आप से करो।
जहां पर कथनी करनी भिन्न हो
न कोई ऐसी बात करो।।
इस जीवन संग्राम में बनकर चली परछाई ।
नाम थी जिनकी धर्म पत्नी कस्तूरबा बाई।।
छुआ छूत,पाखंड वाद, जाति वाद संप्रदाय वाद
का आपने खुला विरोध किया ।
मानवता के इस पुजारी ने उन सभी को
हरिजन का नाम दिया।।
बालिका शिक्षा,नारी शिक्षा, प्रौढ़ शिक्षा केन्द्र चलाया।
जीवन संग्राम को जितना है तो
घर घर स्वालंबन ,लघु कुटीर उद्योग चलाया ।।
बड़ा दुर्भाग्य है गांधी तेरे देश में
आपको मानते हैं पूरे जन जन ।
परन्तु आपकी बताए रास्ते
पर आज कोई नहीं करता चिंतन मनन।।
गांधी,बापू, राष्ट्र पिता तेरे कई नाम ।
2 अक्टूबर 2020 को शत् शत् विनम्र प्रणाम
स्वरचित
तुलेश्वर कुमार सेन
शासकीय प्राथमिक शाला पैलीमेटा
ग़ज़ल
**जिंदगी**
जिंदगी आखिर है क्या ?
जिंदगी को दिया किसने ?
आज जिस जिंदगी को हम जी रहे हैं।
आज जो खुशियों को हम पा रहे हैं।
आज हम खुश है क्या?
जिंदगी आखिर है क्या....
जिंदगी को दिया माता–पिता ने ।
हम जिंदगी किसी और को बता रहे हैं?
जिंदगी है क्या.....
जिसने जिंदगी दिया
आज बेसहारा है।
अभी सुधार ले बन्दे..
ये दुनिया कर्मो का डेरा है..
जिंदगी आखिर है क्या...
जीवन जीने की कला
जिस गुरु ने सिखाया ।
कभी लौट कर उस
दर पर गए क्या...
जिंदगी आखिर है क्या..
आज सांसो की लड़ियां है
पूरा जीवन कहीं न कहीं हथकड़ियां हैं
जिंदगी आखिर है क्या...
तुलेश्वर कुमार सेन शासकीय प्राथमिक शाला पैलीमेटा
दिनांक 30-09-2020
विषय _ प्रेम
प्रेम की परिभाषा किस तरह दूं।
किसी की प्रेम की निशानी खुद मै हूं।।
प्रेम को आज किसी ने समझा ही नहीं है।
जो प्रेम की बाते कर रहे हैं
उसने कभी की ही नहीं है।।
प्रेम में तो समर्पण होता है
वासना मुक्त होता है।
प्रेम के नाम पर आज क्या क्या होता है।।
प्रेम तो कृष्ण ने किया था
ब्रिज की राधा से।
प्रेम तो मीरा ने किया था
मूर्ति कृष्ण से।।
प्रेम तो राम ने किया था
माता सीता से।
प्रेम तो सुर,तुलसी,रैदास,रसखान ने किया था
अपने ईश्वर से।।
प्रेम तो आज दिखावा और छलावा है।
प्रेम तो मौज मस्ती का पहनावा है।।
जहां जहां प्रेम और समर्पण का साया है।
वहां प्रेम के नाम पर कभी भी प्रश्न चिन्ह नहीं आया है।
तुलेश्वर कुमार सेन
शासकीय प्राथमिक शाला पैलीमेटा
कोविड 19 को समर्पित
अभी सुधर जाओ।
बहुत कुछ होने वाला है।।
पुन: भारतीय संस्कृति अपना लो।
प्रकृति ने चेतावनी दे डाला है।।
अभी से अपना खान - पान ,रहन -सहन सुधार लो।
वरना सब कुछ मटिया मेट होने वाला है।।
जो अब नहीं सुधरेंगे,वो सब ख़ाक में मिलने वाला है।
जो स्वयं सुधर गए तो ठीक,
वरना प्रकृति सुधारने वाला है।।
घर से निकलो मास्क लगा कर ।
लोगों से रहो एक मीटर की दूरी बनाकर ।।
अपने हाथ को साबुन से धोएं 20 सेकेंड तक।
जब भी कहीं जाओ,कोई चीज हाथ लगाओ याद तक।।
बिना किसी कारण नाक,मुंह,हाथ नहीं लगाना है।
कोविड 19 से स्वयं बचने के बाद,
लोगों को बचाना है।।
जान है तो जहान है।
ये बात सबको बताना है।।
स्वरचित
तुलेश्वर कुमार सेन
शासकीय प्राथमिक पैलीमेटा
पढ़ाई तुहर द्वार पंथी धून में
1.आवत हो ही जी,आवत हो ही न।
पढ़ाई तुहर द्वार पढ़ाएं बर
गुरुजी आवत हो ही न.....
आवत हो ही न...
2.स्कूल ह कोरोना काल म बंद हावे जी।
बंद हावे न....
लइका ल पढ़ाएं बर,गुरुजी ह उदिम लगाएं हावे न।
उदिम लगाएं हावे.....
