तिरंगा
पुण्य तिरंगा से हमें,मिलती है पहचान।
तीन रंग मन में भरे,देशभक्ति का भान।।१।।
भर देता मन प्राण में,अतुलित पावन गर्व।
जब आता है देश में ,आजादी का पर्व।।२।।
लहर-लहर लहरा रहा,गर्वित हो आकाश।
आज तिरंगा भर रहा,मन में परम प्रकाश।।३।।
केसरिया बलिदान का,सत्य शांति का श्वेत।
हरा प्रकृति प्रतीक जहाँ,उर्वर पोषित खेत।।४।।
चक्र प्रतीक है धर्म का,सद्भावों के संग।
शोभित निज ध्वज को करे,तीनों पावन रंग।।५।।
नित-नित यह झण्डा भरे,तन-मन में विश्वास।
संप्रभुता का है सखा,जन-जन को आभास।।६।।
पुण्य तिरंगा दे रहा,जग को शुभ संदेश।
प्रेम भाव ही बाँटता,अपना भारत देश।।७।।
केसर की घाटी जहाँ,नित ही बाँटें प्यार।
और हिमालय से बहे,पावन गंगा धार।।८।।
वीरों की है वीरता,ज्ञानी का शुभ ज्ञान।
परिपाटी पावन जहाँ,भारत देश महान।।९।।
सर्वप्रथम निज देश है,बाकी सब कुछ बाद।
आजादी के पर्व को,रखो "प्रेम" नित याद।।१०।।
स्वरचित एवं मौलिक रचना
रचनाकार -प्रेमचन्द साव"प्रेम"बसना
जिला-महासमुंद,छ.ग.८७२००३०७००
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