सम्पूर्ण हिंदी वर्णमाला /Hindi varnmala/Hindi alphbet/

 सम्पूर्ण वर्णमाला पर एक प्रयास



अ✍-अमन चैन की नींद सुहानी, 

आ✍- आकर पलकों में बसती।

इ✍- इस सुखद सलोने सपने में,

ई✍- ईश्वर की दया बरसती।


उ✍- उन्मुक्त पंक्षी बन उड़ूँ मैं,

ऊ✍- ऊँची चाहत है मन में।

ऋ✍-ऋतु सावन की हरियाली में ,

ॠ✍-ॠचा का स्पंदन तन में।


ए- ✍एक-एक जीवन सपने को, 

ऐ✍-ऐनक में देख सँवारा।

ओ✍-ओढ़ दुशाला दिव्य ज्ञान का,

औ✍- औरत मन है उजियारा।


अं✍- अंत नहीं है ज्ञान सरोवर,

अ:✍- अ: को विसर्ग हैं कहते।

क✍- कनक समान वर्ण हैं प्यारे,

ख✍- खलखल हृदय भाव बहते।


ग✍- गहना वर्ण के शब्द-मोती,

घ✍- घघौंदा वाक्य बनाती।

च✍- चन्दा मामा ऊपर बैठे,

छ✍- छत पर सखी गीत गाती।


ज✍- जगमग तारे नभ में शोभे,

झ✍- झिलमिल है ओस धरा पर।

ट✍- टन-टन घंटी बजे शिवाला,

ठ✍-ठहर गये नैन घड़ा पर।


ड✍- डगर चले लोग दीवाने,

ढ़✍- ढ़म-ढ़म ढ़ोलक बाजत है।

त✍- तन-मन खोया देख नगाड़े,

थ✍- थक- थैया मन नाचत है।


द✍-दमक-दमक दामिनी चमकती,

ध✍-धरा पर बिखरे हैं ज्योति।

न✍- नव परिधान धरा पहनी है,

प✍-पवन बहाते हैं मोती।


फ✍-फलदार पेड़ झुके हुए हैं,

ब✍- बगियाँ की शान निराली।

भ✍-भरी गोद प्रकृति फल-फूल से,

म✍-महक उठी है घर आली।


य✍-यह अनुपम दृश्य प्रकृति का है,

र✍- रखना है इसे बचाकर ।

ल✍-लगा पेड़-पौधा जग में सब,

व✍- वचन दो अब कर मिलाकर।


श✍-शस्य श्यामला धरा हमारी,

ष✍-षष्ठ मौसम लगे जीवन।

स✍-सकल सृजन सुन्दर लगती है,

ह✍- हम सब का मन चंदन वन।


क्ष✍-क्षणभंगुर है जीवन सुनो,

त्र✍-त्रिपुरारी प्राण हर्ता।

ज्ञ✍- ज्ञान -ध्यान से जग को पढ़ना,

वर्णमाला सी जीवन है।


ॠचा =वेद मंत्र

स्पंदन= कंपन /धीरे -धीरे हिलना

काॅपीराइट

Ranjana Singh "अंगवाणी बीहट"

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