आवत हो ही न......
3.कभू आनलाईन पढ़ावत हे जी
कभू आफलाईन पढ़ावत हे न
आवत हो ही न.....
4. कभूू पारा मोहल्ला म स्कूल लगावत हे जी
कभू बूल्टू के बोल म पढ़ावत हे न
आवत हो ही न......
5. कभू लाउड स्पीकर म पढ़ावत हे जी
कभू शिक्षा सारथी मन पढ़ावत हे न
आवत हो ही न....
6. लइका ल जम्मो उदीम ले पढ़ावत हे जी
NCERT ले जम्मों गुरुजी ,प्रमाण पत्र पावत हे न
आवत हो ही न.....
7. कोरोना काल के समस्या ल जी
अवसर म बदलत हावे न
आवत हो ही न....
8.सोशल डिस्टेंस और एक मीटर की दूरी ल जी
सबो झन अपनावत हे न
आवत हो ही न.....
9.घेरी बेरी जम्मो झन जी
हाथ ल साबुन सेनेटाइजर ले धोवत हे न
आवत हो ही न ,आवत हो ही जी
पढ़ाई तु हर द्वार पढ़ाएं बर
गुरुजी आवत हो ही न
स्वरचित
तुलेश्वर कुमार सेन
शासकीय प्राथमिक शाला पैलीमेटा
विधा गद्यांश
विषय अहसास
लेखन 05-10-2020
अहसास तेरे कई नाम एहसास,महसूस,अनुभव,फिलिंग आदि......
अहसास का नाम समय , प्रस्तुति,रिश्ते नाते के साथ बदलता रहता है।
1. अहसास का पहला पल- जब किसी के घर परिवार में बच्चा का जन्म होता है ।सभी बच्चे ,जवान,बूढ़े,महिला पुरुष का जो अहसास होता है जरा याद कीजिए।
2.अहसास कीजिए जब पहली बार कोई विवाह बंधन में बंधने जा रहे हो तो लड़की/लड़का देखने से लेकर विवाह के बंधन तक अहसास कीजिए।
3.अहसास कीजिए कोई बहन या बेटी अपने ससुराल पहली बार आती या जाती हैं।सबके लिए नया स्थान,नया परिवार,नई नवेली दुल्हन,नई परिस्थती अहसास कीजिए।पहली बार किसी से मिलना।
4.अहसास कीजिए जब पहली बार जब कोई माता पिता बनने जा रहे हैं उस नौ माह का अनुभव ,सपने,विचार,वातावरण, दिलवरी के बाद का नया जीवन बस अहसास कीजिए।
5.अहसास कीजिए जीवन का वो पहला पड़ाव जब कच्ची उम्र में किसी से पहली बार आंखे चार हो जाती हैं। पल भर में जीवन के कई पल आंखो ही आंखो में जी लेते हैं।वो पहला प्यार अहसास कीजिए।
6.अहसास कीजिए रक्षा बंधन, तीज,त्यौहार,के पल बहन बेटियों के साथ अहसास कीजिए।
7.अहसास कीजिए शिक्षक और छात्र का वो पहला दिन से लेकर जीवन पर्यन्त प्रति दिन सीखने का अहसास।
8.अधिकारी/कर्मचारी किसी भी विभाग का पहला दिन का अहसास याद कीजिए।
9.प्रकृति,जीव-जंतु,और मानव ।मनुष्य दुनिया का सर्व श्रेष्ठ प्राणी ।जो एक दूसरे से प्रत्यक्ष अप्रत्यक्ष रूप से जुड़े हुए है बस अहसास कीजिए ।
तुलेश्वर कुमार सेन
मेरी कविता गंगा
गंगा को मां कहता हूं तो।
प्रेम,ममता,स्नेह,संवेदना दिखाई देती है।।
गंगा को केवल नदी कहता हूं तो।
बहती निर्मल जल धारा दिखाई देती है।।
गंगा को अगर नारी रूप में देखता हूं तो।
मां,बहन, बेटी,प्रेमिका,पत्नी नजर आती है।।
गंगा को पाप नाशनी कहता हूं तो।
जीवन मरण के साथ अष्थी विसर्जन दिखाई देती है ।।
गंगा को हरिद्वार की जीवन दायनी कहता हूं तो।
काम,क्रोध,मद,लोभ,से निर्विकार दिखाई देती है।।
गंगा को शिव की अर्धांगिनी हूं तो।
शिव का नाम गंगाधर दिखाई देती है।।
गंगा को मैना हिमालय पुत्री कहता हूं तो।
साक्षात कैलाश पर्वत दिखाई देती है।।
गंगा को गंगा सागर कहता हूं तो।
साधु,संत के साथ , स्वयं का मोक्ष दिखाई देती है।।
गंगा को आज जीवन धारा नदी कहता हूं तो।
गंगा के तटों पर पूरा प्रदूषण दिखाई देती है।
तुलेश्वर कुमार सेन
सहायक शिक्षक शासकीय प्राथमिक शाला पैलीमेटा
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