शिक्षक अनुराग तिवारी के संघर्ष की कहानी/ ANURAG TIWARI

                 मेरा विद्यालय और मेरा संघर्ष


साथियो आप सबको सादर नमन

आज आपको मै अपने विद्यालय की सफलता की गाथा बताना चाहता हूं। वैसे सफलता को बताने का अभिप्राय यह नही की मै अपने गुणों का बखान कर रहा। इसका सीधा सा अर्थ है कि किसी भी विद्यालय में यदि एक शिक्षक भी संकल्प ले ले कि उसे अपने विद्यालय को बेहतर बनाना है,तो वह अपने विद्यालय को उस गांव का धरोहर बना सकता है।
   
               अपने विद्यालय की कहानी शुरू होती है 2009 से इससे पहले मै शा उ मा शा अफरीद में था वहाँ बच्चो ने मुझे असीम प्रेम दिया पता नही क़्यो मेरी कर्मठता वहां के शिक्षकों को रास नही आयी पर बच्चे खुश थे। जब 06 माह के अल्प कार्यकाल में मेरा स्थानांतरण शा हाईस्कूल कुटरा में हुआ तो मैं कुछ दुखी था कि मेरा कर्म क्षेत्र अधूरा है। कोई बात नही मै पहुँचा नए विद्यालय में नए लोगो व बच्चो के साथ। प्रथम दिवस हिंदी की कक्षा में जब पहुँचा तो बच्चो ने बताया कि सर आपको हिंदी पढ़ाने की आवश्यकता नही हम केवल पढ़ लेंगे और गाइड से लिख लेंगे। दूसरा शिक्षक होता तो खुश हो जाता मुझे वहाँ यह पता चल गया कि मुझे यहाँ मेहनत व विश्वास कायम करना होगा। प्रथम दिवस हम क़्यो पढ़े पर व्याख्यान दिया इस व्याख्यान ने बच्चो पर गहरा प्रभाव पड़ा। उन्होंने पढने की ठान ली। हिंदी विषय की मैने संगीत से व नाट्य से जब जोड़ा तो बच्चे भाव विभोर होकर मेरी प्रतीक्षा करने लगे। वे मेरी चर्चा अपने माता पिता तक करने लगे इसी वर्ष जब मुझे राजनीति विषय मे स्वर्ण पदक मिला तो बच्चो ने मुझे पलको पर बिठा लिया अब उनका विश्वास कायम हो गया कि ये शिक्षक हमारे लिए कुछ न कुछ कर सकते हैं।शुरुवात हो गयी अब मैने सन 2010 में विद्यालय के परिधान में परिवर्तन करने की ठानी विद्यालय के प्राचार्य जी से बिना सहमति लिए मैने बच्चो से बात की आप सबको श्वेत परिधान में सप्ताह भर दो दिन आना है।अब सब  जब उन दो दिनों में श्वेत परिधान में आने लगे तो विद्यालय का वातावरण निजी विद्यालय जैसा प्रतीत होने लगा


       सन 2011 से लेकर 2015 तक मैने केरियर गाइडेंस पर काम किया। इस समय मै बच्चो को विषय गत पढाई और क्या पढना चाहिए इस पर बात करने लगा।उनके पालको को घर जाकर बच्चो की योग्यता के बारे में बताने लगा। पालको ने मेरी बात को महत्व दिया व उच्च शिक्षा के लिए आगे भेजने लगे,इससे वहाँ बाल विवाह की समस्या दूर हुई।


