संवाद:( संस्कृत6वी)
पाठ का अनुवाद
1.1हट्टवार्ता: गीता गच्छति हट्टम
अनुवाद:- मोहन -गीता तुम कहां जा रहे हो ।
गीता -मोहन मैं बाजार की ओर जा रही हूं ।
मोहन -गीता किसलिए ?
गीता-मोहन सब्जी और फल। खरीदने के लिए ।अब तुम कहां जा रहे हो ।
मोहन -गीता अब मैं घर की ओर जा रहा हूं।
1.2 छात्रालाप: छात्र वार्तालाप:
वासुदेव: हे मित्र तुम किस कक्षा में पढ़ते हो ।
सुरेश -मित्र मैं छठवीं कक्षा में पढ़ता हूं तुम किस कक्षा में पढ़ते हो ।
वासुदेव -मैं सातवीं कक्षा में पढ़ता हूं ।
सुरेश- तुम्हारी कक्षा आचार्य का क्या नाम है।
वसुदेव - मेरी कक्षा आचार्य का नाम ज्ञानानंद है तुम्हारी कक्षाचार्य का नाम?
सुरेश -मेरी कक्षा आचार्य का नाम परमानंद है ।
वसुदेव- तुम्हारी कक्षा में कितने छात्र पढ़ते हैं ।
सुरेश -मेरी कक्षा में 40 छात्र पढ़ते हैं और तुम्हारी कक्षा में?
वसुदेव -मेरी कक्षा में 50 छात्र पढ़ते हैं।
1.3 परिजन सँवाद:
सुशीला-सखी ! तुम्हारा नाम क्या है
विमला -मेरा नाम विमला है। सखी तुम्हारा नाम क्या है? सुशीला- मेरा नाम सुशीला है। विमला- तुम कहां रहती हो? सुशीला मैं रायपुर नगर में रहती हूं। और तुम?
विमला - मैं बिलासपुर नामक नगर में रहती हूं ।
सुशीला- तुम्हारे पिता का क्या नाम है ?
विमला- मेरे पिता का नाम सुशील कुमार है ।
तुम्हारे पिता का नाम?
सुशीला -मेरे पिता का नाम चंद्र कुमार है ।
विमला -तुम्हारे पिता का क्या काम करते हैं ?
सुशीला- मेरे पिता खेती करते हैं तुम्हारे पिता।
विमला- मेरे पिता शिक्षक हैं।
सुशीला- मेरी एक बड़ी बहन है तुम्हारी?
विमला- मेरे दो भाई हैं बड़ी बहन नहीं है ।
सुशीला- तुम्हारी माता कैसी है।
विमला- मेरी माता बहुत सीधी है तुम्हारी माता ?
सुशीला -मेरी माता का स्वभाव भी सरल और मधुर है।
1.4 मनोहरम उद्यानम
गोपाल- कृष्ण !तुम सुबह के समय कहां जा रहे हो ?
कृष्ण -गोपाल में सुबह के समय उद्यान की ओर जाता हूं ।
गोपाल- कृष्ण !उद्यान में कितने पेड़ हैं ?
कृष्ण -गोपाल! उद्यान में कई प्रकार के पेड़ हैं ।
गोपाल- कृष्ण !वृक्षों के नामों को बोलो ।
कृष्ण -गोपाल !अशोक के बीच या पेड़ या बरगद के पेड़ नीम का पेड़ इत्यादि बहुत से पेड़ हैं। गोपाल -कृष्ण! तुम बगीचे में कौन सा अनुभव करते हो ?
कृष्ण -गोपाल! मैं बगीचे में अनुभव करता हूं।
1.5 बुभुक्षिता लोमशा
पल्लवी -पूजा !मैंने आज एक लोमडी देखी ।
पूजा- पल्लवी! तुमने उस लोमड़ी को कहां देखा?
पल्लवी -पूजा !मैंने उसे जंगल में देखा।
पूजा -पल्लवी! वालों लोमड़ी बहुत भूखी थी ।
पल्लवी- पूजा ! वह लोमडी भूख मिटाने के लिए पेड़ के ऊपरी भाग में अंगूर के फल को देख कर उछलती है।
पूजा -पल्लवी! परंतु अंगूर के फल तो बहुत ऊपर थे।
पल्लवी -पूजा ! वह लोमड़ी बार-बार उछलती है पर अंगूर के फल प्राप्त नहीं होते ।
पूजा -पल्लवी! वह लोमडी कहती है मैं अंगूर के फल नहीं खाती अंगूर के फल खट्टे हैं।
रूपेश कुमार देवांगन शिक्षक
शासकीय पूर्व माध्यमिक शाला गौरझुमर
सहसपुर लोहारा कबीरधाम
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