संस्कृत कक्षा सातवीं
द्वितीय: पाठ:
छत्तीसगढ़स्य प्रमुखपर्वाणि
पाठ का हिंदी अनुवाद
मानव जीवन में उत्सवों का महत्व सभी जानते हैं। छत्तीसगढ़ राज्य में बहुत से त्यौहार प्रचलित है। उनमें हरेली पोरा,तीजा ,जवारा जेठानी ,छेरछेरा ,पुन्नी इत्यादि मुख्य है।
1. हरेली-इसका विशेष महत्व है। सावन माह की अमावस्या को हरेली त्यौहार होता है। वातावरण में सभी जगह हरियाली दिखाई देती है। किसान खेतों में बीज बोकर सभी उपकरण सुधार कर पशुओं की पूजा करते हैं। पशुओं के गोबर से निर्मित कंडे में रोटी पकाते हैं। चावल निर्मित चिल्ला जैसे खाद्य पदार्थ का सेवन लोग करते हैं। बालक लकड़ियों से निर्मित जरीना मात्रा उपकरण से इधर-उधर घूमते हुए हर्ष का अनुभव करते हैं।
2. पोरा- भादो की अमावस्या को पोला उत्सव होता है। कृषि प्रधान छत्तीसगढ़ का यह पहला उत्सव है। किसान खेतों में जुताई का कार्य बैलों से करते हैं। इसलिए इस इस त्यौहार में बैलों की विशेष सजा होती है। प्रतीक रूप में बालक भी मिट्टी के नादिया बैल खेलते हैं। बालिका फुगड़ी आदि खेलकर अपने आनंद का प्रदर्शन करते हैं। तीजा पर्व यहां का विशेष महत्व है।स्त्रियां अपने मायके जाकर परिवार के लोगों के साथ आनंद के साथ पति की दीर्घायु की कामना करते हैं। व्रत के समापन में विभिन्न प्रकार के व्यंजन पकाते हैं। बैटरी कुर्मी इत्यादि खाद्य पदार्थ आपस में बांटते हैं।नाना प्रकार के वस्त्र आभूषण धारण करके भगवान की पूजा करके संतोष का अनुभव करते हैं। भाद्रपद की शुक्ला तृतीया को तृतीया तिथि को यह उत्सव होता है।
3. जवारा-आश्विन माह के शुक्ल पक्ष की नवमी तिथि को देवी दुर्गा का विसर्जन उत्सव जिसे जवारा भी कहते हैं। अंकुरित अनाज लेकर समारोह में गीत वाद्य यंत्रों से देवी की पूजन करते हैं वाह उनका विसर्जन करते हैं। हरे रंगों के अंकुरित अनाज समृद्धि का प्रतीक है।
4. जेठानी-देव प्रबोधिनी एकादशी को जेठानी भी कहते हैं। इस पर्व में शाम के समय तुलसी का विवाह श्री विष्णु जी के साथ मनाते हैं। बालक अपने पशुओं को मयूरपंख से सजाते है। कार्तिक पूर्णिमा के अंत तक यह उत्सव प्रचलित रहता है।
5. छेरछेरा –पुन्नी-4 माह की समाप्ति के बाद उस पूर्णिमा को संचित धन भंडार घर से लाकर दुकान में बेचते हैं।इस पर्व में बालक घर-घर जाकर "छेरछेरा छेरछेरा कोठी के धान ल हेर-हेरा" "जबे देबे तबे टरब"जैसी लोक भाषा कहते हुए नए अनाज मांगते हैं। गांव की बालिका बीच में सुआ रखकर उसके चारों ओर नाचती और सुआ गीत गाती हैं। छत्तीसगढ़ क्षेत्र के गांव गांव में मेला (मंडई)आयोजन होता है। छत्तीसगढ़ क्षेत्र में यह मेला बहुत प्रसिद्ध है। और भी अनेक फार्म छत्तीसगढ़ राज्य में उत्साह के साथ आयोजित होता है। जैसे खमरछठ,(हलषष्ठी), आंवला नवमी, अक्षय तृतीया, गौरा गौरी इत्यादि। सभी उत्सव राज्य की संस्कृति लोक परंपरा और जनजीवन पर आधारित होते हैं।
यह भूमि अवश्य ही उत्सवों से भरी हुई है।
प्रश्न-1 निम्नलिखित प्रश्नों के उत्तर दीजिए-
(क) जना हरेली उत्सव कस्मिन मासे मन्यन्ते?
उत्तर -जना हरेली उत्सव:श्रावण भाद्रपद मासे मन्यन्ते।
(ख) स्त्रिय:तीजापर्वाणि कस्य दीर्घायुष्यं कामयन्ति?
उत्तर - स्त्रिय:तीजापर्वाणि पत्यु: दीर्घायुष्यं कामयन्ति।
(ग) के यावाड्कुरा समृद्धे: प्रतीकभूता: सन्ति?
उत्तर -हरित् वर्णा यावाड्कुरा समृद्धे: प्रतीकभूता: सन्ति।
(घ) का एकादशी जेठौनी उच्यते?
उत्तर -देवप्रबोधनी एकादशी जेठौनी उच्यते।
(ड) छेरछेरापर्वाणि बालका: प्रतिगृहं गत्वा किं कथयन्त: नवान्नानि याचन्ते?
उत्तर –छेरछेरापर्वाणि बालका: प्रतिगृहं गत्वा छेरछेरा छेरछेरा कोठी के धान ल हेर-हेरा जबे देबे तबे टरब इति कथयन्त:नवान्नानि याचन्ते।
प्रश्न 2. रिक्त स्थान की पूर्ति कीजिए।
(क) पशुनां कृते गोधूमनिर्मिता ....... पाचयन्ति।
–रोटिकां
(ख) तीजा पर्व भाद्रपदस्य ....... उत्सवोंsयं भवति?
–शुक्लतृतियायां
(ग) देव्या:दुर्गाया: विसर्जनोत्सव:...इति उच्यते।
–जवारा
(घ) छत्तीसगढक्षेत्रस्य ग्रामे ग्रामे .....आयोज्यन्ते ।
–मेलापक:
प्रश्न 3. निम्नलिखित शब्दों के वाक्य बनाइए संस्कृत में?
श्रावणमास, तीजापर्व,जेठौनीपर्व ,छेरछेरा पर्व
श्रावणमास-श्रावणमासे रक्षाबंधन उत्सवं भवति
तीजापर्व-स्त्रिय:तीजपर्व पत्यु दीर्घायुष्यं कामयन्ति
जेठौनी-देवप्रबोधनी एकादशी जेठौनी इति उच्यते।
छेरछेरा पर्व- छेरछेरा पर्वं बालक:प्रतिगृहं गत्वा नवन्नानिअन्नानि याचन्ते।
प्रस्तुति –प्रतिभा त्रिपाठी भिलाई
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