सत्र2016 व 2017 में हमको ग्राम में आदरणीय राजेश पांडेय जी व राघवेंद्र पांडेय जी के सहयोग से उनके परिवार की निजी भूमि विद्यालय भवन के लिए मिली। एक नया वातावरण तैयार करने की व जन सहयोग को बढ़ाने की आवश्यकता मुझे महसूस हुई। ग्राम के युवा सरपंच आदरणीय राजू कश्यप जी व प्राचार्य श्री एल आर साहू जी का भरपूर सहयोग भी मुझे मिलने लगा। साथ ही हमारे विद्यालय में मेरे अग्रज व गुरु श्री अवधेश शर्मा जी का साथ भी मुझे मिलने लगा।ये मेरे विद्यालय को एक नए वातावरण में ढालने की चुनोती मेरे सामने थी कुछ नया करना था ताकि बच्चो पर व ग्राम विद्यालय के प्रति आकर्षण बढ़ता जाए।
         सत्र2018 में मेरे विद्यालय का परीक्षा परिणाम पूरे जिले में बेहतर था । इस वर्ष हमने कई योजनाएं बनाई पहली योजना विद्यालय का अपना प्रतीक बनाने की थी जिसे जन सहयोग से हमने मूर्त रूप दिया। इसके बाद पूरे विद्यालयीन बच्चो के परिधान में हमने परिवर्तन किया बच्चे किसी निजी विद्यालय के नजर आने लगे । मैने विधिक जागरूकता के लिए श्री राजेश पांडेय जी के सहयोग से आदरणीय जज साहब को जब आमंत्रित किया तो वहाँ का माहौल व वातावरण देखकर वे गदगद हो गए और नया कंप्यूटर सेट हमे भेट किया। मुझे अपार सुख प्राप्त हुआ बच्चो ने इन सबका श्रेय मुझे दिया पर मैने उनसे कहा कि इसमें ग्राम के लोगो व पांडेय परिवार अवधेश जी प्राचार्य सर का भी बहुत बड़ा योगदान है।
                              इस वर्ष जब मैं कक्षा में था तो कुछ पूर्व छात्राएं रोते हुए मेरे पास आई और कहने लगी कि उनके माता पिता उन्हें आगे पढ़ने जाने नही दे रहे। मैने संकल्प लिया कि इस वर्ष मुझे विद्यालय का उन्नयन कराना है,उस समय विधानसभा सत्र का प्रारम्भ हो गया था। मैंने पूरे ग्राम के लोगो के साथ विधानसभा में जन प्रतिनिधियों को हमारी बात बच्चो के साथ जाकर रखने की सोची। हम लोग कई विधायको के पास गए पर सबने 80 बच्चो के साथ विधानसभा में ले जाना स्वीकार नही किया। तब मैंने दूरभाष पर विधानसभा सचिवालय में बात की अंदर जाने के लिए कुछ कागजात भेजने की बात फेक्स से की गई जिसे मैंने भेज दिया।और दूसरे दिन ही अनुमति मिल गयी जन सहयोग से हमने बच्चो को विधानसभा परिसर के दर्शन कराए। कानून प्रक्रिया से अवगत कराया। उसी समय बच्चो ने मुख्यमंत्री जी से मिलने की बात कही ताकि हायर सेकंडरी उन्नयन के लिए आवेदन दे सके।हमने घण्टो धूप में खड़े होकर।
मुख्यमंत्री जी की प्रतीक्षा की आदरणीय मंत्री अम्बेश जांगड़े जी वजन नेता राघवेंद्र पांडेय जी,के सहयोग से हम मुख्यमंत्री जी से मिले डॉ रमन सिंह जी ने तत्काल उन्नयन की हमारी मांग मान ली। जल्द ही आदेश भी निकला यह दोहरी खुशी थी मेरे लिए व विद्यालय परिवार के लिए।


हमने सत्र 2018 में विद्यालय में जन सहयोग से दो कक्षो का निर्माण भी कराया साथ ही विद्यालय की अपनी मूल्यांकन व प्रयोजना कॉपी का विमोचन कराया। इससे भी विद्यालय को नई पहचान मिली। इस वर्ष पेड़ गोद लेने की प्रथा भी मेरे द्वारा बच्चो में विकसित की गयी और वृक्षो का नाम बच्चो के नाम पर रखा इससे बच्चे आत्मिक रूप से वृक्षो से जुड़ने लगे व वातावरण हरा भरा हो गया।
सत्र2019 हमारे लिए और भी महत्वपूर्ण रहा क़्योंकि इस वर्ष मैने प्रति शनिवार सैनिक भर्ती का प्रशिक्षण आयोजित करना भूतपूर्व सैनिकों के सहयोग से शुरू किया। बच्चे काफी आशान्वित थे कि इस विद्यालय में कोई तो है जो हमारे बारे में सोचता है यही सोच मुझे उनके करीब करने लगी।


इस वर्ष 44 बच्चे जिनको माध्यमिक विद्यालय के शिक्षकों ने  निचले बुद्धि लब्धि का घोषित किया था, उन्ही में से एक ने 94 प्रतिशत अंक प्राप्त किया व उससे विद्यालय क़्यो गौरवान्वित होने का मौका हाथ लगा।


यह है मेरा संघर्ष व विद्यालय की दास्तान इस को सामने लाने का मकसद केवल इतना है ताकि दूसरे विद्यालय भी इससे प्रेरित हो आम छात्रों की प्रगति में अपना योगदान दे सकें।



 नाम  -अनुराग तिवारी(व्याख्याता)
विकासखण्ड -नवागढ़
जिला   -   जांजगीर चाम्पा
राज्य-     छतीसगढ़
मोबाइल नंबर   9340687385,8827258330 व्हाट्स एप्प नंबर
                           

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3 Comments

  1. I salute you sir. I am also lecturer .l like this type of teachers ; who works hard for students.

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  2. सर जी आपके सतत प्रयासो को सादर प्रणाम अपने जो आप के व्यक्ति गत कार्य वर्णन किया उसे पढ़कर मेरे हर्दय में भी प्रेरणा जाग्रित हो रही कि भविष्य में भी ऐसा टीचर बनो की अपना गांव एवं जिला की शिक्षा को बुलंदियो की सीढ़ी तक ले जा सकू। सर आपको सादर कोटि कोटि प्रणाम आप ऐसे कार्य करते है निरंतर ओर आपका मार्गदर्शन प्राप्त होता रहे।
    नाम सुरेश पाल
    पद स्टूडेन्ट पोलोटेक्निक सिविल इंजीयर शाखा
    मो व्हाट्सएप 8959725810

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  3. Great sir 🙏 aapne bachcho ke future ke liye bhut achhe Kam kiye h

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